ETV Bharat / state

गुरू पूर्णिमा पर कोरोना का असर, आध्यात्मिक केंद्रों पर आशीर्वाद लेने नहीं पहुंचे शिष्य

भारतीय संस्कृति में गुरु को देव तुल्य माना गया है. गुरू को हमेशा से ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान पूजा जाता है. वेद, उपनिषद और पुराणों का प्रणयन करने वाले वेद व्यास को सभी मानव जाति का गुरू माना जाता है. उनके सम्मान में हर साल अषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है.

corona-impact-on-guru-purnima-in-gwalior
गुरू पूर्णिमा पर सन्नाटा
author img

By

Published : Jul 5, 2020, 1:03 PM IST

Updated : Jul 5, 2020, 2:58 PM IST

ग्वालियर। जिले और उसके आसपास के क्षेत्रों में स्थित आध्यात्मिक केंद्रों पर कोरोना का असर देखा जा रहा है. गुरू पूर्णिमा के मौके पर हमेशा से इन आध्यात्मिक केंद्र यानी गुरु स्थान पर मेले लगते रहे हैं, लेकिन इस बार कोरोना के असर से लोग कम ही संख्या में अध्यात्मिक केंद्रों पर पहुंच रहे हैं. भारतीय शास्त्रों में कहा गया है कि गुरू पूर्णिमा के दिन गुरू के दर्शन और ध्यान करने से पूरे साल उनका आशीर्वाद बना रहता है. साथ ही शुभ कार्यों में सफलता मिलती है.

गुरू पूर्णिमा पर सन्नाटा

रविवार को गुरू पूर्णिमा के मौके पर लोगों ने स्थानीय श्रद्धा केन्द्र यानि गुरू से मिलने उनके आवास और स्थान पर पहुंचे. जहां लोगों ने अपने गुरू को पुष्पमाला व फल भेंटकर और उनके चरणामृत लेकर आशीर्वाद मांगा. भारतीय शास्त्रों में गुरू का स्थान भगवान से भी उच्च माना गया है क्योंकि गुरू ही ईश्वर प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं.

हर साल गुरू पूर्णिमा पर मुरैना के करह आश्रम, ग्वालियर के ढबका वाले बाबा, भिंड के दंदरूआ धाम, मंदिर बालाजी धाम, साईं बाबा मंदिर और अन्य श्रद्धा केंद्रों और गुरू स्थान पर भक्तों की भीड़ उमड़ती थी, लेकिन इस बार कोरोना के चलते ग्वालियर में लगातार दूसरे दिन टोटल लॉकडाउन है. इसलिए लोग कम संख्या में ही अपने गुरू तक पहुंच रहे हैं. वे खुश हैं कि गुरू का आशीर्वाद उनके साथ है, वहीं गुरू भी अपने भक्तों को उनकी सफलता और शांति समृद्धि के लिए आशीर्वाद दे रहे हैं.

क्यों मनाया जाता है गुरू पूर्णिमा

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन गुरू पूजा का विधान है. गुरू पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रुप में मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास को तीनों कालों का ज्ञाता माना जाता है. भारतीय संस्कृति में गुरु को देव तुल्य माना गया है. गुरू को हमेशा से ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान पूजा जाता है. वेद, उपनिषद और पुराणों का प्रणयन करने वाले वेद व्यास को सभी मानव जाति का गुरू माना जाता है. उनके सम्मान में हर साल अषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है.

ग्वालियर। जिले और उसके आसपास के क्षेत्रों में स्थित आध्यात्मिक केंद्रों पर कोरोना का असर देखा जा रहा है. गुरू पूर्णिमा के मौके पर हमेशा से इन आध्यात्मिक केंद्र यानी गुरु स्थान पर मेले लगते रहे हैं, लेकिन इस बार कोरोना के असर से लोग कम ही संख्या में अध्यात्मिक केंद्रों पर पहुंच रहे हैं. भारतीय शास्त्रों में कहा गया है कि गुरू पूर्णिमा के दिन गुरू के दर्शन और ध्यान करने से पूरे साल उनका आशीर्वाद बना रहता है. साथ ही शुभ कार्यों में सफलता मिलती है.

गुरू पूर्णिमा पर सन्नाटा

रविवार को गुरू पूर्णिमा के मौके पर लोगों ने स्थानीय श्रद्धा केन्द्र यानि गुरू से मिलने उनके आवास और स्थान पर पहुंचे. जहां लोगों ने अपने गुरू को पुष्पमाला व फल भेंटकर और उनके चरणामृत लेकर आशीर्वाद मांगा. भारतीय शास्त्रों में गुरू का स्थान भगवान से भी उच्च माना गया है क्योंकि गुरू ही ईश्वर प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं.

हर साल गुरू पूर्णिमा पर मुरैना के करह आश्रम, ग्वालियर के ढबका वाले बाबा, भिंड के दंदरूआ धाम, मंदिर बालाजी धाम, साईं बाबा मंदिर और अन्य श्रद्धा केंद्रों और गुरू स्थान पर भक्तों की भीड़ उमड़ती थी, लेकिन इस बार कोरोना के चलते ग्वालियर में लगातार दूसरे दिन टोटल लॉकडाउन है. इसलिए लोग कम संख्या में ही अपने गुरू तक पहुंच रहे हैं. वे खुश हैं कि गुरू का आशीर्वाद उनके साथ है, वहीं गुरू भी अपने भक्तों को उनकी सफलता और शांति समृद्धि के लिए आशीर्वाद दे रहे हैं.

क्यों मनाया जाता है गुरू पूर्णिमा

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन गुरू पूजा का विधान है. गुरू पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रुप में मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास को तीनों कालों का ज्ञाता माना जाता है. भारतीय संस्कृति में गुरु को देव तुल्य माना गया है. गुरू को हमेशा से ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान पूजा जाता है. वेद, उपनिषद और पुराणों का प्रणयन करने वाले वेद व्यास को सभी मानव जाति का गुरू माना जाता है. उनके सम्मान में हर साल अषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है.

Last Updated : Jul 5, 2020, 2:58 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.