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तमाम हादसों के बावजूद अपग्रेड नहीं है ग्वालियर का फायर सेफ्टी सिस्टम - gwalior fire safety system is not upgraded

ग्वालियर में हाल के दिनों में आग लगने की गंभीर घटानाएं सामने आई हैं, बावजूद इसके दमकल विभाग मौजूदा परिस्थियों के हिसाब से अपग्रेड नहीं है.

fire brigade
दमकल की गाड़ियां
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Published : Jun 15, 2020, 8:15 PM IST

ग्वालियर। शहर में फायर सेफ्टी सिस्टम तमाम हादसों और जनहानि के बाद भी अपडेट नहीं हो सका, पिछले 3 महीने में हुए 2 बड़े हादसों में 9 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. हाई राइज बिल्डिंग में आग बुझाने में इस्तेमाल होने वाली करोड़ों रुपए के लिफ्ट मार्ग के जरिए भी दमकल दस्ता मौके पर पहुंचकर इस आग को काबू नहीं कर सका था. इंदरगंज क्षेत्र में 18 मई की सुबह एक ही परिवार के 7 लोगों की जलने और दम घुटने से मौत हो गई थी.

फायर ब्रिगेड सिस्टम

इससे पहले डीडवाना ओली स्थित फॉम के गोदाम में आग लगने से दिव्यांग दंपत्ति आग की भेंट चढ़ गए थे. इसके अलावा शहर में छोटी-गलियों और बिजली के तारों का ऐसा जाल है, जहां आग लगने की स्थिति में चाहते हुए भी बाहर से तत्काल मदद नहीं पहुंचाई जा सकती है. हैरानी की बात ये है कि इन तमाम परिस्थितियों से निपटने के लिए फायर ब्रिगेड के पास साधन ही नहीं है. इतना ही नहीं फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों के पास सेफ्टी किट भी उपलब्ध नहीं है. जिससे वे आग में फंसे लोगों को निकाल सकें.

जनप्रतिनिधियों और लोगों के आक्रोश के बाद अधिकारियों ने तय किया है कि आग लगने की स्थिति में जनहानि किसी भी सूरत में न हो. दमकल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शहर के घनी आबादी वाले इलाकों में आग की घटना पर काबू पाने के लिए व्यवस्था बनाई जा रही है. छोटी गाड़ियों और बाइक से भी पानी भेजने की व्यवस्था की जा रही है. कुछ हादसों को विशेष प्रयासों से रोका भी गया है.

क्षेत्रीय सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि फायर सेफ्टी सिस्टम को और ज्यादा मजबूत बनाने जाने की जरूरत है, महापौर रहते उन्होंने घनी बस्ती के इलाकों में अलग पाइप लाइन डालने की योजना बनाई थी. जिस पर अभी तक काम नहीं हो सका है. उनका मानना है कि अगर फायर सेफ्टी सिस्टम को मजबूत करना चाहते हैं तो फायर ब्रिगेड के नहीं पहुंचने की स्थिति में अलग से पानी की लाइन बिछाकर इन हादसों को रोका जा सकता है.

ग्वालियर। शहर में फायर सेफ्टी सिस्टम तमाम हादसों और जनहानि के बाद भी अपडेट नहीं हो सका, पिछले 3 महीने में हुए 2 बड़े हादसों में 9 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. हाई राइज बिल्डिंग में आग बुझाने में इस्तेमाल होने वाली करोड़ों रुपए के लिफ्ट मार्ग के जरिए भी दमकल दस्ता मौके पर पहुंचकर इस आग को काबू नहीं कर सका था. इंदरगंज क्षेत्र में 18 मई की सुबह एक ही परिवार के 7 लोगों की जलने और दम घुटने से मौत हो गई थी.

फायर ब्रिगेड सिस्टम

इससे पहले डीडवाना ओली स्थित फॉम के गोदाम में आग लगने से दिव्यांग दंपत्ति आग की भेंट चढ़ गए थे. इसके अलावा शहर में छोटी-गलियों और बिजली के तारों का ऐसा जाल है, जहां आग लगने की स्थिति में चाहते हुए भी बाहर से तत्काल मदद नहीं पहुंचाई जा सकती है. हैरानी की बात ये है कि इन तमाम परिस्थितियों से निपटने के लिए फायर ब्रिगेड के पास साधन ही नहीं है. इतना ही नहीं फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों के पास सेफ्टी किट भी उपलब्ध नहीं है. जिससे वे आग में फंसे लोगों को निकाल सकें.

जनप्रतिनिधियों और लोगों के आक्रोश के बाद अधिकारियों ने तय किया है कि आग लगने की स्थिति में जनहानि किसी भी सूरत में न हो. दमकल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शहर के घनी आबादी वाले इलाकों में आग की घटना पर काबू पाने के लिए व्यवस्था बनाई जा रही है. छोटी गाड़ियों और बाइक से भी पानी भेजने की व्यवस्था की जा रही है. कुछ हादसों को विशेष प्रयासों से रोका भी गया है.

क्षेत्रीय सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि फायर सेफ्टी सिस्टम को और ज्यादा मजबूत बनाने जाने की जरूरत है, महापौर रहते उन्होंने घनी बस्ती के इलाकों में अलग पाइप लाइन डालने की योजना बनाई थी. जिस पर अभी तक काम नहीं हो सका है. उनका मानना है कि अगर फायर सेफ्टी सिस्टम को मजबूत करना चाहते हैं तो फायर ब्रिगेड के नहीं पहुंचने की स्थिति में अलग से पानी की लाइन बिछाकर इन हादसों को रोका जा सकता है.

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