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Gwalior : दावे किए 'अमृत वर्षा' करने के, 5 साल में 800 करोड़ फूंके, जनता के हिस्से में आया 'विष'

अमृत योजना और अमृत काल के बारे में तो आपने एक बार नही कई बार सुना होगा. योजना को लेकर ऐसा माहौल बनाया गया जैसे पूरे अमृत की बरसात होने लगी है, लेकिन इसकी हकीकत एमपी के ग्वालियर जिले से तब सामने आई जब यहां के लोगों को अमृत की प्यास के साथ राह चलने में जद्दोजहद का सामना करना पड़ा. देखिए स्पेशल रिपोर्ट...

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Published : Feb 14, 2023, 9:22 AM IST

Updated : Feb 14, 2023, 9:39 AM IST

Gwalior Amrit Yojana
अमृत की प्यास से लोग परेशान
कछुआ चाल से हो रहा निर्माण, 5 साल बीत जाने के बाद भी नहीं पूरा हुआ काम

ग्वालियर। ग्वालियर में निगम ने लगभग 800 करोड़ के भारी भरकम बजट से अमृत योजना आई. मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र और राज्य के मंत्रियों तक ने बड़े जोर-शोर से इसकी लॉन्चिंग करते हुए दावा किया था कि, इसके पूरे होते ही पूरे शहर में पीने के पानी का अमृत बरसेगा. पाइप लाइनों के जरिए पेयजल के ऐसे फुब्बारे छूटेंगे कि सड़क से बीस मीटर तक पानी आराम से पहुंच जाएगा. बजट खत्म हो गया. कागज में योजना पूरी भी हो गई, लेकिन अभी तक शहर में हर घर पानी पहुंचने का वादा तो सपना ही बना हुआ है, बल्कि इस योजना ने पूरे शहर में गंदगी, खुदाई और गहरे गहरे गड्ढों के रूप में शहरवासियों को तकलीफों का विष जरूर दे दिया है.

डेढ़ सौ साल पुराने तिघरा बांध से आने वाले मीठे पानी की सप्लाई घर- घर तक पहुंचे इसके लिए ग्वालियर नगर निगम ने 800 करोड़ रुपये की लागत से एक बड़ी ही महत्वाकांक्षी योजना तैयार की थी. नाम रखा गया- अमृत योजना. इस योजना को वर्ष 2017 में विधानसभा चुनावों के ठीक पहले बड़े जोर-शोर से लागू किया गया. इसे महज दो वर्ष में पूरा करके घर घर पानी पहुंचाना था लेकिन 6 साल बीतने के बाद भी अब तक यह पूरी ही नहीं हुई.प्रशासन कह रहा है कि, इसका पहला चरण पूर्ण हो गया है. जबकि असलियत में इसका दस फीसदी भी काम पूरा नहीं हुआ है. बल्कि इसने शहर को पूरी तरह से बदहाल कर दिया है.

जल प्रदाय प्रोजेक्ट- 1

  1. जल प्रदाय- तिघरा से मोतीझील होते हुए जलालपुर पर प्रस्तावित डब्ल्यूटीपी तक पाइप लाइन.
  2. लागत- 42.30 करोड़.
  3. कार्य-20 किमी पाइप लाइन डालना है.
  4. फर्म- मैमर्स कांक्रीट उद्योग झांसी.
  5. अनुबंध- 7 अक्टूबर 2017.
  6. कार्य पूरा होना था 20 अक्टूबर 2019.
  7. वर्तमान स्थिति- कार्य अभी भी चल रहा है.
  8. पांच साल बीत जाने के बाद भी कार्य चल रहे है.

ठेकेदार ने नियम विरुद्ध तरीके से खोदी सड़क, कोर्ट ने 10 दिन में सड़क दुरुस्त करने के दिए आदेश

जल प्रदाय प्रोजेक्ट- 2:

  1. शहर में पेयजल के लिए बनाई टंकियों से पाइप लाइन का कार्य.
  2. लागत- 278.35 करोड़.
  3. कार्य- 43 टंकियां बनाकर 777 किमी पाइप लाइन डालना.
  4. फर्म- मैमर्स विष्णु आर प्रकाश पंगुलिया जौधपुर.
  5. अनुबंध- 22 सितंबर 2017.
  6. कार्य पूरा होना था- 05 अक्टूबर 2019 को.
  7. वर्तमान स्थिति- कई कार्य बाकी है.
  8. पहला प्रोजेक्ट 320.65 करोड़ का था, बाद में पानी की लाइन बढ़ने पर राशि बढ़कर 345 करोड़ हो गई थी.

