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नगर निगम की गाड़ी से पैर गंवाने वाले कर्मचारी के परिजनों का हंगामा, नौकरी की मांग

नगर निगम के जर्जर वाहन से अपना पैर गंवाने वाले आउटसोर्स कर्मचारी के परिजनों का गुस्सा भड़क गया. हादसे से नाराज परिजनों ने निगम ऑफिस में जमकर हंगामा किया. घायल कर्मचारी के परिजनों ने नौकरी देने की मांग की है. हालांकि मुख्यालय पर महापौर और निगम कमिश्नर मौजूद नहीं थे, लिहाजा परिजन एक घंटा हंगामा करने के बाद लेखाधिकारी से मिलकर वापस लौट गए.

राहुल खरे
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Published : Feb 26, 2019, 3:45 PM IST

ग्वालियर| नगर निगम के जर्जर वाहन से अपना पैर गंवाने वाले आउटसोर्स कर्मचारी के परिजनों का गुस्सा भड़क गया. हादसे से नाराज परिजनों ने निगम ऑफिस में जमकर हंगामा किया.

घायल कर्मचारी के परिजनों ने नौकरी देने की मांग की है. हालांकि मुख्यालय पर महापौर और निगम कमिश्नर मौजूद नहीं थे, लिहाजा परिजन एक घंटा हंगामा करने के बाद लेखाधिकारी से मिलकर वापस लौट गए. बता दें कि राहुल खरे नाम का युवक नगर निगम में आउटसोर्स के जरिए सफाईकर्मी था. 22 दिसंबर को उसे सफाई की जगह संपत्ति कर की रसीदें काटने के लिए निगम के दरोगा ने बुलवाया था, लेकिन जिस गाड़ी से राहुल जा रहा था, वह पूरी तरह से जर्जर थी. इस दौरान गाड़ी में रखी रस्सी में राहुल का पैर उलझ गया और चलती गाड़ी की लोहे की चादर से टकराकर उसके पैर कट गए. घुटने के नीचे से पैर कटने से वह स्थायी रूप से दिव्यांग हो गया है.

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घायल के परिवार के लोगों का कहना है कि उसकी उम्र सिर्फ 21 साल है, ऐसे में माता-पिता आखिर कब तक उसकी देखभाल करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि वह ड्यूटी के दौरान दिव्यांग हुआ है, इसलिए उसे नौकरी दी जाए. वाल्मीकि समाज से आने वाले राहुल खरे को अभी तक ना तो मुआवजा मिला है और ना ही नगर निगम का कोई जिम्मेदार अधिकारी उसका हाल-चाल जानने उसके घर पहुंचा है. शहर की सीमा से सटे बड़े गांव में रहने वाला राहुल पूरी तरह से अपने माता-पिता पर निर्भर हो गया है.

ग्वालियर| नगर निगम के जर्जर वाहन से अपना पैर गंवाने वाले आउटसोर्स कर्मचारी के परिजनों का गुस्सा भड़क गया. हादसे से नाराज परिजनों ने निगम ऑफिस में जमकर हंगामा किया.

घायल कर्मचारी के परिजनों ने नौकरी देने की मांग की है. हालांकि मुख्यालय पर महापौर और निगम कमिश्नर मौजूद नहीं थे, लिहाजा परिजन एक घंटा हंगामा करने के बाद लेखाधिकारी से मिलकर वापस लौट गए. बता दें कि राहुल खरे नाम का युवक नगर निगम में आउटसोर्स के जरिए सफाईकर्मी था. 22 दिसंबर को उसे सफाई की जगह संपत्ति कर की रसीदें काटने के लिए निगम के दरोगा ने बुलवाया था, लेकिन जिस गाड़ी से राहुल जा रहा था, वह पूरी तरह से जर्जर थी. इस दौरान गाड़ी में रखी रस्सी में राहुल का पैर उलझ गया और चलती गाड़ी की लोहे की चादर से टकराकर उसके पैर कट गए. घुटने के नीचे से पैर कटने से वह स्थायी रूप से दिव्यांग हो गया है.

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घायल के परिवार के लोगों का कहना है कि उसकी उम्र सिर्फ 21 साल है, ऐसे में माता-पिता आखिर कब तक उसकी देखभाल करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि वह ड्यूटी के दौरान दिव्यांग हुआ है, इसलिए उसे नौकरी दी जाए. वाल्मीकि समाज से आने वाले राहुल खरे को अभी तक ना तो मुआवजा मिला है और ना ही नगर निगम का कोई जिम्मेदार अधिकारी उसका हाल-चाल जानने उसके घर पहुंचा है. शहर की सीमा से सटे बड़े गांव में रहने वाला राहुल पूरी तरह से अपने माता-पिता पर निर्भर हो गया है.

Intro:ग्वालियर
नगर निगम के कंडम वाहन से पैर गंवाने वाले आउट सोर्स कर्मचारी को को लेकर परिजन सोमवार को निगम मुख्यालय पहुंचे। उन्होंने हंगामा किया और युवक को नौकरी देने की मांग की ।लेकिन मुख्यालय पर महापौर अथवा निगम कमिश्नर मौजूद नहीं थे लिहाजा परिजन एक घंटा हंगामा करने के बाद लेखाधिकारी से मिलकर लौट गए।


Body:दरअसल राहुल खरे नामक युवक निगम में आउट सोर्स सफाई कर्मी था ।पिछली 22 दिसंबर को उसे सफाई की जगह संपत्ति कर की रसीदे काटने के लिए निगम के दरोगा ने बुलवाया। जिस गाड़ी से राहुल जा रहा था वह बेहद कंडम थी ।गाड़ी में रखे रस्से में राहुल के पैर उलझ गए और चलती गाड़ी की लोहे की चादर से टकराकर उसके पैर कट गए। घुटने के नीचे से पैर काटने से वह स्थाई रूप से विकलांग हो गया है। परिवार के लोगों का कहना है कि उसकी उम्र सिर्फ 21 साल है ऐसे में माता पिता आखिर कब तक उसकी देखभाल करते रहेंगे वह ड्यूटी के दौरान विकलांग हुआ है इसलिए उसे नौकरी दी जाए।


Conclusion:दरअसल बाल्मीकि समाज से आने वाले राहुल खरे को अभी तक ना तो मुआवजा मिला है और ना ही नगर निगम का कोई जिम्मेदार अधिकारी उसका हाल-चाल जानने अपने घर पहुंचा है ।शहर की सीमा से सटे बड़े गांव में रहने वाला राहुल पूरी तरह से अपने माता पिता पर निर्भर है जो माता पिता बुढ़ापे में राहुल पर निर्भर रहते वह अब उल्टे राहुल की तीमारदारी में लगे हुए हैं। खास बात यह है कि जिस समय यह लोग निगम मुख्यालय पहुंचे उस समय ना तो महापौर मौजूद थे और ना ही निगम कमिश्नर। लिहाजा लेखा अधिकारी देवेंद्र पालिया से मिल कर यह लोग अपने गांव लौट गये।
बाइट महेश खरे राहुल के पिता
बाइट अखिलेश यादव माकपा नेता ग्वालियर
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