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कर्मचारी का एरियर नहीं देने पर हाईकोर्ट सख्त,कहा-अवमानना बर्दाश्त नहीं, PWD के चीफ इंजीनियर तलब

ग्वालियर हाईकोर्ट ने आदेश का पालन न करने पर लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को फटकार लगाते हुए कहा है कि या तो आदेश का पालन करें या कोर्ट में हाजिर हों. बता दें कि प्यून राजेंद्र के एरियर के भुगतान के हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे.जिसका भुगतान अब तक नहीं हुआ है.

ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर मुख्य अभियंता तलब
ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर मुख्य अभियंता तलब
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Published : Jun 17, 2021, 9:58 PM IST

ग्वालियर। ग्वालियर की हाईकोर्ट बैंच ने अपने आदेश का पालन नहीं करने पर लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को आदेश का पालन करने या कोर्ट में तलब होने के आदेश दिए हैं. दरअसल प्यून के पद पर लोक निर्माण विभाग में कार्यरत राजेंद्र जैन को अस्थाई से स्थाई कर्मचारी किया गया था. लेकिन उन्हे स्थाई होने के बावजूद 1984 से अब तक का एरियर नहीं दिया गया. जिसे लेकर कोर्ट ने पहले ही आदेश दिया था कि उनका पूरा एरियर दिया जाए.जब आदेश का पालन नहीं हुआ तो राजेंद्र ने अवमानना याचिका लगाई. जिस पर सुनवाई के दौरान फिर से कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को राजेंद्र का एरियर 1984 से देने का आदेश दिया और आदेश का पालन नहीं करने पर कोर्ट में हाजिर होने के आदेश दिए हैं.बता दें कि 2012 में ही कोर्ट ने राजेंद्र को एरियर देने के आदेश दिए थे. लेकिन लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता राजेंद्र को 2005 से एरियर देने की बात कहते रहे. जिस पर राजेंद्र ने आपत्ति जताई और कोर्ट ने भी माना कि राजेंद्र को 1984 से ही एरियर विभाग दे. अब कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को आखिरी चेतावनी दी है और कहा है कि अगर आदेश का पालन नहीं हुआ तो 6 प्रतिशत व्याज के साथ मुख्य अभियंता एरियर दें.ये 6 फीसदी व्याज मुख्य अभियंता अपनी जेब से दें.

ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर मुख्य अभियंता तलब

2012 में ही कोर्ट ने दिया था ऑर्डर
हाईकोर्ट की ग्वालियर बैंच ने लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को एक प्यून के स्थाई वर्गीकरण के एरियर का आदेश होने के बावजूद भुगतान नहीं करने पर अंतिम बार मौका दिया है और कहा है कि यदि कई सालों से पेंडिंग इस मामले में अब अनुपालन रिपोर्ट पेश नहीं की गई, तो मुख्य अभियंता को कोर्ट में पेश होना पड़ेगा. दरअसल राजेंद्र जैन नामक प्यून वीआईपी सर्किट हाउस मुरार में पदस्थ हैं. उसने 2012 में स्थाई वर्गीकरण के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने उसकी याचिका को स्वीकार करते हुए उससे 1984 से स्थाई कर्मचारी के रूप में दिए जाने वाले एरियर का लाभ देने के आदेश दिए थे. साथ ही यह भी कहा था कि एरियर 3 महीने में भुगतान किया जाए, लेकिन लोक निर्माण विभाग ने मामले को किसी न किसी कारण से लटकाने का क्रम जारी रखा, इसके बाद राजेंद्र जैन ने अवमानना याचिका दायर की. अवमानना याचिका में भी कोर्ट ने अपने आदेश के पालन में एक बार फिर से पीडब्ल्यूडी विभाग को निर्देशित किया और कहा कि यदि अब भुगतान नहीं किया गया तो जिम्मेदार अधिकारी अपनी तरफ से 6 फ़ीसदी ब्याज के साथ जैन को एरियर का भुगतान करेंगे.