कछुआ चाल से निर्माण: ये अमृत योजाना के वो प्रोजेक्ट हैं जिन्हें 2017 से शुरू होकर 2019 में पूरा होना था, लेकिन अभी 2023 शुरू हो गया पांच साल बीतने के बाद भी काम खत्म नहीं हो सका है, जबकि अमृत योजना-2 के लिए भी केंद्र सरकार ने राशि जारी कर दी है. ये ग्वालियर में योजना टोटल 800 करोड़ रूपए से ज्यादा की है. जिसमें सीवर लाइन ओर पानी की लाइन बिछाई जानी थी.

इन कार्यों से उठ रहे सवाल:

  1. दावा 12 मीटर का, 3 मीटर भी नहीं चढ़ रहा पानी.
  2. लगातार गंदे पानी की सप्लाई.

लोगों को राह चलना मुश्किल: 54 करोड़ की लागत से जलालपुर में 160 एमएलडी पानी का प्लांट बनाया गया. इससे ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र की 54 टंकियों को भरा जाता है. लेकिन वर्तमान में कुछ टंकियां ही भर पा रही हैं. शहरभर में लगातार गंदे पानी की सप्लाई हो रही है. रोज लाइनें फूट रही, कोई सटीक जवाब नहीं. शहरभर में हर दिन चार-पांच स्थानों पर पानी की लाइन फूट रही हैं, इससे हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है. गंदे पानी की समस्या को लेकर कांग्रेस भी कई बार प्रदर्शन कर चुकी है, क्योंकि अमृत योजना के तहत पानी की लाइन फूट रही है. उसमें सीवर का पानी आ रहा है. एक तरफ तो 800 करोड़ की बड़ी रकम पानी में बहाने के बाद भी शहर की प्यास बुझने और सीवर के सड़कों पर ना उबलने का सपना अधूरा रहा वहीं इन योजनाओं के कारण शहर की बनी बनाई सड़कें खोदकर दाल दी गई. यह हाल किसी एक इलाके का नहीं है बल्कि छाए पॉश कॉलोनी हो या दानाओली जैसी संकरी बस्ती यहां महीनों से सड़कें खुदी पड़ीं हैं. लोगो का राह चलना मुश्किल है.

दुर्घटना का भय: लोगों का कहना है कि, एक माह पहले इसे अमृत योजना के तहत बनी हुई सड़क को खोदा गया था. इसे बंद नहीं किया गया. रोज बुजर्ग इसमें गिरते हैं. पास में स्कूल है, बच्चे आते -जाते है. किसी बड़ी दुर्घटना का भय बना रहता है. कोटेश्वर इलाके में तो और भी बदहाली है. यहां अमृत योजना में खुदाई हुई. गड्ढे भरने के लिए लोगों ने आंदोलन किया. ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न तोमर ने चप्पलें भी छोड़ी तो सड़क बन भी गई, लेकिन जैसे ही इसमें पानी सप्लाई की टेस्टिंग शुरू हुई तो पाइप फैट गए और तेज पानी सड़क को ही उड़ा ले गई. अब फिर वैसी ही स्थिति बन गई है. खुद ऊर्जामंत्री तोमर मानते हैं कि, अमृत योजना से सड़कें ख़राब हुईं हैं. लेकिन वे धीरे धीरे ठीक हो रही है.

स्थानीय युवक ने अमृत योजना के मजदूरों के साथ की मारपीट, पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी

इस योजना से लाभ क्या मिला: अब अमृत योजना को लेकर कांग्रेस विधारा तार सवाल खड़े कर रही है. कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार का कहना है कि, अमृत योजना के तहत आए करोड़ों रुपए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है. हालात यह है कि ना तो शहर की सड़कें बन पाई है और ना ही लोगों को पानी उपलब्ध हो पा रहा है. सड़कों को लेकर कहा कि लगातार अमृत योजना के तहत सड़कें खोरी जा रही है. उसके बाद उन्हें 6 महीने तक भी ठीक नहीं किया जा रहा है. हालात यह है कि शहर में ऐसे कई जगह हैं. जहां पर पिछले कई महीनों से चल कर खुद ही पड़ी है लोग परेशान हैं और शहर का भी नाम लगातार सड़कों को लेकर बदनाम हो रहा है.

