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दहन से पहले मंहगाई के चलते दम तोड़ रहा रावण, पुतलों के नहीं मिल रहे ग्राहक

ग्वालियर में इस बार रावण के पुतलों की होने वाली बिक्री पर मंदी का असर देखने को मिल रहा है. इस बार शहर में बनने वाले रावण के पुतले नहीं बिक रहे हैं.

दशहरा पर नही बिका रावण का पुतला
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Published : Oct 8, 2019, 5:18 PM IST

ग्वालियर। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजयदशमी पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. ग्वालियर में भी दो प्रमुख आयोजन के अलावा प्रत्येक कॉलोनियों में रावण दहन की तैयारी की गई है, लेकिन इस बार आर्थिक मंदी का असर रावण दहन पर भी देखने को मिल रहा है.

दशहरा पर नही बिका रावण का पुतला

रावण बनाकर बेचने वाले कारीगर कैलाश का कहना है कि उनके परिवार का ये पुश्तैनी काम है. लंबे समय से उनका परिवार रावण बनाने का काम करता आ रहा है, लेकिन इस बार जो बिक्री होनी चाहिए थी, वह नहीं हो रही है. हर साल की अपेक्षा इस बार 30 प्रतिशत भी रावण के पुतले नहीं बिके हैं.

इस बार रावण के पुतले 150 रूपए से लेकर 3 हजार तक की कीमत पर मार्केट में उपलब्ध हैं, फिर भी लोग आर्थिक मंदी के चलते रावण के पुतले खरीदने से कतरा रहे हैं.

ग्वालियर। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजयदशमी पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. ग्वालियर में भी दो प्रमुख आयोजन के अलावा प्रत्येक कॉलोनियों में रावण दहन की तैयारी की गई है, लेकिन इस बार आर्थिक मंदी का असर रावण दहन पर भी देखने को मिल रहा है.

दशहरा पर नही बिका रावण का पुतला

रावण बनाकर बेचने वाले कारीगर कैलाश का कहना है कि उनके परिवार का ये पुश्तैनी काम है. लंबे समय से उनका परिवार रावण बनाने का काम करता आ रहा है, लेकिन इस बार जो बिक्री होनी चाहिए थी, वह नहीं हो रही है. हर साल की अपेक्षा इस बार 30 प्रतिशत भी रावण के पुतले नहीं बिके हैं.

इस बार रावण के पुतले 150 रूपए से लेकर 3 हजार तक की कीमत पर मार्केट में उपलब्ध हैं, फिर भी लोग आर्थिक मंदी के चलते रावण के पुतले खरीदने से कतरा रहे हैं.

Intro:ग्वालियर- बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजयदशमी का त्यौहार आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है आज के दिन रावण दहन का आयोजन किया जाता है। ग्वालियर में भी दो प्रमुख आयोजन के अलावा प्रत्येक कालोनियों में हुई रावण दहन के कार्यक्रम आयोजित किए जाने लगे हैं। लेकिन इस बार आर्थिक मंदी का असर रावण की बिक्री पर भी देखने को मिल रहा है।


Body:रावण बनाकर बेचने वाली कारीगर कैलाश का मानना है कि उनके परिवार में एक पुश्तेनी काम है लंबे समय से उनका परिवार रावण बनाने का काम करता चला आ रहा है।लेकिन इस बार जो बिक्री होनी चाहिए वह नहीं हो रही है।जबकि रावण के पुतलो के दामों में हुई बढ़ोतरी ही नहीं हुई है। इस बार रावण के पुतले 150 रूपए से लेकर 3 हजार तक की रेट में मार्केट में उपलब्ध है लेकिन फिर भी लोग आर्थिक मंदी के चलते रावण के पुतले खरीदने से कतरा रहे हैं।


Conclusion:WT - अनिल गौर

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