ग्वालियर। पूरी दुनिया कोरोना के कहर से कराह रही है, भारत भी इससे अछूता नहीं है, यहां भी कोरोना तेजी से अपने पांव पसार रहा है, कोरोना का संक्रमण 40 साल से अधिक उम्र के लोगों को अधिक संक्रमित कर रहा है, जबकि बच्चों को भी इससे बचाने की जद्दोजहद हो रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक्सटर्नल एडवाइजरी समूह में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहीं ग्वालियर की नेहा शर्मा ने ईटीवी भारत से बात की. उन्होंने बताया कि कैसे कोरोना महामारी से बच्चों को बचाएं, पेश है साक्षात्कार के कुछ अंश.
सवाल- WHO की ईएजी ग्रुप के लिए भारत से आपको चयनित किया है, इसके बारे में थोड़ा विस्तृत जानकारी दें.
नेहा- मुझे WHO द्वारा एक्सटर्नल एडवाइजरी ग्रुप में शामिल किया गया है, जो ग्लोबल हेल्थ स्टैंडर्ड स्कूल बनाने की प्रक्रिया में शामिल होंगे. इसमें लगभग 23 देशों के प्रतिनिधि शामिल किए गए हैं, जिसमें भारत की तरफ से मुझे शामिल किया गया है.
सवाल- कोरोना महामारी के बीच जब बच्चे स्कूल जाएंगे तो बच्चों का किस तरीके से ख्याल रखा जाए.
नेहा- इस समय पूरे देश में कोरोना महामारी को लेकर एक भय और डर का माहौल बना है., जाहिर है बस थोड़े दिनों बाद इस महामारी से लोगों को राहत मिल जाएगी और थोड़े समय बाद हमारे बच्चे स्कूल जाना शुरु कर देंगे, पर हमे इसे गंभीरता से लेना है, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है, हाथ धोने से लेकर मास्क का प्रयोग करना है, ताकि बच्चों को स्कूल जाते समय कोई दिक्कत न हो.
सवाल- स्कूल प्रबंधकों को स्कूल में क्या व्यवस्थाएं करनी होगी ताकि बच्चों के मन से कोरोना के डर को निकाला जा सके.
नेहा- इस भय के माहौल में स्कूल प्रबंधक के लिए चुनौती होगी. उनको अपने स्कूल में साफ-सफाई से लेकर सैनिटाइजर की उचित व्यवस्था करनी होगी. स्कूल में बाथरूम साफ-सुथरे रखने होंगे, रोजाना साफ कराना होगा. बच्चों के बार-बार हाथ धुलाने होंगे. एक दूरी मेंटेन करके उनको पढ़ाना होगा और हर बच्चे के स्वास्थ्य पर विशेष निगरानी की आवश्यकता होगी.
सवाल- स्कूलों में बच्चों के लिए सरकार की तरफ से हेल्थ को लेकर क्या गाइड लाइन होनी चाहिए.
नेहा- स्कूल प्रबंधक को बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना होगा, उनके इम्यूनिटी पावर को बढ़ाने के लिए उनके पैरेंट्स पर जोर देना होगा. साथ ही खेलकूद के साथ-साथ योगा पर भी विशेष देना होगा.