ग्वालियर। जिला न्यायालय ने चर्चित सहारा अस्पताल तोड़फोड़ मामले में अस्पताल प्रबंधन को बड़ी राहत प्रदान की है, कोर्ट ने कहा है कि, मरीजों के हितों को ध्यान रखते हुए तब तक अस्पताल में यथास्थिति बनाए रखा जाए. जब तक दावे का निराकरण नहीं हो जाता.
जिला प्रशासन ने पिछले दिनों सहारा अस्पताल को दो बार कार्रवाई करते हुए तोड़ दिया था, आरोप है कि अस्पताल पार्क की जमीन पर बना हुआ है, जबकि सहारा अस्पताल को जगह कांग्रेसी नेता बृजमोहन परिहार ने किराए पर दी है.
बृजमोहन परिहार की कोठी भी बगल से स्थित है, लेकिन प्रशासन ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी, सहारा अस्पताल को पहली बार 6 दिसंबर फिर 10 दिसंबर को तोड़ा गया था, वहां बड़ी संख्या में मरीज भर्ती थे, जिन्हें आनन-फानन में दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया गया.
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उनकी जगह किराए की है, उन्होंने जिला प्रशासन की कार्रवाई को पूर्वाग्रह ग्रस्त और एकतरफा बताया, इस अस्पताल को शहर के जाने- माने रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एएस भल्ला संचालित करते हैं. जो कि अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य भी हैं और भाजपा से जुड़े हैं, कोर्ट ने मरीजों का ध्यान रखते हुए अस्पताल प्रबंधन को राहत दी है और दावे के निराकरण तक स्टे लगा दिया है.