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HC ने मांगा था अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने वाले अपराधियों पर की गई कार्रवाई ब्यौरा, नहीं दे पाई प्रदेश सरकार

हाईकोर्ट ने सरकार से अग्रिम जमानत खारिज होने वाले अपराधियों पर की गई कार्रवाई का डाटा मांगा था, जो कि सरकार पेश नहीं कर पाई. इसलिए कोर्ट ने जवाब देने के लिए सरकार को एक महीने का वक्त दिया है.

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Published : Apr 2, 2019, 5:31 PM IST

हाईकोर्ट ने सरकार को दिया एक महीने का समय

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने 29 मार्च तक सरकार से अग्रिम जमानत खारिज होने वाले अपराधियों पर की गई कार्रवाई का डाटा मांगा था. लेकिन, सरकार कोर्ट में डाटा पेश नहीं कर पाई इसलिए उसने जवाब पेश करने के लिए कोर्ट से 1 महीने का समय लिया है.

हाईकोर्ट ने सरकार को दिया एक महीने का समय

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने प्रदेश के गृह विभाग के प्रमुख सचिव और पुलिस महानिदेशक से जवाब तलब किया था. कोर्ट ने सरकार से उन आरोपियों कि जानकारी मांगी थी जिनकी अग्रिम जमानत कोर्ट ने खारिज कर दी हो. कोर्ट ने उन पर की गई कार्रवाई का ब्यौरा पेश करने के लिए कहा था. लेकिन सरकार 29 मार्च तक कोर्ट में जवाब पेश करने में असफल रही. सरकार ने पूरे प्रेदश के आरोपियों का डाटा इकट्ठा करने के लिए कोर्ट से 1 महीने का समय मांगा है.

इस मामले की अगली सुनवाई संभवतः 30 अप्रैल को होगी. इस सुनवाई में सरकार पिछले 8 सालों का डाटा कोर्ट में पेश करेगी.

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने 29 मार्च तक सरकार से अग्रिम जमानत खारिज होने वाले अपराधियों पर की गई कार्रवाई का डाटा मांगा था. लेकिन, सरकार कोर्ट में डाटा पेश नहीं कर पाई इसलिए उसने जवाब पेश करने के लिए कोर्ट से 1 महीने का समय लिया है.

हाईकोर्ट ने सरकार को दिया एक महीने का समय

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने प्रदेश के गृह विभाग के प्रमुख सचिव और पुलिस महानिदेशक से जवाब तलब किया था. कोर्ट ने सरकार से उन आरोपियों कि जानकारी मांगी थी जिनकी अग्रिम जमानत कोर्ट ने खारिज कर दी हो. कोर्ट ने उन पर की गई कार्रवाई का ब्यौरा पेश करने के लिए कहा था. लेकिन सरकार 29 मार्च तक कोर्ट में जवाब पेश करने में असफल रही. सरकार ने पूरे प्रेदश के आरोपियों का डाटा इकट्ठा करने के लिए कोर्ट से 1 महीने का समय मांगा है.

इस मामले की अगली सुनवाई संभवतः 30 अप्रैल को होगी. इस सुनवाई में सरकार पिछले 8 सालों का डाटा कोर्ट में पेश करेगी.

Intro:ग्वालियर
हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच द्वारा प्रदेश के गृह विभाग के प्रमुख सचिव और पुलिस महानिदेशक से फरार आरोपियों के बारे में मांगी गई जानकारी को सरकार पेश नहीं कर सकी है। सरकार ने पूरे प्रदेश का डाटा इकट्ठा करने के लिए 1 महीने का समय मांगा है।


Body:दरअसल शिवपुरी जिले के एक गांव में पुलिस के गश्ती दल और अज्ञात लोगों के बीच मुठभेड़ हो गई थी जिसमें एक व्यक्ति घायल हो गया था इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से एक दूसरे के खिलाफ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज कराया गया था।बाद मे घायल व्यक्ति ने पुलिस अफसर के पक्ष में अपना बयान दिया। जिस पर हाईकोर्ट ने राजीनामा मंजूर कर लिया। लेकिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की जिस पर मामले का फिर से अनुसंधान होने लगा। इस बीच पुलिस सब इंस्पेक्टर राजवीर सिंह ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की। हाई कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि 2011 से फरार पुलिस दरोगा को अब तक क्यों नहीं पकड़ा गया पुलिस महानिदेशक और गृह सचिव से ऐसे सभी मामलों की जानकारी मांगी गई जिसमें हाई कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।


Conclusion:पिछले दिनों शिवपुरी पुलिस ने आरोपी दरोगा राजवीर सिंह को गिरफ्तार कर लिया। इस पर उसके अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत याचिका की अर्जी वापस ले ली लेकिन हाई कोर्ट में पिछले 8 सालों से फरार लोगों के बारे में जानकारी देने के लिए सरकार ने कोर्ट से समय मांगा जिस पर कोर्ट ने 1 महीने का वक्त सरकार को दिया है। अब इस मामले पर संभवतः 30 अप्रैल को सुनवाई होगी ।
बाइट एचके शुक्ला याचिकाकर्ता के अधिवक्ता
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