ग्वालियर। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कोविड-19 के टीके लगाने की भरसक कोशिश के बावजूद लगभग आधा ही लक्ष्य पूरा हो पा रहा है. कोविशील्ड के टीके लगाने के लिए दूसरे अभियान के आखिरी दिन 17 केंद्रों के 26 बूथ पर 2,393 में से सिर्फ 1,442 लोगों ने टीके लगवाए. अभियान के कुल 9 दिन में 12,587 हेल्थ वर्करों को एक टीका लगाना था. लेकिन 55 फीसदी यानी 6,926 हेल्थ वर्करों ने ही टीका लगवाया. इस दौरान 307 कोविशील्ड के टीके खराब हो गए.
टीकाकरण से वंचित रहे हेल्थ वर्कर के लिए अब 3 फरवरी को एक बार फिर से अभियान चलाया जाएगा. 6 फरवरी से फ्रंटलाइन वर्करों को टीके लगाए जाएंगे. इस बीच पिछले 10 महीनों से कोरोना के सैंपल ले रहे नोडल अधिकारी डॉ. अमित रघुवंशी और 35 अन्य डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ ने शनिवार को टीका लगवाया. इन लोगों के नाम सूची में नहीं आए थे, लेकिन बाद में उनके नाम जोड़े गए. शासन ने हेल्थ वर्करों की पूरी सूची मंगा ली है. कई अस्पताल में जो स्टाफ पहले था, वह बदल चुका है और नए लोगों को जोड़ने का अधिकार सीएमएचओ को नहीं दिया गया है. लिहाजा यह लोग टीके लगवाने से वंचित रह गए.
कम टीकाकरण के पीछे इसे लगवाने वालों की सूची और मैसेज समय पर नहीं भेजने के कारण भी लोगों को जानकारी नहीं मिल सकी. टीकाकरण केंद्रों के प्रभारियों को कोई अधिकार नहीं दिए गए हैं. इस कारण 307 डोज खराब हो चुके हैं. यदि टीकाकरण केंद्र के अधिकारी को बचे हुए डोज को अन्य लोगों को लगाने के लिए अनुमति मिलती तो यह दवा खराब नहीं होती. टीका लगवाने वालों की हर नई सूची में अपना नाम जोड़कर भेजे गए कुल 1,600 में से 200 नाम रिपीट किए गए थे. कुछ डॉक्टरों के पास भी मैसेज शनिवार को भेजा गया था, लेकिन सूची में उनका नाम नहीं आया इसलिए वो टीका लगवाने से वंचित रह गए.