कछुआ चाल से हो रहा निर्माण, 5 साल बीत जाने के बाद भी नहीं पूरा हुआ काम

ग्वालियर। ग्वालियर में निगम ने लगभग 800 करोड़ के भारी भरकम बजट से अमृत योजना आई. मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र और राज्य के मंत्रियों तक ने बड़े जोर-शोर से इसकी लॉन्चिंग करते हुए दावा किया था कि, इसके पूरे होते ही पूरे शहर में पीने के पानी का अमृत बरसेगा. पाइप लाइनों के जरिए पेयजल के ऐसे फुब्बारे छूटेंगे कि सड़क से बीस मीटर तक पानी आराम से पहुंच जाएगा. बजट खत्म हो गया. कागज में योजना पूरी भी हो गई, लेकिन अभी तक शहर में हर घर पानी पहुंचने का वादा तो सपना ही बना हुआ है, बल्कि इस योजना ने पूरे शहर में गंदगी, खुदाई और गहरे गहरे गड्ढों के रूप में शहरवासियों को तकलीफों का विष जरूर दे दिया है.

डेढ़ सौ साल पुराने तिघरा बांध से आने वाले मीठे पानी की सप्लाई घर- घर तक पहुंचे इसके लिए ग्वालियर नगर निगम ने 800 करोड़ रुपये की लागत से एक बड़ी ही महत्वाकांक्षी योजना तैयार की थी. नाम रखा गया- अमृत योजना. इस योजना को वर्ष 2017 में विधानसभा चुनावों के ठीक पहले बड़े जोर-शोर से लागू किया गया. इसे महज दो वर्ष में पूरा करके घर घर पानी पहुंचाना था लेकिन 6 साल बीतने के बाद भी अब तक यह पूरी ही नहीं हुई.प्रशासन कह रहा है कि, इसका पहला चरण पूर्ण हो गया है. जबकि असलियत में इसका दस फीसदी भी काम पूरा नहीं हुआ है. बल्कि इसने शहर को पूरी तरह से बदहाल कर दिया है.

जल प्रदाय प्रोजेक्ट- 1

  1. जल प्रदाय- तिघरा से मोतीझील होते हुए जलालपुर पर प्रस्तावित डब्ल्यूटीपी तक पाइप लाइन.
  2. लागत- 42.30 करोड़.
  3. कार्य-20 किमी पाइप लाइन डालना है.
  4. फर्म- मैमर्स कांक्रीट उद्योग झांसी.
  5. अनुबंध- 7 अक्टूबर 2017.
  6. कार्य पूरा होना था 20 अक्टूबर 2019.
  7. वर्तमान स्थिति- कार्य अभी भी चल रहा है.
  8. पांच साल बीत जाने के बाद भी कार्य चल रहे है.

ठेकेदार ने नियम विरुद्ध तरीके से खोदी सड़क, कोर्ट ने 10 दिन में सड़क दुरुस्त करने के दिए आदेश

जल प्रदाय प्रोजेक्ट- 2:

  1. शहर में पेयजल के लिए बनाई टंकियों से पाइप लाइन का कार्य.
  2. लागत- 278.35 करोड़.
  3. कार्य- 43 टंकियां बनाकर 777 किमी पाइप लाइन डालना.
  4. फर्म- मैमर्स विष्णु आर प्रकाश पंगुलिया जौधपुर.
  5. अनुबंध- 22 सितंबर 2017.
  6. कार्य पूरा होना था- 05 अक्टूबर 2019 को.
  7. वर्तमान स्थिति- कई कार्य बाकी है.
  8. पहला प्रोजेक्ट 320.65 करोड़ का था, बाद में पानी की लाइन बढ़ने पर राशि बढ़कर 345 करोड़ हो गई थी.

