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Chambal Firing Story: ग्वालियर चंबल अंचल में बढ़ता खूनी खेल, यहां मामूली विवाद पर खेलते हैं खून की होली, क्या है इसके पीछे की कहानी ?

चंबल-अंचल में जरा सी बात पर खूनी संघर्ष होना कोई बड़ी बात नहीं है. यहां कभी आत्मसम्मान के लिए तो कभी जरा सी बहस में गोलियां चल जाती है. इसी तरह बीते दिन दतिया में पशुओं को लेकर दो पक्षों में जमकर गोलीबारी हुई. घटना में पांच लोगों की मौत हो गई.

Chambal Firing Story
गोलियों का चंबल
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 14, 2023, 9:46 PM IST

ग्वालियर चंबल अंचल में बढ़ता खूनी खेल

ग्वालियर। मध्य प्रदेश का ग्वालियर चंबल-अंचल एक ऐसा इलाका है. जहां पर खूनी खेल की गोलियां खेली जाती है. मामूली विवाद पर यहां सबसे पहले घर से बंदूक निकलती है और उसके बाद लोग एक दूसरे पर जान लेने पर उतारू हो जाते हैं. अभी हाल में ही दतिया जिले में ऐसी ही घटना सामने आई. जिसमें दोनों पक्षों में पशुओं को लेकर मामूली विवाद हुआ और उसके बाद यह विवाद खूनी खेल में बदल गया. दोनों पक्षों के लोग घर में रखी बंदूकों को निकाल कर लाये और उसके बाद एक दूसरे पर ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर दी. जिसमें पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. चंबल अंचल में ऐसी यह पहले कोई घटना नहीं है. यहां पर आए दिन खूनी खेल की घटनाएं सामने आती रहती है. इसके पीछे की क्या वजह है? और यहां पर लोग मामूली बात को लेकर क्यों एक दूसरे पर गोलियों की बौछार करने लगते हैं.... देखिए इस विशेष रिपोर्ट में

जर-जोरू और जमीन में जाती है जान: मध्य प्रदेश का ग्वालियर चंबल इलाका हमेशा से ही बगावत और वर्चस्व के लिए मान जाना जाता है. इस चंबल इलाके में लोग जर,जोरू और जमीन के लिए एक दूसरे की जान ले लेते हैं. यही कारण है की चंबल इलाके में देश के सबसे बड़े ऐसे खूंखार डाकू बीहड़ में उतरे थे. उनका मकसद सिर्फ जमीन विवाद और बदला लेने की सोच रही और यही कारण है कि यह प्रथा आज भी चली आ रही है. लोग यहां पर मामूली विवाद या अपनी इज्जत और वर्चस्व के सामने किसी के साथ भी खूनी खेल खेल सकते हैं.

चंबल-अंचल में सबसे ज्यादा लाइसेंसी बंदूके: मध्य प्रदेश का ग्वालियर चंबल अंचल वह इलाका है. जहां पर पूरे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक शस्त्र लाइसेंस है. अंचल के ग्वालियर-मुरैना-भिंड और दतिया ऐसे चार जिले हैं. जहां पर एक लाख से अधिक शस्त्र लाइसेंस की संख्या है और आज भी हजारों की संख्या में लोग शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए मंत्री विधायक और अधिकारियों के यहां चक्कर लगाते फिरते हैं. यही सस्ता लाइसेंस लोगों की मौत का कारण भी बनते हैं, क्योंकि यहां के लोग मामूली विवाद पर सबसे पहले घर में रखे शस्त्र लाइसेंस बंदूक को लेकर आते हैं और उसके बाद ताबड़तोड़ फायरिंग करना शुरू कर देते हैं. जिसमें लोगों की जान चली जाती है.

पीढ़ियों तक चलती है दुश्मनी: ग्वालियर चंबल अंचल में अक्सर देखा जाता है कि यहां पर लोग मामूली बात पर बंदूक उठा लेते हैं और एक दूसरे को करने के लिए तैयार हो जाते हैं. यहां पर आज भी हजारों घर ऐसे हैं. जो पीढ़ी दर पीढ़ी दुश्मनी निभाती आ रहे हैं. जब पीढ़ी को मौका मिलता है, तो उसके बाद यह खून की होलियां खेलना शुरू कर देते हैं. जिनमें कई जान चली जाती है. आज भी कई ऐसी पीढ़ी हैं, जो सदियों से दुश्मनी निभाती रही है. इन दुश्मनी के पीछे सबसे अधिक कारण जमीन का है. यहां पर मामूली जमीन को अपना आत्म सम्मान समझते हैं और उसके लिए वह अपने पूरे परिवार को मिटा देते हैं. यही कारण है कि अक्सर जमीनों को लेकर चंबल में गोलियों की आवाज हर वक्त सुनाई देती है. जिसमें कई जान चली जाती है.

