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ईटीवी भारत ने मुरार जिला अस्पताल का किया रियलिटी चेक, पीने के पानी की व्यवस्था तक नहीं

राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल और शहडोल अस्पताल में अव्यवस्थाओं के बाद प्रदेशभर में अस्पताल की रियलिटी चेक के लिए ईटीवी भारत ग्वालियर के मुरार जिला अस्पताल पहुंचा. जहां मरीजों के लिए स्वच्छ पानी की व्यवस्था तक नहीं थी. लोगों को पेजयल के लिए मिनरल बॉटल बाजार से खरीदनी पड़ रही है. वहीं सिविल सर्जन डॉक्टर डीके शर्मा ने कहा है कि बिजली की समस्या के स्थाई समाधान के लिए हाईटेंशन लाइन का कनेक्शन लिया जा रहा है.

Murar District Hospital
मुरार जिला अस्पताल
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Published : Dec 16, 2020, 6:23 PM IST

ग्वालियर। राजधानी के हमीदिया अस्पताल और शहडोल अस्पताल में अव्यवस्थाओं को लेकर हुई जनहानि के बाद अब प्रदेश के अस्पतालों में एक बार फिर मरीजों की सुविधाओं पर बहस छिड़ गई है. कई अस्पतालों में साफ-सफाई, बिजली-पानी और ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर एक बार फिर से नए सिरे से व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग उठने लगी है. ग्वालियर के उपनगर मुरार जिला अस्पताल में भी अधिकांश व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं, लेकिन प्रसूति वार्ड में अस्पताल में पीने के पानी की कोई भी व्यवस्था नहीं है. फिलहाल बिजली की सप्लाई बाधित नहीं हैं, और कभी कभार लाइट के जाने से जनरेटर का सहारा लिया जाता है.

मुरार जिला अस्पताल में पेयजल को लेकर नहीं है माकूल इंतजाम

अस्पताल में नहीं स्वच्छ पानी की व्यवस्था

मुरार जिला अस्पताल की प्रसूता इकाई में 70 बेड हैं, जबकि 20 बेड नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई के हैं. जहां ज्यादा क्षमता से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने मुरार जिला अस्पताल का रियलिटी चेक किया, तो सामने आया कि गहन चिकित्सा इकाई में क्षमता 20 के मुकाबले 25 शिशु एडमिट थे. वहां बिजली और ऑक्सीजन की सप्लाई बराबर दिखी, लेकिन अधिकांश लोगों की शिकायत है कि अस्पताल में पीने का पानी नहीं है. सिर्फ हाथ धोने के लिए ही पानी की व्यवस्था है. उधर जिला अस्पताल के दूसरे हिस्से में 130 बेड हैं. जिनमें से 78 बेड को कोविड-19 में रखा गया है. हालांकि यहां मरीज सिर्फ तेरह ही भर्ती मिले. करीब 60 बेड आर्थोपेडिक विभाग में हैं. इनमें से सिर्फ 4 बेड मेडिसिन और 4 बेड सर्जरी के लिए रिजर्व हैं. एसएनसीयू में भर्ती नवजात बच्चे के अभिभावक मानते हैं कि बिजली और ऑक्सीजन सप्लाई में फिलहाल कोई समस्या नहीं है.

हाइटेंशन लाइन से लिया जा रहा है कनेक्शन: सिविल सर्जन

प्रसूता वार्ड में अभी सुबह शाम दो समय साफ सफाई की जाती है, लेकिन विभाग में पेयजल को लेकर जरूर समस्या है, लोगों का कहना है कि उन्हें बाहर से पानी की बोतल खरीदनी पड़ती है. अभी सर्दी है, तो कम खपत है लेकिन गर्मियों में पानी की बड़ी समस्या होती है. उधर मुरार जिला अस्पताल में पदस्थ सिविल सर्जन डॉक्टर डीके शर्मा ने कहा है कि बिजली की समस्या के स्थाई समाधान के लिए हाईटेंशन लाइन का कनेक्शन लिया जा रहा है. जिसके आने के बाद कभी भी आधा घंटे से ज्यादा बिजली बाधित नहीं होगी. उन्होंने अस्पताल में पेयजल की समस्या दूर करने के लिए करीब 52 समाज सेवी संस्थाओं ने संपर्क किया है और 21 दिसंबर से विभिन्न सामाजिक संस्थाएं यहां आकर अस्पताल की समस्याओं को दुरुस्त करेंगी. जिनकी सरकार भी मदद करेगी.

