ग्वालियर। मध्य प्रदेश में इस साल विधानसभा का चुनाव होना है. ऐसे में शिवराज सरकार आदिवासी वोट बैंक पर निगाह बनाए हुए हैं. यही कारण है कि आदिवासी क्षेत्रों में शिवराज सरकार कई सौगातें उन्हें दे रही हैं. इसके बावजूद ग्वालियर चंबल अंचल में आदिवासी शिवराज सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं. मंगलवार को सैकड़ों आदिवासी महिलाएं और पुरुष कलेक्ट्रेट पहुंचे और उन्होंने अपनी मांगों को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. आदिवासी एकता महासभा के बैनर तले सैकड़ों आदिवासियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कहा कि, हमारी मांगें पूरी की जाए. उन्होंने कहा कि, वह आटा बांधकर लाए हैं, जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक वह घर नहीं जाएंगे.
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सिर्फ सुर्खियां बटोर रही है सरकार: ग्वालियर के अलग-अलग इलाकों से आए सैकड़ों आदिवासियों ने कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि, सरकार आदिवासियों के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है और विज्ञापन लगवा कर सुर्खियां बटोर रही है. असल में सरकार के द्वारा जो आदिवासी भाइयों के लिए विकास हो रहा है वह सिर्फ कागजों तक ही सीमित है. उन्होंने कहा, पिछले दिनों आदिवासियों को न तो आवास दिए गए हैं और न ही सरकार के द्वारा पट्टे दिए गए हैं. साथ ही आदिवासी भाइयों को राशन भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. यही कारण है कि वह रोजी रोटी के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
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आदिवासी भाई अपना आत्म सम्मान रख रहे गिरवी: आदिवासी भाइयों का कहना है कि, सरकार स्वच्छता मिशन को लेकर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है और घर-घर शौचालय बनवाने का दावा करती है, लेकिन यह आदिवासी भाई दूसरों के खेतों में जाते हैं. यही कारण है कि उनको अपना आत्म सम्मान गिरवी रखना पड़ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, न तो इनके पास शौचालय है और न ही आवास उपलब्ध हो रहे हैं. साथ ही उन्होंने सरकार और प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन और सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना तो सभी आदिवासी भाई एकजुट होकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे.
बड़ा आंदोलन कर सकता हैं आदिवासी समाज: मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा का चुनाव होना है. ऐसे में बीजेपी आदिवासी वोट बैंक पर नजर रखे हुए हैं. यही वजह है कि उनके विकास कार्य के लिए तमाम ऐसी बड़ी सौगात है, जिन्हें लागू किया जा रहा है, लेकिन ग्वालियर में जिस तरीके से आदिवासी बाहुल्य लोग सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं. इससे सरकार और प्रशासन की नींद उड़ी हुई है. ग्वालियर चंबल संभाग में आदिवासी संख्या काफी अधिक है, यही वजह है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना तो ग्वालियर में आदिवासी बाहुल्य समाज चुनाव से पहले एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर सकता है.