ग्वालियर। इस समय पूरे देश भर में कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचा दिया है और इस संक्रमण के बीच लगातार मास्क और सैनिटाइजर की मांग काफी बढ़ गई है. इस कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए लोग सैनिटाइजर का अधिक उपयोग कर रहे हैं. लेकिन इसी बीच बाजार में कई ऐसी कंपनियां उतर आई है, जो धड़ल्ले से नकली सैनिटाइजर मार्केट में उतार रही है. यह सैनिटाइजर लोगों के लिए काफी हानिकारक होता जा रहा है. लेकिन नकली सैनिटाइजर बेचने वाली कंपनियों पर किसी की कोई नजर नहीं है और यही वजह है कि इसका फायदा उठाकर शहर में कई कंपनी धड़ल्ले से नकली सैनिटाइजर बेच रही है. जब इस मुद्दे को ईटीवी भारत ने अधिकारियों के संज्ञान में लाया, तो उन्होंने नकली सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियों की निगरानी करने की बात कही है.
- लोग धड़ल्ले से उपयोग कर रहे सैनिटाइजर
साल 2020 में आई कोरोना महामारी के आगाज के बाद अब दूसरी लहर भी बड़ी संख्या में लोगों की जान ले रही है. वैक्सीन के बाद इस संक्रमण से बचाव का सबसे अच्छा हथियार मास्क और सैनिटाइजर को माना जा रहा है. यही वजह है कि हर व्यक्ति की जेब में सैनिटाइजर जरूर मिल रहा है. वह दिन में कई बार सैनिटाइजर का उपयोग कर रहे है. सैनिटाइजर की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. टॉप ब्रांड कंपनियों के साथ-साथ लोकल कंपनियां बाजार में कूद चुकी है, और तरह-तरह के सैनिटाइजर बना रही है. यही वजह है कि इस शहर में कई प्रकार के सैनिटाइजर उपलब्ध है. लेकिन बाजार में जो सैनिटाइजर बेचे जा रहे है उनमें कौन सा सैनिटाइजर असली है और नकली, इसकी पहचान करना लोगों के लिए आसान नहीं है. यही वजह है कि शहर में कई प्रकार के सैनिटाइजर धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं.
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- नकली सैनिटाइजर की निगरानी के लिए नहीं है टीम
जैसे-जैसे कोरोना संक्रमण का समय बीतता जा रहा है, वैसे ही रोज नए-नए ब्रांड के सैनिटाइजर बाजार में उतर रहे है. लोग धड़ल्ले से इन्हें खरीद भी रहे हैं. खरीदते समय किसी भी व्यक्ति को नहीं पता चाहिए सैनिटाइजर असली है या नकली. और ना ही इसके लिए प्रशासन की ओर से कोई इंतजाम है. यही वजह है कि नकली सैनिटाइजर बनाने वाले लोग धड़ल्ले से सैनिटाइजर बेचकर लोगों के साथ के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. जब ईटीवी भारत ने जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर मनीष शर्मा से बातचीत की, तो उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दा आपने मेरी संज्ञान में लाया है. इसको लेकर ड्रग इंस्पेक्टर को निर्देशित करता हूं और जल्द ही हम शहर में बिकने वाले और बनाने वाले सैनिटाइजर की क्वालिटी टेस्ट करवाएंगे. अगर मापदंड के अनुसार गलत पाया जाता है, तो उन पर कार्रवाई करेंगे.
- डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के तहत इस तरह बनता है सैनिटाइजर
डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के तहत असली सैनिटाइजर बनाने के लिए 70 प्रतिशत आइसो प्रोपाइल अल्कोहल या एथेनॉल लिया जाता है. उसके बाद 2ml हाइड्रोजन परॉक्साइड और 5ml ग्लिसरीन लेते हैं. इसके साथ 30% बॉयज कोल्ड वाटर मिलाते हैं. इसके साथ ही सीनेटर की खुशबू या फिर चिकनाहट के लिए एलोवेरा या गुलाब जल लेते हैं. इस तरह असली सैनिटाइजर तैयार किया जाता है. जो वायरस को खत्म करने में मदद करता है. अगर इससे कम प्रतिशत में हम अल्कोहल का उपयोग करते हैं, तो वायरस को यह सैनिटाइजर नहीं मार पाता है.
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- नकली सैनिटाइजर बनाने के लिए मिलाते हैं मिथिनॉल
जीवाजी विश्वविद्यालय की सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर साधना श्रीवास्तव ने बताया कि इस शहर में अब ऐसी बहुत सारी कंपनियां आ गई है, जो नकली सैनिटाइजर बना रही है. नकली सैनिटाइजर बनाने के लिए यह कंपनियां मिथिनॉल का उपयोग कर रही है. यह शरीर के लिए बेहद हानिकारक होता है. ऐसी कंपनियां अपने फायदे के लिए सबसे अधिक सैनिटाइजर बनाने के लिए मिथिनॉल का उपयोग करती है. इससे वह अपना पैसा बचा लेती है, लेकिन सैनिटाइजर में मिथिनॉल का उपयोग अधिक उपयोग होना शरीर के लिए बेहद हानिकारक होता है. यह सीधे नर्वस सिस्टम पर प्रभाव डालता है. जिससे लोगों को हार्टअटैक का भी खतरा होता है साथ ही उनकी स्किन भी प्रभावित हो जाती है.