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मुख्य अभियंता को कोर्ट ने दिया आखिरी मौका
कोर्ट के आदेश के बावजूद लोक निर्माण विभाग के अफसरों ने इस पर ध्यान नहीं दिया.अब कोर्ट ने मुख्य अभियंता को निर्देशित किया है कि उन्हें आखिरी मौका है या तो वह कोर्ट के आदेश का पालन करें, या खुद कोर्ट में पेश हों. गौरतलब है कि राजेंद्र जैन अस्थाई कर्मचारी के रूप में सर्किट हाउस में नौकरी पर आया था. बाद में वो दैनिक वेतनभोगी से स्थाई वर्गीकरण पाने में कामयाब रहा. लेकिन उसे स्थाई कर्मचारी के अनुरूप वेतनमान का लाभ नहीं मिल रहा था.

ग्वालियर। ग्वालियर की हाईकोर्ट बैंच ने अपने आदेश का पालन नहीं करने पर लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को आदेश का पालन करने या कोर्ट में तलब होने के आदेश दिए हैं. दरअसल प्यून के पद पर लोक निर्माण विभाग में कार्यरत राजेंद्र जैन को अस्थाई से स्थाई कर्मचारी किया गया था. लेकिन उन्हे स्थाई होने के बावजूद 1984 से अब तक का एरियर नहीं दिया गया. जिसे लेकर कोर्ट ने पहले ही आदेश दिया था कि उनका पूरा एरियर दिया जाए.जब आदेश का पालन नहीं हुआ तो राजेंद्र ने अवमानना याचिका लगाई. जिस पर सुनवाई के दौरान फिर से कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को राजेंद्र का एरियर 1984 से देने का आदेश दिया और आदेश का पालन नहीं करने पर कोर्ट में हाजिर होने के आदेश दिए हैं.बता दें कि 2012 में ही कोर्ट ने राजेंद्र को एरियर देने के आदेश दिए थे. लेकिन लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता राजेंद्र को 2005 से एरियर देने की बात कहते रहे. जिस पर राजेंद्र ने आपत्ति जताई और कोर्ट ने भी माना कि राजेंद्र को 1984 से ही एरियर विभाग दे. अब कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को आखिरी चेतावनी दी है और कहा है कि अगर आदेश का पालन नहीं हुआ तो 6 प्रतिशत व्याज के साथ मुख्य अभियंता एरियर दें.ये 6 फीसदी व्याज मुख्य अभियंता अपनी जेब से दें.

ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर मुख्य अभियंता तलब

2012 में ही कोर्ट ने दिया था ऑर्डर
हाईकोर्ट की ग्वालियर बैंच ने लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को एक प्यून के स्थाई वर्गीकरण के एरियर का आदेश होने के बावजूद भुगतान नहीं करने पर अंतिम बार मौका दिया है और कहा है कि यदि कई सालों से पेंडिंग इस मामले में अब अनुपालन रिपोर्ट पेश नहीं की गई, तो मुख्य अभियंता को कोर्ट में पेश होना पड़ेगा. दरअसल राजेंद्र जैन नामक प्यून वीआईपी सर्किट हाउस मुरार में पदस्थ हैं. उसने 2012 में स्थाई वर्गीकरण के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने उसकी याचिका को स्वीकार करते हुए उससे 1984 से स्थाई कर्मचारी के रूप में दिए जाने वाले एरियर का लाभ देने के आदेश दिए थे. साथ ही यह भी कहा था कि एरियर 3 महीने में भुगतान किया जाए, लेकिन लोक निर्माण विभाग ने मामले को किसी न किसी कारण से लटकाने का क्रम जारी रखा, इसके बाद राजेंद्र जैन ने अवमानना याचिका दायर की. अवमानना याचिका में भी कोर्ट ने अपने आदेश के पालन में एक बार फिर से पीडब्ल्यूडी विभाग को निर्देशित किया और कहा कि यदि अब भुगतान नहीं किया गया तो जिम्मेदार अधिकारी अपनी तरफ से 6 फ़ीसदी ब्याज के साथ जैन को एरियर का भुगतान करेंगे.

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मुख्य अभियंता को कोर्ट ने दिया आखिरी मौका
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