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कुलियों पर गहराया 'आर्थिक संकट', दो वक्त की रोटी के लिए कर रहे इंतजार - ग्वालियर न्यूज

कोरोना के इस दौर में लोगों का बोझ उठाने वाले कुलियों को आर्थिक तंगी का सामना कर रहे है. कुली दो वक्त की रोटी के लिए दिनभर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों का इंतजार कर रहे है. कोरोना संक्रमण की वजह से एक ओर तो रेलवे ने ट्रेनों की संख्या कम कर दी है, वहीं दूसरी ओर यात्री अपना सामान खुद उठाना मुनासिब समझ रहे है.

'Economic crisis' deepens on porters
कुलियों पर गहराया 'आर्थिक संकट'
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Published : May 4, 2021, 7:20 PM IST

ग्वालियर। इस समय पूरे देशभर के कई राज्यों में बढ़ते कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकारों ने कोरोना कर्फ्यू लागू कर दिया है. संक्रमण की वजह से अब धीरे-धीरे सरकार सभी आवागमन के साधनों पर प्रतिबंध लगा रही है. कोरोना को रोकने के लिए रेलवे भी ट्रेनों का संचालन कम करने में लगा हुआ है. ट्रेनों का संचालन कम होने से यात्रियों की संख्या भी लगातार कम होती जा रही है. यही वजह है कि अब कुलियों के जीवन पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है, हालात यह हो चुके हैं कि स्टेशन पर दूसरों का बोझ उठाने वाले यह कुली अब अपनी भूख का बोझ नहीं उठा पा रहे हैं. कुली दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो रहे हैं. अभी तक इनकी सुध लेने के लिए कोई भी सामने नहीं आया है.

कुलियों पर गहराया 'आर्थिक संकट'
  • 2020 से ही कुलियों के जीवन पर मंडराया आर्थिक संकट

साल 2020 में मार्च के महीने में कोरोना महामारी को रोकने के लिए लॉकडाउन की शुरुआत हुई थी. उसके बाद सभी ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया. संचालन बंद होने के बाद कुलियों के जीवन पर भी एक बड़ा संकट मंडराने लगा. कुली दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो रहे है. 2020 के बाद से ही ट्रेनों का संचालन निरंतर चालू नहीं हो पाया है. उसके पहले ही 2021 में फिर से कोरोना महामारी ने दस्तक दे दी है. अब हालात यह हो चुके हैं जो ट्रेनें संचालित हो रही है, केंद्र सरकार उनको भी अब धीरे-धीरे बंद कर रही है. ट्रेनों का संचालन बंद होने से इसका सीधा असर कुलियों पर पड़ रहा है. अब हालात यह हो चुके हैं कि दिन में दो या चार ट्रेन रुकती है, कुली इन ट्रेनों में यात्री का इंतजार करते हैं, लेकिन संक्रमण के कारण यात्री भी ना के बराबर आ रहे हैं.

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  • 10 फीसदी रह गई है कुलियों की संख्या

ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर दूसरा का बोझ उठाने वाले कुलियों की संख्या 110 से 120 तक है, लेकिन इस समय पूरी तरीके से ट्रेनों का संचालन ना होने के कारण यात्री नहीं आ रहे है, इस वजह से इन कुलियों को पैसा नहीं मिल पा रहे. अब सिर्फ स्टेशन पर 10 कुली मौजूद है और यह भी अपनी आजीविका चलाने के लिए यात्रियों का इंतजार करते हैं, लेकिन इस समय को संक्रमण होने के कारण यात्री भी इन कुलियों की मदद नहीं ले रहे हैं. वह खुद ही अपना सामान ले जा रहे हैं. इस कारण यह कुली भी दिन भर दो पैसे की आस में बैठे रहते हैं.

  • 2 फीसदी यात्री ही उठा रहे अपना सामान

कुलियों का कहना है कि इस समय कोरोना संक्रमण का सब को डर है. यही वजह है कि ज्यादातर यात्री ऐसे हैं जो कम सामान लेकर यात्रा कर रहे हैं. जो यात्री सामान के साथ यात्रा कर रहे हैं उनमें अधिकतर यात्री ऐसे हैं जो अपने सामान को खुद ही उठा रहे हैं. कोरोना संक्रमण का इतना डर है कि वह कुलियों की मदद भी नहीं ले रहे हैं. यही वजह है कि स्टेशन पर मौजूद गिने-चुने कुली यात्रियों की राह देखते है कि कोई यात्री आए और उनसे सामान उठाने के लिए बोले. लेकिन हालात ऐसे हो चुके हैं कि यात्री अपना सामान या खुद उठा रहे है.

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  • सरकार और विभाग की तरफ से नहीं मिली मदद

ईटीवी भारत से स्टेशन पर मौजूद 10 फीसदी कुलियों ने मदद की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि साल 2020 से ही सभी कुलियों पर आर्थिक संकट छाया है, लेकिन अभी तक न तो सरकार और न ही रेल विभाग उनकी मदद के लिए आगे आया है. हालात यह हो चुके हैं कि कई कुली भाई तो ऐसे हैं जिन्होंने यह पैशा छोड़कर कहीं दूसरी जगह काम कर रहे हैं ताकि उन्हें दो वक्त की रोटी मिल सके. वही कुछ कुली ऐसे है जो दो वक्त की रोटी की आस में सुबह स्टेशन पर पहुंच जाते हैं, लेकिन शाम तक उनकी जेब खाली रह जाती है.

