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Gwalior Hospitals: ट्रीटमेंट में लापरवाही करने वाले दो निजी अस्पतालों पर 5-5 लाख रुपए जुर्माना - अस्पताल में होम्योपैथिक डॉक्टर

ग्वालियर में करीब नौ साल पहले तीन साल की बच्ची के इलाज में लापरवाही करने वाले दो निजी अस्पतालों पर कंज्यूमर कोर्ट ने 10 लाख रुपए का जुर्माना किया है. इनमें मेहरा बाल चिकित्सालय और मैस्कॉट हॉस्पिटल शामिल हैं. बच्ची के पिता ने इस मामले को लेकर काफी संघर्ष किया. बच्ची के इलाज में कदम दर कदम लापरवाही बरतना पाया गया. (Rs 5 lakh fine on two hospital) (Mehra hospital and mascot hospital) (Negligence in treatment Gwalior)

Mehra hospital and mascot hospital
ग्वालियर में दो निजी अस्पतालों पर जुर्माना
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Published : Aug 9, 2022, 6:10 PM IST

ग्वालियर। अधिवक्ता मनोज उपाध्याय की तीन साल की बेटी गार्गी को 25 जनवरी 2013 को मेहरा बाल चिकित्सालय अनुपम नगर में डॉ.डीडी शर्मा द्वारा रेफर किया गया था. गार्गी को निमोनिया की शिकायत थी. मेहरा अस्पताल में डॉ. आरके मेहरा एवं डॉ.अंशुल मेहरा बच्चों के डॉक्टर के रूप काम करते थे. अंशुल मेहरा खुद को एमडी पीडियाट्रिशियन यूएसए की एमडी डिग्री बताते थे. अधिवक्ता मनोज उपाध्याय का कहना है कि गार्गी को निमोनिया होने के बावजूद मेहरा अस्पताल में एक घंटे के भीतर 500ml नॉरमल सलाइन की बोतल चढ़ा दी.

अस्पताल में होम्योपैथिक डॉक्टर : इसके बाद स्वास्थ्य बिगड़ने पर बच्ची को आईवी फ्लूड दिया जाता रहा. जिससे गार्गी के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा. अंशुल मेहरा ने भर्ती के 3 घंटे बाद ही वेंटिलेटर की जरूरत बताते हुए मैस्कॉट हॉस्पिटल बच्ची को रेफर कर दिया. मैस्कॉट हॉस्पिटल सिंधी कॉलोनी कंपू के मालिक अशोक अग्रवाल थे. अस्पताल अधीक्षक के रूप में डॉ. सीमा शिवहरे एवं बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में डॉ. मनोज बंसल कार्य करते थे. मैस्कॉट हॉस्पिटल में गार्गी को पीआईसीयू में भर्ती कराया गया. इस अस्पताल में शैलेंद्र साहू और अवधेश दिवाकर को ड्यूटी डॉक्टर के रूप में तैनात किया गया था, जबकि ये होम्योपैथिक के डॉक्टर से और पढ़ाई कर रहे थे.

ट्रीटमेंट की शीट बदल दी : डॉ.आरके मेहरा द्वारा गार्गी के इलाज की सीट भी बदली गई थी. अंशुल मेहरा और आरके गोयल के खिलाफ विश्वविद्यालय थाने में आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया था. बाद में इसमें धारा 304 का इजाफा किया गया.अधिवक्ता द्वारा जब दोनों अस्पतालों के डॉक्टरों के मामले को कोर्ट में ले जाया गया तो मैस्कॉट हॉस्पिटल का लाइसेंस सीएमएचओ द्वारा निरस्त कर दिया गया.

