ग्वालियर। ग्वालियर और इंदौर की एकलपीठ के एक ही तरह के मामलों में आए दो अलग-अगल फैसलों पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच सुनवाई की, जिसके बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने नाबालिग आरोपी को अग्रिम जमानत का लाभ देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट का मानना है कि जब जूविनाइल जस्टिस एक्ट में गिरफ्तारी का प्रावधान नहीं है तो अग्रिम जमानत का लाभ देने का कोई मतलब नहीं है.
डिवीजन बेंच का इस मामले के लिए इसलिए गठन किया गया था, क्योंकि इंदौर बेंच ने एक ऐसे ही मामले में नाबालिग को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया था. उसके उलट ग्वालियर की एकल पीठ ने एक अन्य मामले में आरोपी किशोर को अग्रिम जमानत का लाभ दिया था.
ग्वालियर और इंदौर की एकल पीठ द्वारा एक ही तरह के दो मामलों में भिन्न मत आने के बाद इस केस को मुख्य पीठ के न्यायाधीश की सलाह के लिए भेजा गया था, चीफ जस्टिस की सिफारिश पर ग्वालियर में यह मामला डिवीजन बेंच में सौंपा गया, जहां डिवीजन बेंच ने पिछले महीने ग्वालियर के डबरा के देहात थाने के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की और फैसला सुरक्षित रखा था.
अब स्पेशल बेंच ने इस मामले में अपना रुख साफ किया है और कहा है कि जूविनाइल जस्टिस एक्ट में आरोपी को हिरासत में नहीं रखा जाता है ना ही उसे जेल भेजा जाता है. उसमें सुधार की गुंजाइश देखते हुए आरोपी को बाल संप्रेक्षण गृह में जरूर भेजा जा जाता है. इसलिए नाबालिग को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है.