ग्वालियर। कमला राजा चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से न्यायालय में लगाए गए स्थगन आदेश के आवेदन को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके पारिवारिक सदस्यों द्वारा चलाए जा रहे कमला राजे चैरिटेबल ट्रस्ट के मामले में दावा किया गया है. जिस स्थान पर महालेखाकार कार्यालय के सामने से सिटी सेंटर इलाके को जोड़ने वाला रेलवे ओवर ब्रिज बना है वह जमीन ट्रस्ट की है और यह जमीन सरकार ने अपने उपयोग में ले ली है इसलिए सरकार करीब 7 करोड़ रुपए का मुआवजा ट्रस्ट को अदा करे. यह मामला कोर्ट में फिलहाल विचाराधीन है और दस्तावेजों का परीक्षण किया जा रहा है.
कोर्ट से स्थगन की मांग: कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने के लिए कोर्ट से स्थगन मांगा था लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए कमला राजे चैरिटेबल ट्रस्ट का आवेदन खारिज कर दिया कि यह जमीन सरकारी है. जिस पर महालेखाकार और सिटी सेंटर क्षेत्र को जोड़ने वाला पुल बना हुआ है और यह जनहित के काम आ रहा है. ऐसे में लोकोपयोगी एजी ऑफिस पुल के मामले में ट्रस्ट को कोई स्थगन नहीं दिया जा सकता है, और यह जमीन सरकारी है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था वहां से इसे पुन: सुनवाई के लिए वापस जिला एवं सत्र न्यायालय ग्वालियर भेजा गया है.
स्टे आवेदन निरस्त: मामले में शासकीय अधिवक्ता धर्मेंद्र शर्मा एवं जगदीश शाक्यवार ने बताया कि सिटी सेंटर क्षेत्र के तहसीलदार ने इस भूमि के सरकारी होने के संबंध में सन 1950 के कई दस्तावेज पेश किए हैं. इसलिए ट्रस्ट का कोई मुआवजा संबंधी आवेदन भी विचार योग्य नहीं है. फिलहाल कोर्ट के द्वारा स्टे आवेदन को निरस्त करने से कमलाराजे चेरिटेबल ट्रस्ट को बड़ा झटका लगा है.