ग्वालियर। प्रदेश में खनन माफिया और माइनिंग ऑफिसर की मिली भगत से किस प्रकार शासन की राजस्व को चुना लगाया जाता है इसकी बानगी ग्वालियर में देखने को मिल रही है. 2 साल पहले अधिकृत जगह के अलावा सरकारी और निजी जमीन पर खनन करने के मामले में शासन ने 425 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. इसके बाद भी जानबूझ कर इस तरह के मामलों को 2 साल तक लटका कर रखा गया और खनन माफिया आराम से जमीन का सीना छलनी करते रहे.
जब यह मामले कलेक्टर अनुराग चौधरी के संज्ञान में आए तो ग्वालियर जिले की बिलौआ में संचालित काली गिट्टी के 23 क्रेशर को कलेक्टर न्यायालय ने सस्पेंड कर उत्खनन पर रोक लगा दी है. कलेक्टर के आगामी आदेश तक यहां कोई गतिविधि नहीं की जा सकेगी. इसके साथ ही प्रारंभिक रिपोर्ट में आरोपी माइनिंग अधिकारी को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. 2 साल में 425 करोड़ के अवैध उत्खनन के मामले न्यायालय में चल रहे थे, जिनमें शासकीय निजी भूमि पर भारी मात्रा में उत्खनन पाया गया है.
इन प्रकरणों में बार-बार तारीख आगे बढ़ जाती है, जिस कारण निराकरण लेट हो पाता है. कलेक्टर न्यायालय की सुनवाई में 2 साल से लंबित काले पत्थरों की क्रेशर के 23 मामलों में कलेक्टर अनुराग चौधरी ने सुनवाई की और पाया कि किस तरह 2 साल से जानबूझकर यह प्रकरण होल्ड पर रखे जा रहे थे. प्रकरणों की कलेक्टर ने विस्तृत सुनवाई की और पाया के संबंधित ठेकेदार के द्वारा अवैध उत्खनन लगातार किया जा रहा है. साथ ही इनके निराकरण को अनावश्यक विलंब में रखा गया है, जिससे अभियोजन की कार्रवाई में परेशनी हो रही है. कलेक्टर ने तत्कालीन माइनिंग ऑफीसर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, नोटिस का संतोषजनक जवाब न मिलने पर अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की भी बात कही है.