ग्वालियर। शहर में लगातार रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन की कमी होती जा रही है. इससे मरीजों के परिजनों को दर-दर भटकना पड़ रहा है. इसी को लेकर बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने सरकार के खिलाफ रात 11 बजे मंत्री प्रद्युमन सिंह के बंगले के बाहर धरना प्रदर्शन किया. वहीं बिस्तर लगाकर लेट गए. उसके बाद मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने मौके पर पहुंचकर इंजेक्शन की पूर्ति करने का आश्वासन दिया.
बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष देवेश शर्मा का आरोप
पूर्व जिला अध्यक्ष दिनेश शर्मा का आरोप है कि कोरोना का कहर बढ़ रहा है. लोग हैरान और परेशान हैं. शासन और प्रशासन कोरोना की चेन को ब्रेक करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है, लेकिन नेताओं और जनप्रतिनिधियों की मनमानी मरीजों के जीवन पर भारी पड़ रही है. लोग आवश्यक दवाओं और सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.
मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर पर सिर्फ अपने लोगों की मदद करने का लगाया आरोप
सरकार की मंशा हर पीड़ित को सुचारू उपचार देने के साथ उसे पूर्ण रूप से स्वस्थ्य करने की है. इसके लिए पर्याप्त मात्रा में रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है, लेकिन जनप्रतिनिधियों की मनमानी के कारण हालात और बिगड़ते जा रहे हैं. जिन्हें रेमडेसिविर और ऑक्सीजन के सिलेंडर मिलने चाहिए, वे तरस रहे हैं. ये जनप्रतिनिधि अपनों को उपकृत करने में लगे हुए हैं. साथ ही ये जनप्रतिनिधि प्रशासन पर अनावश्यक दबाव बनाकर व्यवस्था को बिगाड़ रहे हैं. ऐसी स्थिति में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही डॉक्टर भी असहज महसूस कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर जनता द्वारा नकारे हुए जनप्रतिनिधि और कुछ नेता अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर रहे हैं. कुछ पंजा छाप भाजपाई इस आपदा की घड़ी में ही जननायक बनने के ख्वाब देख रहे हैं.
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बीजेपी के पूर्व सांसद ने भी ट्वीट कर सीएम पर उठाए सवाल
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के भांजे और पूर्व सांसद अनूप मिश्रा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन आम आदमी से दूर है, लेकिन दलालों के पास उपलब्ध है. इस कारण अब राजनीति गर्म आती हुई नजर आ रही है.
रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी से लोग भटक रहे दर-दर
भलें ही शिवराज सरकार ने इंजेक्शन ग्वालियर में उपलब्ध करा दी हों, लेकिन अभी भी मरीजों के परिजन दर-दर भटकते हुए नजर आ रहे हैं. जिला प्रशासन ने दावा किया था कि इंजेक्शन की कोई कमी नहीं होगी. हर शहर के अस्पतालों में मरीजों के पास इंजेक्शन उपलब्ध हो जाएगा, लेकिन हालात यह है कि कलेक्ट्रेट ऑफिस के पास 1000 से अधिक लोग इंजेक्शन की आस में खड़े हुए रहते हैं, पर सिर्फ 20 या 25 लोगों को ही इंजेक्शन उपलब्ध हो पाता है.