चंबल-अंचल में आत्म सम्मान का महत्व: ग्वालियर चंबल अंचल में जमीन और आत्म सम्मान का काफी महत्व है. अगर यहां के लोगों के आत्म सम्मान पर थोड़ी सी ठेस पहुंची तो बदला लेने से नहीं चूकता है और इसका साथ देती है लाइसेंस बंदूके. जब यहां पर विवाद शुरू होता है तो लोग सबसे पहले लाइसेंसी बंदूकों को निकाल कर लाते हैं और उसके बाद ताबड़तोड़ आमने-सामने से गोलियां चलती है. जिसमें लोगों की जान चली जाती है. अभी हाल में ही चंबल के मुरैना जिले में डाकू पान सिंह के गांव भिडोसा के सटीक बसे लेपा गांव 10 साल पुरानी आपसी रंजिश को लेकर आपस में गोलियां चली, जिसमें 10 लोग की मौत हुई थी और अब दतिया जिले में ही ऐसा ही मामला सामने आया. जहां दो पक्षों में मामूली विवाद हुआ और उसके बाद दोनों तरफ से गोलियां चली. इस घटना में पांच लोगों की मौत हो गई.

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क्या बोले एनकाउंटर स्पेशलिस्ट: एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से मशहूर रिटायर्ड डीएसपी अशोक भदौरिया ने बताया है कि "बगावत के लिए पहचाने जाने वाला चंबल में खूनी खेल का सबसे बड़ा कारण यह शस्त्र लाइसेंस बंदूक है. यहां पर सबसे अधिक लाइसेंससी बंदूक होने के कारण खून खराबा भी सबसे अधिक होता है, लेकिन इसके बावजूद यहां लाइसेंसों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. दिनों दिन लाइसेंस की संख्या चार गुनी बढ़ रही है और लोग लाइसेंस बनवाने के लिए 2 से 5 लख रुपए तक खर्च करते हैं. इसके अलावा शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए यहां पर मंत्री से लेकर विधायक और प्रशासन तक एप्रोच लगवाते हैं.

महीने में आ रहे 1000 आवेदन: अभी चुनाव का वक्त है और इस समय जिला प्रशासन के पास रोज सैकड़ों की संख्या में शस्त्र लाइसेंस बनवाने की आवेदन पहुंच रहे हैं. इस समय ग्वालियर चंबल अंचल के नेता वोट बैंक के चक्कर में सबसे अधिक शस्त्र लाइसेंस बनवाने की अनुशंसा करते हैं. यही कारण है की जिला प्रशासन के पास एक महीने में 1000 से अधिक शस्त्र लाइसेंस बनवाने की आवेदन आ रहे हैं. ग्वालियर कलेक्टर अक्षय कुमार ने बताया है कि रोज आधा दर्जन से अधिक शस्त्र लाइसेंस बनबाने के आवेदन आ रहे हैं, फिलहाल इन सभी पर अभी रोक लगा दी है.

ग्वालियर चंबल अंचल में बढ़ता खूनी खेल

ग्वालियर। मध्य प्रदेश का ग्वालियर चंबल-अंचल एक ऐसा इलाका है. जहां पर खूनी खेल की गोलियां खेली जाती है. मामूली विवाद पर यहां सबसे पहले घर से बंदूक निकलती है और उसके बाद लोग एक दूसरे पर जान लेने पर उतारू हो जाते हैं. अभी हाल में ही दतिया जिले में ऐसी ही घटना सामने आई. जिसमें दोनों पक्षों में पशुओं को लेकर मामूली विवाद हुआ और उसके बाद यह विवाद खूनी खेल में बदल गया. दोनों पक्षों के लोग घर में रखी बंदूकों को निकाल कर लाये और उसके बाद एक दूसरे पर ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर दी. जिसमें पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. चंबल अंचल में ऐसी यह पहले कोई घटना नहीं है. यहां पर आए दिन खूनी खेल की घटनाएं सामने आती रहती है. इसके पीछे की क्या वजह है? और यहां पर लोग मामूली बात को लेकर क्यों एक दूसरे पर गोलियों की बौछार करने लगते हैं.... देखिए इस विशेष रिपोर्ट में

जर-जोरू और जमीन में जाती है जान: मध्य प्रदेश का ग्वालियर चंबल इलाका हमेशा से ही बगावत और वर्चस्व के लिए मान जाना जाता है. इस चंबल इलाके में लोग जर,जोरू और जमीन के लिए एक दूसरे की जान ले लेते हैं. यही कारण है की चंबल इलाके में देश के सबसे बड़े ऐसे खूंखार डाकू बीहड़ में उतरे थे. उनका मकसद सिर्फ जमीन विवाद और बदला लेने की सोच रही और यही कारण है कि यह प्रथा आज भी चली आ रही है. लोग यहां पर मामूली विवाद या अपनी इज्जत और वर्चस्व के सामने किसी के साथ भी खूनी खेल खेल सकते हैं.

