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भारत की नींव है प्राथमिक शालाएं, अयोग्य शिक्षकों के भर्ती होने से बच्चों का होता है नुकसान: HC

डीएलएड डिप्लोमा (D.El.Ed. Diploma) पूरा नहीं कर पाने वाले 4 शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच (Gwalior Bench of High Court) ने गंभीर टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा कि प्राथमिक शाला (Primary Schools) भारत की नींव, अयोग्य शिक्षक (unqualified teacher) भर्ती होने से बच्चों का नुकसान होता है.

हाईकोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी
हाईकोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी
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Published : Sep 1, 2021, 5:59 PM IST

ग्वालियर। डीएलएड डिप्लोमा (D.El.Ed. Diploma) के लिए एक और मौका दिए जाने की मांग करते हुए लगाई गई याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior Bench of High Court) में प्राथमिक शाला में काम करने वाले 4 शिक्षकों ने याचिका लगाई थी. 3 साल में डीएलएड डिप्लोमा पूरा नहीं होने के कारण फेल हुए चारों शिक्षकों ने एक और मौक दिए जाने की मांग की थी.

हाईकोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी

हाईकोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी

शिक्षकों की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior Bench of High Court) ने गंभीर टिप्पणी भी की है. कोर्ट ने कहा है कि "प्राथमिक शालाओं (Primary Schools) में मिलने वाली शिक्षा भारत की नींव है. इसलिए इस शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया गया है. मध्य प्रदेश में प्राथमिक शालाओं (Primary Schools in Madhya Pradesh) में जो शिक्षक भर्ती हो रहे हैं, उनकी योग्यता कम है. प्राथमिक शालाओं में अक्षम लोग भर्ती हो रहे हैं. इसका नुकसान बच्चों को उठाना पड़ रहा है"

OBC को 27% आरक्षण देने पर HC की रोक बरकरार, 20 सितंबर को होगी मामले की अगली सुनवाई

हाईकोर्ट ने सरकार को भी दिए सुझाव

कोर्ट ने कहा कि हम आशा करते हैं कि "इस भर्ती के स्टैंडर्ड में सुधार होना चाहिए, जिससे अच्छे लोग प्राथमिक शालाओं की ओर आकर्षित हों. उसके लिए वेतन और भत्ते अच्छे दिए जाएं." कोर्ट ने आदेश की कॉपी विधि एवं सामान्य प्रशासन विभाग को भेजने का आदेश दिया है.

प्रदेश में 64 हजार से ज्यादा प्राइमरी स्कूल

मध्य प्रदेश में 64,137 के लगभग प्राइमरी स्कूल है, जिनमें 2 लाख प्राइमरी शिक्षक कार्यरत है. इसके साथ ही 30 लाख बच्चे प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में हाईकोर्ट के द्वारा जताई गई इस चिंता के बाद मध्य प्रदेश सरकार के रुख में आने वाले बदलावों पर सभी की नजर रहेगी.

ग्वालियर। डीएलएड डिप्लोमा (D.El.Ed. Diploma) के लिए एक और मौका दिए जाने की मांग करते हुए लगाई गई याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior Bench of High Court) में प्राथमिक शाला में काम करने वाले 4 शिक्षकों ने याचिका लगाई थी. 3 साल में डीएलएड डिप्लोमा पूरा नहीं होने के कारण फेल हुए चारों शिक्षकों ने एक और मौक दिए जाने की मांग की थी.

हाईकोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी

हाईकोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी

शिक्षकों की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior Bench of High Court) ने गंभीर टिप्पणी भी की है. कोर्ट ने कहा है कि "प्राथमिक शालाओं (Primary Schools) में मिलने वाली शिक्षा भारत की नींव है. इसलिए इस शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया गया है. मध्य प्रदेश में प्राथमिक शालाओं (Primary Schools in Madhya Pradesh) में जो शिक्षक भर्ती हो रहे हैं, उनकी योग्यता कम है. प्राथमिक शालाओं में अक्षम लोग भर्ती हो रहे हैं. इसका नुकसान बच्चों को उठाना पड़ रहा है"

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हाईकोर्ट ने सरकार को भी दिए सुझाव

कोर्ट ने कहा कि हम आशा करते हैं कि "इस भर्ती के स्टैंडर्ड में सुधार होना चाहिए, जिससे अच्छे लोग प्राथमिक शालाओं की ओर आकर्षित हों. उसके लिए वेतन और भत्ते अच्छे दिए जाएं." कोर्ट ने आदेश की कॉपी विधि एवं सामान्य प्रशासन विभाग को भेजने का आदेश दिया है.

प्रदेश में 64 हजार से ज्यादा प्राइमरी स्कूल

मध्य प्रदेश में 64,137 के लगभग प्राइमरी स्कूल है, जिनमें 2 लाख प्राइमरी शिक्षक कार्यरत है. इसके साथ ही 30 लाख बच्चे प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में हाईकोर्ट के द्वारा जताई गई इस चिंता के बाद मध्य प्रदेश सरकार के रुख में आने वाले बदलावों पर सभी की नजर रहेगी.

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