ग्वालियर। राजधानी के हमीदिया अस्पताल और शहडोल अस्पताल में अव्यवस्थाओं को लेकर हुई जनहानि के बाद अब प्रदेश के अस्पतालों में एक बार फिर मरीजों की सुविधाओं पर बहस छिड़ गई है. कई अस्पतालों में साफ-सफाई, बिजली-पानी और ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर एक बार फिर से नए सिरे से व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग उठने लगी है. ग्वालियर के उपनगर मुरार जिला अस्पताल में भी अधिकांश व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं, लेकिन प्रसूति वार्ड में अस्पताल में पीने के पानी की कोई भी व्यवस्था नहीं है. फिलहाल बिजली की सप्लाई बाधित नहीं हैं, और कभी कभार लाइट के जाने से जनरेटर का सहारा लिया जाता है.

मुरार जिला अस्पताल में पेयजल को लेकर नहीं है माकूल इंतजाम

अस्पताल में नहीं स्वच्छ पानी की व्यवस्था

मुरार जिला अस्पताल की प्रसूता इकाई में 70 बेड हैं, जबकि 20 बेड नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई के हैं. जहां ज्यादा क्षमता से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने मुरार जिला अस्पताल का रियलिटी चेक किया, तो सामने आया कि गहन चिकित्सा इकाई में क्षमता 20 के मुकाबले 25 शिशु एडमिट थे. वहां बिजली और ऑक्सीजन की सप्लाई बराबर दिखी, लेकिन अधिकांश लोगों की शिकायत है कि अस्पताल में पीने का पानी नहीं है. सिर्फ हाथ धोने के लिए ही पानी की व्यवस्था है. उधर जिला अस्पताल के दूसरे हिस्से में 130 बेड हैं. जिनमें से 78 बेड को कोविड-19 में रखा गया है. हालांकि यहां मरीज सिर्फ तेरह ही भर्ती मिले. करीब 60 बेड आर्थोपेडिक विभाग में हैं. इनमें से सिर्फ 4 बेड मेडिसिन और 4 बेड सर्जरी के लिए रिजर्व हैं. एसएनसीयू में भर्ती नवजात बच्चे के अभिभावक मानते हैं कि बिजली और ऑक्सीजन सप्लाई में फिलहाल कोई समस्या नहीं है.

हाइटेंशन लाइन से लिया जा रहा है कनेक्शन: सिविल सर्जन

प्रसूता वार्ड में अभी सुबह शाम दो समय साफ सफाई की जाती है, लेकिन विभाग में पेयजल को लेकर जरूर समस्या है, लोगों का कहना है कि उन्हें बाहर से पानी की बोतल खरीदनी पड़ती है. अभी सर्दी है, तो कम खपत है लेकिन गर्मियों में पानी की बड़ी समस्या होती है. उधर मुरार जिला अस्पताल में पदस्थ सिविल सर्जन डॉक्टर डीके शर्मा ने कहा है कि बिजली की समस्या के स्थाई समाधान के लिए हाईटेंशन लाइन का कनेक्शन लिया जा रहा है. जिसके आने के बाद कभी भी आधा घंटे से ज्यादा बिजली बाधित नहीं होगी. उन्होंने अस्पताल में पेयजल की समस्या दूर करने के लिए करीब 52 समाज सेवी संस्थाओं ने संपर्क किया है और 21 दिसंबर से विभिन्न सामाजिक संस्थाएं यहां आकर अस्पताल की समस्याओं को दुरुस्त करेंगी. जिनकी सरकार भी मदद करेगी.

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