चंबल-अंचल में सबसे ज्यादा लाइसेंसी बंदूके: मध्य प्रदेश का ग्वालियर चंबल अंचल वह इलाका है. जहां पर पूरे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक शस्त्र लाइसेंस है. अंचल के ग्वालियर-मुरैना-भिंड और दतिया ऐसे चार जिले हैं. जहां पर एक लाख से अधिक शस्त्र लाइसेंस की संख्या है और आज भी हजारों की संख्या में लोग शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए मंत्री विधायक और अधिकारियों के यहां चक्कर लगाते फिरते हैं. यही सस्ता लाइसेंस लोगों की मौत का कारण भी बनते हैं, क्योंकि यहां के लोग मामूली विवाद पर सबसे पहले घर में रखे शस्त्र लाइसेंस बंदूक को लेकर आते हैं और उसके बाद ताबड़तोड़ फायरिंग करना शुरू कर देते हैं. जिसमें लोगों की जान चली जाती है.

पीढ़ियों तक चलती है दुश्मनी: ग्वालियर चंबल अंचल में अक्सर देखा जाता है कि यहां पर लोग मामूली बात पर बंदूक उठा लेते हैं और एक दूसरे को करने के लिए तैयार हो जाते हैं. यहां पर आज भी हजारों घर ऐसे हैं. जो पीढ़ी दर पीढ़ी दुश्मनी निभाती आ रहे हैं. जब पीढ़ी को मौका मिलता है, तो उसके बाद यह खून की होलियां खेलना शुरू कर देते हैं. जिनमें कई जान चली जाती है. आज भी कई ऐसी पीढ़ी हैं, जो सदियों से दुश्मनी निभाती रही है. इन दुश्मनी के पीछे सबसे अधिक कारण जमीन का है. यहां पर मामूली जमीन को अपना आत्म सम्मान समझते हैं और उसके लिए वह अपने पूरे परिवार को मिटा देते हैं. यही कारण है कि अक्सर जमीनों को लेकर चंबल में गोलियों की आवाज हर वक्त सुनाई देती है. जिसमें कई जान चली जाती है.

चंबल-अंचल में आत्म सम्मान का महत्व: ग्वालियर चंबल अंचल में जमीन और आत्म सम्मान का काफी महत्व है. अगर यहां के लोगों के आत्म सम्मान पर थोड़ी सी ठेस पहुंची तो बदला लेने से नहीं चूकता है और इसका साथ देती है लाइसेंस बंदूके. जब यहां पर विवाद शुरू होता है तो लोग सबसे पहले लाइसेंसी बंदूकों को निकाल कर लाते हैं और उसके बाद ताबड़तोड़ आमने-सामने से गोलियां चलती है. जिसमें लोगों की जान चली जाती है. अभी हाल में ही चंबल के मुरैना जिले में डाकू पान सिंह के गांव भिडोसा के सटीक बसे लेपा गांव 10 साल पुरानी आपसी रंजिश को लेकर आपस में गोलियां चली, जिसमें 10 लोग की मौत हुई थी और अब दतिया जिले में ही ऐसा ही मामला सामने आया. जहां दो पक्षों में मामूली विवाद हुआ और उसके बाद दोनों तरफ से गोलियां चली. इस घटना में पांच लोगों की मौत हो गई.

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क्या बोले एनकाउंटर स्पेशलिस्ट: एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से मशहूर रिटायर्ड डीएसपी अशोक भदौरिया ने बताया है कि "बगावत के लिए पहचाने जाने वाला चंबल में खूनी खेल का सबसे बड़ा कारण यह शस्त्र लाइसेंस बंदूक है. यहां पर सबसे अधिक लाइसेंससी बंदूक होने के कारण खून खराबा भी सबसे अधिक होता है, लेकिन इसके बावजूद यहां लाइसेंसों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. दिनों दिन लाइसेंस की संख्या चार गुनी बढ़ रही है और लोग लाइसेंस बनवाने के लिए 2 से 5 लख रुपए तक खर्च करते हैं. इसके अलावा शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए यहां पर मंत्री से लेकर विधायक और प्रशासन तक एप्रोच लगवाते हैं.

महीने में आ रहे 1000 आवेदन: अभी चुनाव का वक्त है और इस समय जिला प्रशासन के पास रोज सैकड़ों की संख्या में शस्त्र लाइसेंस बनवाने की आवेदन पहुंच रहे हैं. इस समय ग्वालियर चंबल अंचल के नेता वोट बैंक के चक्कर में सबसे अधिक शस्त्र लाइसेंस बनवाने की अनुशंसा करते हैं. यही कारण है की जिला प्रशासन के पास एक महीने में 1000 से अधिक शस्त्र लाइसेंस बनवाने की आवेदन आ रहे हैं. ग्वालियर कलेक्टर अक्षय कुमार ने बताया है कि रोज आधा दर्जन से अधिक शस्त्र लाइसेंस बनबाने के आवेदन आ रहे हैं, फिलहाल इन सभी पर अभी रोक लगा दी है.

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