ग्वालियर। किसी भी शहर की पहचान अच्छी सड़कें, साफ-सुथरा माहौल और स्वच्छ पानी को लेकर होती है, लेकिन आपको मध्य प्रदेश के एक ऐसे स्मार्ट सिटी की तस्वीर दिखा रहे हैं, जिसकी राजनीतिक दृष्टि से प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश में भी अच्छी-खासी हनक है क्योंकि उसी शहर से दो-दो केंद्रीय मंत्री (Union Civil Aviation Minister Jyotiraditya Scindia) हैं और दो-दो राज्य सरकार में भी मंत्री हैं, इसके अलावा एक प्रभारी मंत्री भी हैं, लेकिन उस शहर की एक भी सड़क चलने लायक नहीं है. इस स्मार्ट सिटी की बदहाल सड़कें (guarantee period roads are dangerous in Gwalior Smart City) देख आप भी शर्म से पानी-पानी हो जाएंगे, लेकिन सियासतदां तो लाज-शर्म धोकर पी ही चुके हैं.
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सड़क बीच गड्ढा है कि गड्ढा बीच सड़क!
ग्वालियर स्मार्ट सिटी इन दिनों भ्रंतिमान अलंकार का उत्तम उदाहरण बन गया है, जहां सड़क बीच गडढा है या गड्ढा बीच सड़क, ये तय कर पाना बेहद मुश्किल होता है. सबसे खास बात ये है कि यहां नगर निगम की गारंटी वाली 30 सड़कें बदहाल हो चुकी हैं, लेकिन उन सड़कों को ठेकेदारों से मरम्मत न कराकर नगर निगम (Municipal Corporation corporate contractor) ने उसे खुद के पैसे से मरम्मत कराने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है. अब ये बात समझ नहीं आती कि आखिर ठेकेदारों पर इतनी मेहरबानी क्यों हैं?
उखड़ गईं 3 साल की गारंटी वाली सड़कें
ग्वालियर नगर निगम सीमा क्षेत्र में करोड़ों रुपए की लागत में बनाई गई सड़कें जर्जर और बदहाल स्थिति में पहुंच गई हैं, सिर्फ 3 साल की गारंटी के साथ ठेकेदारों द्वारा बनाई गई 29 सड़कें नगर निगम पर अब भारी पड़ रही हैं, सड़कों की गारंटी होने के बाद भी नगर निगम को हर साल सड़कों के पैच वर्क के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं, बावजूद इसके नगर निगम ठेकेदारों पर कार्रवाई नहीं कर रहा है, इन सड़कों की गारंटी पीरियड तीन साल की होती है, लेकिन ये सड़कें एक-दो साल में ही उखड़ने के साथ जर्जर और बदहाल स्थिति में पहुंच गई हैं.
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सड़कों की मरम्मत के लिए मांगे 87 करोड़
नगर निगम ग्वालियर ने इन सड़कों को जब ठेकेदारों से सही कराने की बजाय इन सड़कों को दोबारा बनवाने और रिपेयर के लिए शासन से 87 करोड़ रुपए मांगा है, जबकि इन सड़कों की मरम्मत निगम के ठेकेदारों को करना है, अगर ठेकेदार नहीं करता है तो उसे ब्लैक लिस्टेड करना था, लेकिन ऐसा निगम ने नहीं किया. जिस पर कांग्रेस सवाल उठा रही है और ये आरोप लगा रही है कि अधिकांश सड़कें अमृत योजना में खुद ही गई हैं, जिन्हें सुधारने का काम उसी एजेंसी का था, लेकिन निगम ने उनसे नहीं कराया है.
रिपेयर नहीं किये सड़कें तो रद्द होंगे लाइसेंस
नगर निगम सीमा क्षेत्र की तीन विधानसभा क्षेत्रों में करीब 30 किलोमीटर की 29 सड़कें लगभग 20 करोड़ की लागत से पूर्व में बनाई गई थीं, इन सड़कों की अभी गारंटी है, ठेकेदारों ने इन सड़कों को बनाने में इतनी घटिया सामग्री का उपयोग किया है कि एक-दो साल में ही सड़कें जर्जर-बदहाल हो गईं, नियम के हिसाब से इन सड़कों का पैच वर्क ठेकेदार को कराना चाहिए, लेकिन ठेकेदार और निगम कर्मचारियों की गठजोड़ से ऐसा नहीं हो पा रहा है. इस पर नगर निगम आयुक्त किशोर कन्याल का कहना है कि सभी ठेकेदारों को नोटिस जारी कर दिए हैं, अगर वह दोबारा सड़कों को रिपेयर नहीं करते हैं तो उनके लाइसेंस निरस्त कर दिए जाएंगे.