ग्वालियर। केंद्र सरकार के हस्तशिल्प एवं वस्त्र मंत्रालय द्वारा सार्थक योजना के तहत 30 पत्थर शिल्पियों को रीजनल आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर में इन दिनों प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिसकी अवधि 2 महीने की होगी. पंजीयन कराने के बाद स्थानीय शिल्पियों को एक बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध कराना सरकार की मंशा है. मास्टर ट्रेनर ने इन प्रशिक्षणार्थियों को यह ट्रेनिंग दे रहा है जिसमें वह अपनी कला को निखार कर देशभर में आयोजित होने वाले शिल्पियों के मेले में हिस्सा ले सके और अपने हाथों से बनाई कला का प्रदर्शन कर उसे विक्रय करके अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें, इस सेंटर का जीर्णोद्धार और म्यूजियम का निर्माण स्मार्ट सिटी कारपोरेशन ने अपने हाथों में लिया है.
- केंद्र सरकार कर रही संरक्षण
इसके लिए सरकार ने 1 लाख रुपए तक का लोन भी उपलब्ध कराएगी, जिससे वे अपना रॉ-मटेरियल और औजार खरीद सकें. पत्थर शिल्प कला अब लुप्त होती जा रही है. कम ही कलाकार इस विधा में पारंगत होने की इच्छा शक्ति रखते हैं. लेकिन सरकार ऐसे शिल्पियों को सार्थक योजना के तहत उनकी कला को निखारने का मौका दे रही है. खास बात यह है कि ग्वालियर में स्थित रीजनल आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर ही ऐसा केंद्र है जहां 3 राज्यों मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के शिल्पियों के प्रशिक्षण के लिए चुना है. फिलहाल यहां जो 30 लोग प्रशिक्षणार्थियों के रूप में हिस्सा ले रहे हैं यह सभी आसपास के रहने वाले हैं. सुखद बात यह भी है कि इन प्रशिक्षणार्थियों में 20 अकेली महिलाएं हैं जबकि 10 ही पुरुष हैं.
50 देशों में बिकता है टिंडमिंट पत्थर, घर में ही गुम हुई पहचान
- महिलाएं मुर्तियों को दे रहीं चमक
मास्टर ट्रेनर का कहना है कि यह अच्छी बात है क्योंकि मूर्ति कला में कुछ कलाकारी ऐसी होती है, जिसे महिलाएं ही कर सकती हैं. पाॉलिश और उन्हें घिसकर चमकदार बनाने का काम महिलाएं ही बेहतर रूप से कर सकती है. स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन ने यहां बंद पड़ी मशीनों को दोबारा चालू कराया है, और एक बड़ा केंद्र प्रशिक्षणार्थियों के लिए बनवाया है. इसके साथ ही आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर का एक म्यूजियम भी है. जिसमें भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई, सरदार बल्लभ भाई पटेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महानायक अमिताभ बच्चन की प्रतिमाएं भी रखी हुई है.