ग्वालियर। पेट्रोलियम पदार्थों ने अपने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. करीब 100रुपए पेट्रोल और 90रुपए डीजल पहुंचने से आम आदमी की कमर बुरी तरह टूट चुकी है. पेट्रोलियम पदार्थों पर सरकार की नाकामी का असर हमारी रोजमर्रा की चीजों पर भी पड़ा है. खाने-पीने और डेली नीड के सभी आइटम महंगे हो चुके हैं. सीमावर्ती जिलों के पैट्रोलियम डीलर घटती बिक्री से इस कदर परेशान हैं कि वह अब इन्हें बंद करने का सोचने लगे हैं.
खास बात यह है कि पेट्रोलियम पदार्थों पर प्रदेश में सबसे ज्यादा वेट है. डीजल में सरकार करीब 29 फ़ीसदी टैक्स वसूल रही है. वहीं पेट्रोल में यह टैक्स 39 फीसदी तक है. डीजल में 23 फीसदी वेट प्रति लीटर 3 रुपए एक्स्ट्रा वेट 1 फीसदी सेस शामिल है. इसी तरह पेट्रोल में 33 फीसदी रेट है. प्रति लीटर साढे़ चार रुपए एक्स्ट्रा वेट है और एक परसेंट सेस है.
सीमावर्ती राज्यों में पेट्रोल डीजल भरवाने जाते हैं लोग
इसका असर दूसरे राज्यों के मुकाबले प्रति लीटर पेट्रोल और डीजल में करीब 8 से 11 रुपए तक का अंतर आ रहा है. ग्वालियर चंबल संभाग से उत्तर प्रदेश और राजस्थान लगे हुए हैं. प्रति लीटर 10रुपए से ज्यादा का अंतर होने से अब लोग पेट्रोल व डीजल भराने के लिए दूसरे राज्यों की ओर रुख करने लगे हैं. जिससे यहां के डीलरों की बिक्री पर 75 फ़ीसदी से ज्यादा कमी का अंतर देखने को मिल रहा है. जबकि लागत के खर्चे बढ़ चुके हैं और बिक्री घट चुकी है.
आम लोगों की ओर सरकार का ध्यान नहीं
आम लोगों का पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते दामों के कारण उनके बजट पूरी तरह से गड़बड़ा गया है. लोगों का कहना है कि सरकार को आम लोगों की ओर ध्यान देना चाहिए. डीलर्स का कहना है कि उनका कमीशन 1.70 रुपए प्रति लीटर वही का वही है, जबकि लागत बढ़ गई है. खास बात यह है कि कोरोना काल में जहां पेट्रोलियम पदार्थों के दाम पेट्रोल प्रति लीटर 77 रुपए था. वह 100रुपए हो चुका है. इसी तरह डीजल के दामों में भी 20रुपए से ज्यादा की तेजी आई है, जो अभूतपूर्व है. इससे पहले कभी पेट्रोलियम पदार्थों ने इस मुकाम को नहीं छुआ है. अब लोग सरकार से ही कुछ राहत देने की उम्मीद संजोए बैठे हैं.