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सैकड़ों आउटसोर्स कर्मचारी बेरोजगार, प्रशासन ने 2 महीने बाद नौकरी से निकाला

ग्वालियर में सैकड़ों आउटसोर्स कर्मचारियों को अचानक नौकरी से निकाल दिया गया है. जिसके बाद सभी कर्मचारियों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. साथ ही सभी ने बुधवार को धरना प्रदर्शन भी किया.

administration fired outsourced employees after 2 months in gwalior
सैकड़ों आउटसोर्स कर्मचारी बेरोजगार
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Published : Jun 16, 2021, 7:27 PM IST

ग्वालियर। कोरोना काल में रखे गए सैकड़ों आउटसोर्स कर्मचारियों को अचानक नौकरी से निकाल दिया गया है. यह कर्मचारी अप्रैल महीने में ही ड्यूटी पर लिए गए थे. लेकिन अचानक से 10 जून को उन्हें बिना कोई पूर्व सूचना दिए नौकरी से हटा दिया गया. कर्मचारियों का कहना है कि नौकरी पर रखे जाते वक्त ऐसी कोई कंडीशन नहीं रखी गई थी कि उन्हें सिर्फ 2 महीने के लिए नौकरी पर लिया जा रहा है. नौकरी से निकाले जाने के बाद गुस्साए कर्मचारियों ने जयारोग्य चिकित्सालय समूह के अधीक्षक कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. बाद में सभी गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता कार्यालय के बाहर धरना देने बैठ गए.

सैकड़ों आउटसोर्स कर्मचारी बेरोजगार

कई कर्मचारियों को पगार तक नहीं मिली

हटाए गए कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने तमाम जोखिम उठाकर कोरोना काल में संक्रमित मरीजों देखरेख की है, मरीजों के इलाज से लेकर देहांत तक में कर्मचारियों ने जोखिम उठाकर 12-12 घंटे पीपीई किट पहनकर काम किया. लेकिन जैसे ही कोरोना संक्रमण पर काबू पाया गया, वैसे ही उन्हें नौकरी से हटा दिया गया. बता दें, यह कर्मचारी इंदौर की अपडेटर सर्विसेज के जरिए नौकरी पर रखे गए थे. यह कर्मचारी सफाईकर्मी से लेकर वॉर्ड बॉय और हाउस कीपिंग के कार्य में लगाए गए थे. कुल 124 कर्मचारियों में से 100 से ज्यादा कर्मचारियों को हटा दिया गया. जिनका कहना है कि अगर उन्हें पता होता कि सिर्फ 2 महीने के लिए ही उनसे सेवाएं ली जाएंगी, तो वह इतना जोखिम उठाकर काम ही नहीं करते. वहीं हैरानी की बात यह भी है कि कई कर्मचारियों को 2 महीने की पगार भी नहीं मिली है. जो 10 से 12 हजार रुपए प्रति माह तय की गई थी.

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कर्मचारियों के गंभीर आरोप

कर्मचारियों का कहना है कि प्रशासनिक अफसर और जनप्रतिनिधि यहां आकर उन्हें फ्रंटलाइन वर्कर और कोरोना योद्धा सहित न जाने क्या-क्या उपाधि देते थे. कोविड प्रभारी मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने तो इन कर्मचारियों का कार्य देखकर उन्हें 5-5 हजार रुपए अलग से देने का भी वादा किया था. लेकिन वह पैसे तो मिले नहीं उल्टे उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है. अधिकांश कर्मचारी अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के हैं. मामले में अस्पताल प्रशासन का कोई भी अधिकारी बात करने के लिए तैयार नहीं है. कर्मचारियों की मांगों से संभागीय आयुक्त को अवगत करा दिया गया है, जैसे वरिष्ठ अधिकारी निर्देश देंगे उसके अनुरूप आगामी कार्रवाई की जाएगी.

ग्वालियर। कोरोना काल में रखे गए सैकड़ों आउटसोर्स कर्मचारियों को अचानक नौकरी से निकाल दिया गया है. यह कर्मचारी अप्रैल महीने में ही ड्यूटी पर लिए गए थे. लेकिन अचानक से 10 जून को उन्हें बिना कोई पूर्व सूचना दिए नौकरी से हटा दिया गया. कर्मचारियों का कहना है कि नौकरी पर रखे जाते वक्त ऐसी कोई कंडीशन नहीं रखी गई थी कि उन्हें सिर्फ 2 महीने के लिए नौकरी पर लिया जा रहा है. नौकरी से निकाले जाने के बाद गुस्साए कर्मचारियों ने जयारोग्य चिकित्सालय समूह के अधीक्षक कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. बाद में सभी गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता कार्यालय के बाहर धरना देने बैठ गए.

सैकड़ों आउटसोर्स कर्मचारी बेरोजगार

कई कर्मचारियों को पगार तक नहीं मिली

हटाए गए कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने तमाम जोखिम उठाकर कोरोना काल में संक्रमित मरीजों देखरेख की है, मरीजों के इलाज से लेकर देहांत तक में कर्मचारियों ने जोखिम उठाकर 12-12 घंटे पीपीई किट पहनकर काम किया. लेकिन जैसे ही कोरोना संक्रमण पर काबू पाया गया, वैसे ही उन्हें नौकरी से हटा दिया गया. बता दें, यह कर्मचारी इंदौर की अपडेटर सर्विसेज के जरिए नौकरी पर रखे गए थे. यह कर्मचारी सफाईकर्मी से लेकर वॉर्ड बॉय और हाउस कीपिंग के कार्य में लगाए गए थे. कुल 124 कर्मचारियों में से 100 से ज्यादा कर्मचारियों को हटा दिया गया. जिनका कहना है कि अगर उन्हें पता होता कि सिर्फ 2 महीने के लिए ही उनसे सेवाएं ली जाएंगी, तो वह इतना जोखिम उठाकर काम ही नहीं करते. वहीं हैरानी की बात यह भी है कि कई कर्मचारियों को 2 महीने की पगार भी नहीं मिली है. जो 10 से 12 हजार रुपए प्रति माह तय की गई थी.

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कर्मचारियों के गंभीर आरोप

कर्मचारियों का कहना है कि प्रशासनिक अफसर और जनप्रतिनिधि यहां आकर उन्हें फ्रंटलाइन वर्कर और कोरोना योद्धा सहित न जाने क्या-क्या उपाधि देते थे. कोविड प्रभारी मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने तो इन कर्मचारियों का कार्य देखकर उन्हें 5-5 हजार रुपए अलग से देने का भी वादा किया था. लेकिन वह पैसे तो मिले नहीं उल्टे उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है. अधिकांश कर्मचारी अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के हैं. मामले में अस्पताल प्रशासन का कोई भी अधिकारी बात करने के लिए तैयार नहीं है. कर्मचारियों की मांगों से संभागीय आयुक्त को अवगत करा दिया गया है, जैसे वरिष्ठ अधिकारी निर्देश देंगे उसके अनुरूप आगामी कार्रवाई की जाएगी.

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