अस्पताल में अमानवीयता: नसबंदी के बाद महिलाओं को जमीन पर लेटाया, मेडिकल ऑफिसर बोले यह महिलाओं की ही गलती

इंदौर से हुआ फैसला : अधिवक्ता ने विगत 20 जनवरी 2015 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत 20 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति की राशि का आवेदन पेश किया था. इस मामले को इंदौर ट्रांसफर कराया गया था, जहां जिला उपभोक्ता फोरम में सत्येंद्र जोशी और कुंदन चौहान सहित साधना शर्मा ने ये आदेश पारित किया. इसमें नेहरा अस्पताल पर पांच लाख और मैस्कॉर्ट हॉस्पिटल पर पांच लाख रुपए क्षति पूर्ति की राशि एक महीने में देने के आदेश दिए गए हैं. (Rs 5 lakh fine on two hospital) (Mehra hospital and mascot hospital) (negligence in treatment Gwalior)

ग्वालियर। अधिवक्ता मनोज उपाध्याय की तीन साल की बेटी गार्गी को 25 जनवरी 2013 को मेहरा बाल चिकित्सालय अनुपम नगर में डॉ.डीडी शर्मा द्वारा रेफर किया गया था. गार्गी को निमोनिया की शिकायत थी. मेहरा अस्पताल में डॉ. आरके मेहरा एवं डॉ.अंशुल मेहरा बच्चों के डॉक्टर के रूप काम करते थे. अंशुल मेहरा खुद को एमडी पीडियाट्रिशियन यूएसए की एमडी डिग्री बताते थे. अधिवक्ता मनोज उपाध्याय का कहना है कि गार्गी को निमोनिया होने के बावजूद मेहरा अस्पताल में एक घंटे के भीतर 500ml नॉरमल सलाइन की बोतल चढ़ा दी.

अस्पताल में होम्योपैथिक डॉक्टर : इसके बाद स्वास्थ्य बिगड़ने पर बच्ची को आईवी फ्लूड दिया जाता रहा. जिससे गार्गी के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा. अंशुल मेहरा ने भर्ती के 3 घंटे बाद ही वेंटिलेटर की जरूरत बताते हुए मैस्कॉट हॉस्पिटल बच्ची को रेफर कर दिया. मैस्कॉट हॉस्पिटल सिंधी कॉलोनी कंपू के मालिक अशोक अग्रवाल थे. अस्पताल अधीक्षक के रूप में डॉ. सीमा शिवहरे एवं बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में डॉ. मनोज बंसल कार्य करते थे. मैस्कॉट हॉस्पिटल में गार्गी को पीआईसीयू में भर्ती कराया गया. इस अस्पताल में शैलेंद्र साहू और अवधेश दिवाकर को ड्यूटी डॉक्टर के रूप में तैनात किया गया था, जबकि ये होम्योपैथिक के डॉक्टर से और पढ़ाई कर रहे थे.

ट्रीटमेंट की शीट बदल दी : डॉ.आरके मेहरा द्वारा गार्गी के इलाज की सीट भी बदली गई थी. अंशुल मेहरा और आरके गोयल के खिलाफ विश्वविद्यालय थाने में आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया था. बाद में इसमें धारा 304 का इजाफा किया गया.अधिवक्ता द्वारा जब दोनों अस्पतालों के डॉक्टरों के मामले को कोर्ट में ले जाया गया तो मैस्कॉट हॉस्पिटल का लाइसेंस सीएमएचओ द्वारा निरस्त कर दिया गया.

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इंदौर से हुआ फैसला : अधिवक्ता ने विगत 20 जनवरी 2015 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत 20 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति की राशि का आवेदन पेश किया था. इस मामले को इंदौर ट्रांसफर कराया गया था, जहां जिला उपभोक्ता फोरम में सत्येंद्र जोशी और कुंदन चौहान सहित साधना शर्मा ने ये आदेश पारित किया. इसमें नेहरा अस्पताल पर पांच लाख और मैस्कॉर्ट हॉस्पिटल पर पांच लाख रुपए क्षति पूर्ति की राशि एक महीने में देने के आदेश दिए गए हैं. (Rs 5 lakh fine on two hospital) (Mehra hospital and mascot hospital) (negligence in treatment Gwalior)

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