ग्वालियर(Gwalior)। हमारे नौनिहाल और युवा देश का भविष्य है जब हमारा भविष्य शिक्षित होगा तो वह सभ्य समाज का निर्माण भी कर सकेगा. मौजूदा दौर में किताबों से दूर हो रहे बच्चों और युवाओं को अब डिजिटल लाइब्रेरी (digital liberary) के माध्यम से फिर से किताबों से जोड़ने की कोशिश की जा रही है. ग्वालियर के स्मार्ट सिटी(smart city) कारपोरेशन ने ऐतिहासिक महाराज बाड़े पर स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी (central library) भवन को न सिर्फ उसके वैभव के लिहाज से दोबारा सजाया संवारा है, बल्कि लाइब्रेरी को डिजिटल लाइब्रेरी में तब्दील करने का काम भी शुरू कर दिया है आने वाले 3 महीनों में यह सेंट्रल लाइब्रेरी महिला, युवा, बच्चों और बुजुर्गों के लिए मील का पत्थर साबित होगी.
सेंट्रल लाइब्रेरी को बनाया जाएगा डिजिटल
ग्वालियर की प्राचीन लाइब्रेरी में करीब सवा लाख किताबें हैं.संविधान की एक मूल प्रति भी यहां रखी हुई है 20हजार किताबों को स्कैन करके डिजिटलाइजेशन कर दिया गया है जबकि अभी कुछ और किताबों को डिजिटलाइजेशन के लिए कुछ वक्त लगेगा.लाइब्रेरी में डिजिटल लाउंज बनाए जा रहे हैं. इन लाउंज में 21 इंच की टचस्क्रीन टीवी के साथ कियोस्क मशीन भी लगेगी.पांच ऐसे सरकारी स्कूलों को भी जोड़ा जाएगा जहां लाइब्रेरी की सुविधा नहीं है. बच्चे सेंट्रल लाइब्रेरी की अनेक किताबों और सुविधाओं का लाभ ऑनलाइन ले सकेंगे.डिजिटल लाइब्रेरी में अपने मनमाफिक लिटरेचर पढ़ने के अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी अलग से हॉल बनाया गया है .
हाईटेक मोड में होगी लाइब्रेरी
लाइब्रेरी में 11 साल तक के बच्चों को एंट्री दी जाएगी. टेबलेट और कंप्यूटर के जरिए गेम खेलने के लिए भी मौका होगा. डिजिटल लाइब्रेरी के लिए विशेष प्रकार के कार्ड बनाए जाएंगे जिससे संबंधित व्यक्ति देख सकेंगे कि उसके हिसाब की किताबें लाइब्रेरी में उपलब्ध है या नहीं है और वह डिमांड भी कर सकता है.इसके लिए एक ऐप भी बनाया जा रहा है. यह भवन करीब डेढ़ सौ से ज्यादा साल पुराना है. उसका प्राचीन वैभव लौटाने की कोशिश की जा रही है.
पुरानी किताबों को किया गया स्कैन
डिजिटल लाइब्रेरी के लिए 1927 से लेकर 1990 तक की किताबों को स्कैन किया गया है. बच्चें बोर न हो उसके लिए एक्टिविटी कॉर्नर भी बनाया गया है. डिजिटल लाइब्रेरी के सदस्यों के लिए ऐप भी बनाया गया है . घर बैठकर ही पाठक किताबों का ज्ञान ले सकेंगे.वहीं अपनी सदस्यता को भी रिनुअल कर सकेंगे. किताबों के डिजिटलाइजेशन के बाद ऐप लॉन्च किया जाएगा. इसमें 3 महीने का समय लगेगा.
डेढ़ सौ साल पुरानी है सेंट्रल लाइब्रेरी
1950 में जब भारत का संविधान तैयार हुआ था उस संविधान की मूल प्रति की एक कॉपी ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी गई थी. संविधान की इस प्रति में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं. संविधान लागू होने के समय देशभर में कुल 16 मूल प्रतियां जारी की गई थीं. भारत सरकार ने एक मूल प्रति सिंधिया राजवंश को दी थी. 1950 में सिंधिया राजवंश को मिली ये मूल प्रति सन 1956 में महाराज बाड़ा स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी में सुरक्षित रखी गई. लाइब्रेरी में यह प्रति 31 मार्च 1956 में लायी गयी थी.