ग्वालियर। मातृ दिवस वैसे तो सभी के लिए खास है, लेकिन मातृ दिवस उन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, जिन महिलाओं ने विषम परिस्थितियों में अपनी संतान को जन्म दिया है. आज हम बात कर रहे हैं कोरोना संक्रमित होने के बाद संतान को जन्म देने वाली एक ऐसी ही मां की, जिसने बच्चे को जन्म देने के बाद 8 दिनों तक उसे छुआ तक नहीं. लेकिन अपने बच्चे को गले लगाने की चाह में इस हिम्मतवाली मां ने 8 दिनों में कोरोना को मात दी.
डिलीवरी से 2 दिन पहले रिपोर्ट आई पॉजिटिव
साल 2020 में अक्टूबर के समय कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा था. ग्वालियर की रहने वाली शिखा जैन की डिलीवरी के दो दिन पहले जब उनका कोरोना टेस्ट किया गया तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई. इससे पूरा जैन परिवार सहम गया था. लेकिन शिखा जैन ने हिम्मत नहीं हारी. निजी अस्पतालों ने जब डिलीवरी कराने से इनकार कर दिया तो शिखा को उनके पति ने जयारोग्य चिकित्सालय के सुपर स्पेशलिटी वार्ड में भर्ती कराया. इस वार्ड में कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा था. सुपर स्पेशलिटी के महिला वार्ड में शिखा को 8 अक्टूबर को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. शिक्षा की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव थी इसलिए उनके बच्चे का भी टेस्ट किया गया जो नेगेटिव निकला. इसके बाद चिकित्सकों की सलाह पर नवजात को उसके पिता को सौंप दिया गया.
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8 दिनों तक बच्चे से दूर रही मां
8 दिनों तक शिखा अपने बच्चे को गले लगाने के लिए तरसती रही. इधर डॉक्टर की सलाह पर पाउडर वाले दूध से 8 दिनों तक नवजात का पेट भरा गया. अपने बच्चे से जल्द मिलने की चाह में इस हिम्मतवाली मां ने 8 दिनों मे कोरोना को मात दी और रिपोर्ट नेगेटिव आते ही अपने घर पहुंचकर अपने जिगर के टुकड़े को अमृत समान दूध का आहार करवाया. शिखा कहती है कि वह उन 8 दिनों को कभी नहीं भूल सकती है. उन्हें अपने मां बनने पर खुशी थी लेकिन पैदा होते बच्चे का नजर से दूर ले जाने बहुत दुखद था. शिखा का कहना है कि अभी उनका बेटा छोटा है, अभी शायद वह मातृ दिवस का महत्व नहीं जानता है, लेकिन उन्हें उम्मीद है आगे चलकर जब वो अपने बच्चे को ये सब बताएगी तो वो मातृ दिवस के महत्व को जरूर समझेगा.