कछुआ चाल से निर्माण: ये अमृत योजाना के वो प्रोजेक्ट हैं जिन्हें 2017 से शुरू होकर 2019 में पूरा होना था, लेकिन अभी 2023 शुरू हो गया पांच साल बीतने के बाद भी काम खत्म नहीं हो सका है, जबकि अमृत योजना-2 के लिए भी केंद्र सरकार ने राशि जारी कर दी है. ये ग्वालियर में योजना टोटल 800 करोड़ रूपए से ज्यादा की है. जिसमें सीवर लाइन ओर पानी की लाइन बिछाई जानी थी.

इन कार्यों से उठ रहे सवाल:

  1. दावा 12 मीटर का, 3 मीटर भी नहीं चढ़ रहा पानी.
  2. लगातार गंदे पानी की सप्लाई.

लोगों को राह चलना मुश्किल: 54 करोड़ की लागत से जलालपुर में 160 एमएलडी पानी का प्लांट बनाया गया. इससे ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र की 54 टंकियों को भरा जाता है. लेकिन वर्तमान में कुछ टंकियां ही भर पा रही हैं. शहरभर में लगातार गंदे पानी की सप्लाई हो रही है. रोज लाइनें फूट रही, कोई सटीक जवाब नहीं. शहरभर में हर दिन चार-पांच स्थानों पर पानी की लाइन फूट रही हैं, इससे हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है. गंदे पानी की समस्या को लेकर कांग्रेस भी कई बार प्रदर्शन कर चुकी है, क्योंकि अमृत योजना के तहत पानी की लाइन फूट रही है. उसमें सीवर का पानी आ रहा है. एक तरफ तो 800 करोड़ की बड़ी रकम पानी में बहाने के बाद भी शहर की प्यास बुझने और सीवर के सड़कों पर ना उबलने का सपना अधूरा रहा वहीं इन योजनाओं के कारण शहर की बनी बनाई सड़कें खोदकर दाल दी गई. यह हाल किसी एक इलाके का नहीं है बल्कि छाए पॉश कॉलोनी हो या दानाओली जैसी संकरी बस्ती यहां महीनों से सड़कें खुदी पड़ीं हैं. लोगो का राह चलना मुश्किल है.

दुर्घटना का भय: लोगों का कहना है कि, एक माह पहले इसे अमृत योजना के तहत बनी हुई सड़क को खोदा गया था. इसे बंद नहीं किया गया. रोज बुजर्ग इसमें गिरते हैं. पास में स्कूल है, बच्चे आते -जाते है. किसी बड़ी दुर्घटना का भय बना रहता है. कोटेश्वर इलाके में तो और भी बदहाली है. यहां अमृत योजना में खुदाई हुई. गड्ढे भरने के लिए लोगों ने आंदोलन किया. ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न तोमर ने चप्पलें भी छोड़ी तो सड़क बन भी गई, लेकिन जैसे ही इसमें पानी सप्लाई की टेस्टिंग शुरू हुई तो पाइप फैट गए और तेज पानी सड़क को ही उड़ा ले गई. अब फिर वैसी ही स्थिति बन गई है. खुद ऊर्जामंत्री तोमर मानते हैं कि, अमृत योजना से सड़कें ख़राब हुईं हैं. लेकिन वे धीरे धीरे ठीक हो रही है.

स्थानीय युवक ने अमृत योजना के मजदूरों के साथ की मारपीट, पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी

इस योजना से लाभ क्या मिला: अब अमृत योजना को लेकर कांग्रेस विधारा तार सवाल खड़े कर रही है. कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार का कहना है कि, अमृत योजना के तहत आए करोड़ों रुपए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है. हालात यह है कि ना तो शहर की सड़कें बन पाई है और ना ही लोगों को पानी उपलब्ध हो पा रहा है. सड़कों को लेकर कहा कि लगातार अमृत योजना के तहत सड़कें खोरी जा रही है. उसके बाद उन्हें 6 महीने तक भी ठीक नहीं किया जा रहा है. हालात यह है कि शहर में ऐसे कई जगह हैं. जहां पर पिछले कई महीनों से चल कर खुद ही पड़ी है लोग परेशान हैं और शहर का भी नाम लगातार सड़कों को लेकर बदनाम हो रहा है.

Last Updated : Feb 14, 2023, 9:39 AM IST
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