ग्वालियर। इस समय पूरे देशभर के कई राज्यों में बढ़ते कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकारों ने कोरोना कर्फ्यू लागू कर दिया है. संक्रमण की वजह से अब धीरे-धीरे सरकार सभी आवागमन के साधनों पर प्रतिबंध लगा रही है. कोरोना को रोकने के लिए रेलवे भी ट्रेनों का संचालन कम करने में लगा हुआ है. ट्रेनों का संचालन कम होने से यात्रियों की संख्या भी लगातार कम होती जा रही है. यही वजह है कि अब कुलियों के जीवन पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है, हालात यह हो चुके हैं कि स्टेशन पर दूसरों का बोझ उठाने वाले यह कुली अब अपनी भूख का बोझ नहीं उठा पा रहे हैं. कुली दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो रहे हैं. अभी तक इनकी सुध लेने के लिए कोई भी सामने नहीं आया है.

कुलियों पर गहराया 'आर्थिक संकट'
  • 2020 से ही कुलियों के जीवन पर मंडराया आर्थिक संकट

साल 2020 में मार्च के महीने में कोरोना महामारी को रोकने के लिए लॉकडाउन की शुरुआत हुई थी. उसके बाद सभी ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया. संचालन बंद होने के बाद कुलियों के जीवन पर भी एक बड़ा संकट मंडराने लगा. कुली दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो रहे है. 2020 के बाद से ही ट्रेनों का संचालन निरंतर चालू नहीं हो पाया है. उसके पहले ही 2021 में फिर से कोरोना महामारी ने दस्तक दे दी है. अब हालात यह हो चुके हैं जो ट्रेनें संचालित हो रही है, केंद्र सरकार उनको भी अब धीरे-धीरे बंद कर रही है. ट्रेनों का संचालन बंद होने से इसका सीधा असर कुलियों पर पड़ रहा है. अब हालात यह हो चुके हैं कि दिन में दो या चार ट्रेन रुकती है, कुली इन ट्रेनों में यात्री का इंतजार करते हैं, लेकिन संक्रमण के कारण यात्री भी ना के बराबर आ रहे हैं.

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  • 10 फीसदी रह गई है कुलियों की संख्या

ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर दूसरा का बोझ उठाने वाले कुलियों की संख्या 110 से 120 तक है, लेकिन इस समय पूरी तरीके से ट्रेनों का संचालन ना होने के कारण यात्री नहीं आ रहे है, इस वजह से इन कुलियों को पैसा नहीं मिल पा रहे. अब सिर्फ स्टेशन पर 10 कुली मौजूद है और यह भी अपनी आजीविका चलाने के लिए यात्रियों का इंतजार करते हैं, लेकिन इस समय को संक्रमण होने के कारण यात्री भी इन कुलियों की मदद नहीं ले रहे हैं. वह खुद ही अपना सामान ले जा रहे हैं. इस कारण यह कुली भी दिन भर दो पैसे की आस में बैठे रहते हैं.

  • 2 फीसदी यात्री ही उठा रहे अपना सामान

कुलियों का कहना है कि इस समय कोरोना संक्रमण का सब को डर है. यही वजह है कि ज्यादातर यात्री ऐसे हैं जो कम सामान लेकर यात्रा कर रहे हैं. जो यात्री सामान के साथ यात्रा कर रहे हैं उनमें अधिकतर यात्री ऐसे हैं जो अपने सामान को खुद ही उठा रहे हैं. कोरोना संक्रमण का इतना डर है कि वह कुलियों की मदद भी नहीं ले रहे हैं. यही वजह है कि स्टेशन पर मौजूद गिने-चुने कुली यात्रियों की राह देखते है कि कोई यात्री आए और उनसे सामान उठाने के लिए बोले. लेकिन हालात ऐसे हो चुके हैं कि यात्री अपना सामान या खुद उठा रहे है.

आर्थिक संकट में सहारा बन रहे फूल सिंह राठौर

  • सरकार और विभाग की तरफ से नहीं मिली मदद

ईटीवी भारत से स्टेशन पर मौजूद 10 फीसदी कुलियों ने मदद की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि साल 2020 से ही सभी कुलियों पर आर्थिक संकट छाया है, लेकिन अभी तक न तो सरकार और न ही रेल विभाग उनकी मदद के लिए आगे आया है. हालात यह हो चुके हैं कि कई कुली भाई तो ऐसे हैं जिन्होंने यह पैशा छोड़कर कहीं दूसरी जगह काम कर रहे हैं ताकि उन्हें दो वक्त की रोटी मिल सके. वही कुछ कुली ऐसे है जो दो वक्त की रोटी की आस में सुबह स्टेशन पर पहुंच जाते हैं, लेकिन शाम तक उनकी जेब खाली रह जाती है.

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