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जेनेरिक मेडिसिन कानून के बावजूद डॉक्टर लिख रहे हैं ब्रांडेड दवाएं, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब - ड्रग्स कंट्रोलर स्टेट गवर्नमेंट

जेनेरिक दवाओं से संबंधित याचिका पर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सुनवाई की, कोर्ट ने इस मामले में चार सप्ताह के अंदर सभी पक्षों से जवाब तलब किया है.

Gwalior Bench of High Court
ग्वालियर खंडपीठ
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Published : Oct 14, 2020, 4:38 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने जेनेरिक दवाओं को चिकित्सकों द्वारा मरीजों को प्रिस्क्रिप्शन में नहीं लिखने से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार सहित मेडिकल काउंसलिंग ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है. याचिका में कहा गया है कि, यदि जेनेरिक दवाओं का उल्लेख करें, तो लोगों को अपने इलाज के खर्च में करीब 200 फीसदी की कमी का फायदा मिल सकता है. हाईकोर्ट ने कहा है कि, इस मामले में चार सप्ताह में सभी पक्षकार अपना जवाब पेश करें.

हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

ये भी पढ़ें: सरकार ने कोर्ट में पेश किया शपथ पत्र, अब तक कोविड-19 उल्लंघन के मामले में तीन FIR दर्ज

जेनेरिक मेडिसिन को बढ़ावा देने और लोगों को महंगी दवाओं और ब्रांडेड कंपनियों के मकड़जाल से मुक्ति दिलाने के लिए 2018 में एक कानून बनाया गया था, जहां डॉक्टरों को सलाह दी गई थी कि, वे अपने मरीजों के प्रिस्क्रिप्शन में जेनेरिक दवाओं का उल्लेख करें, लेकिन डॉक्टर हमेशा ब्रांडेड कंपनियों के प्रोडक्ट लिखते हैं. स्थानीय अधिवक्ता विभोर साहू ने एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी.

इस मामले में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय, ड्रग्स कंट्रोलर स्टेट गवर्नमेंट व हेल्थ डिपार्टमेंट सहित आठ को पक्षकार बनाया गया है. सबसे ज्यादा कैंसर और गंभीर रोगियों के इलाज में लाखों रुपए की दवाओं को जेनेरिक दवाओं के रूप में सिर्फ हजारों रुपए में खरीदा जा सकता है.

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने जेनेरिक दवाओं को चिकित्सकों द्वारा मरीजों को प्रिस्क्रिप्शन में नहीं लिखने से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार सहित मेडिकल काउंसलिंग ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है. याचिका में कहा गया है कि, यदि जेनेरिक दवाओं का उल्लेख करें, तो लोगों को अपने इलाज के खर्च में करीब 200 फीसदी की कमी का फायदा मिल सकता है. हाईकोर्ट ने कहा है कि, इस मामले में चार सप्ताह में सभी पक्षकार अपना जवाब पेश करें.

हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

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जेनेरिक मेडिसिन को बढ़ावा देने और लोगों को महंगी दवाओं और ब्रांडेड कंपनियों के मकड़जाल से मुक्ति दिलाने के लिए 2018 में एक कानून बनाया गया था, जहां डॉक्टरों को सलाह दी गई थी कि, वे अपने मरीजों के प्रिस्क्रिप्शन में जेनेरिक दवाओं का उल्लेख करें, लेकिन डॉक्टर हमेशा ब्रांडेड कंपनियों के प्रोडक्ट लिखते हैं. स्थानीय अधिवक्ता विभोर साहू ने एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी.

इस मामले में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय, ड्रग्स कंट्रोलर स्टेट गवर्नमेंट व हेल्थ डिपार्टमेंट सहित आठ को पक्षकार बनाया गया है. सबसे ज्यादा कैंसर और गंभीर रोगियों के इलाज में लाखों रुपए की दवाओं को जेनेरिक दवाओं के रूप में सिर्फ हजारों रुपए में खरीदा जा सकता है.

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