ग्वालियर। आखिरकार पत्नी सुख से वंचित एक शख्स को हाई कोर्ट की ग्वालियर बैंच ने तलाक की मंजूरी दे दी है. भिंड निवासी युवती की शादी दीनदयाल नगर में रहने वाले एक युवक से करीब 9 साल पहले हुई थी, लेकिन विवाह के बाद जब पति ने पत्नी से संबंध बनाने की कोशिश की तो युवती ने मासिक धर्म का हवाला देकर संबंध स्थापित करने से इनकार कर दिया.
युवती को जन्म से नहीं बच्चेदानी: इसके बाद जब पति ने दोबारा संबंध बनाने की कोशिश की, तब दोनों को बेहद तकलीफ हुई. तब पति ने मई 2015 में स्त्री रोग विशेषज्ञ से पत्नी का परीक्षण कराया, जिसमें खुलासा हुआ कि युवती के जन्म से ही बच्चेदानी नहीं है. साथ ही महिलाओं में पाया जाने वाला जननांग भी पूर्ण रूप से विकसित नहीं है. ऐसे में महिला न तो पति को सहवास का आनंद दे सकती है और न ही वह संतान उत्पन्न करने में सक्षम है. यह बात सामने आने के बाद दीनदयाल नगर में रहने वाले युवक ने तलाक की अर्जी कुटुंब न्यायालय में दायर की थी. जिसे आखिरकार स्वीकार कर लिया गया है. न्यायालय ने माना कि तमाम प्रयासों के बावजूद पत्नी जानबूझकर मेडिकल बोर्ड के सामने उपस्थित नहीं हुई है. इससे पति के आरोपों को बल मिलता है. पत्नी का विशेषज्ञ से विशेष परीक्षण कराया गया था. जिसमें पता चला था कि युवती के शारिरिक पार्ट पूर्ण रूप से विकसित नहीं थे.
युवती के परिवार वालों ने धोखे में रखा: वहीं मामले में युवक का कहना है कि "युवती के परिवार के लोगों को सब कुछ पता था, लेकिन उन्होंने धोखे में रखकर उसकी शादी कर दी. इससे पहले पति ने दावा पेश करते हुए कुटुंब न्यायालय में अपने विवाह को शून्य घोषित करने की मांग की थी. दावे में बताया गया था कि उसके पिता का स्वास्थ्य अक्सर खराब रहता है. वह बेटे की शादी अपने सामने होते देखना चाहते थे. इसलिए युवक ने ज्यादा जानकारी जुटाए बिना ही 1 जुलाई 2014 को भिंड की युवती से शादी कर ली थी. गौरतलब है कि पहले कुटुंब न्यायालय ने युवक के तलाक के आवेदन को निरस्त कर दिया था. यह बात 2015 की है, 2016 में फिर पति ने तलाक के लिए आवेदन न्यायालय में पेश किया. जिसे अब मंजूर किया गया है. कोर्ट ने माना है कि युवती अपने पति को शारीरिक और संतान सुख देने में सक्षम नहीं है. इसलिए वह अपनी मेडिकल जांच से बार-बार किसी न किसी बहाने से बच रही थी.