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मेले में दुकानदारों को हुआ लाखों का घाटा , बिल माफ के लिए करेंगे आंदोलन

ग्वालियर में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए प्रशासन ने व्यापार मेला पूर्व निर्धारित अवधि से पहले ही समाप्त करने के आदेश जारी किए हैं, जिससे दुकानदारों को लाखों का नुकसान हुआ है, इसलिए दुकानदारों ने बिल माफ करने को लेकर आंदोलन करने की बात कही है.

administration directed to close the Gwalior fair
मेला
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Published : Mar 31, 2021, 3:14 PM IST

ग्वालियर। कोरोना सरकार के लगातार विस्तार को देखते हुए ग्वालियर व्यापार मेला पूर्व निर्धारित अवधि ( 15 अप्रैल ) से पहले ही समाप्त करने के आदेश से व्यापारी लाखों के नुकसान में है. जिसको लेकर अब व्यापारी एकजुट होने लगे हैं. साथ ही वह मेले में दुकान की रेंट और बिजली के बिल को माफ करने के लिए सड़कों पर आने की योजना बना रहे हैं. जिसको लेकर व्यापारी संघ का कहना है कि देश के अलग-अलग राज्यों में 500 से अधिक ज्यादा दुकाने मेले में आती है लेकिन आपदा के इस दौर में मिले को तत्काल प्रभाव से बंद करने के आदेश के बाद व्यापारी और दुकानदार मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान है.

दुकानदारों को हुआ लाखों का घाटा

मेले में अभी 70 फीसदी दुकान में भी बनकर तैयार नहीं हुई थी कि अचानक मेले को लेकर कलेक्टर ने 28 मार्च को मेला बंद करने के आदेश जारी कर दिए थे, जिससे वह लाखों के नुकसान और कर्जे में आ गए हैं. इसलिए सरकार को मेले की दुकानों का रेंट और बिल माफ करना चाहिए.

मेले में आये दुकानदारों को लाखों रुपए का हुआ घाटा

अबकी बार अलग-अलग राज्यों से मेले में आए दुकानदारों को लाखों रुपए का घाटा झेलना पड़ा है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पहले जिला प्रशासन और सरकार ने मेला का उद्घाटन करने के बाद सभी दुकानदारों को न्योता भी दिया, जब यहां पर दुकानें सजने लगी तो सरकार ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए मेला बंद करने का निर्णय ले लिया. उसके बाद कलेक्टर ने मेले को 20 दिन पहले ही बंद करने के आदेश जारी कर दिए और यही वजह है कि यहां पर आए सभी दुकानदार घाटे में चले गये.

administration directed to close the Gwalior fair
मेला

ग्वालियर नगर निगम पेश करेगा बजट, इन कार्यों पर रहेगा फोकस

प्रशासन द्वारा दुकानों से लिये रेंट वापस और बिल माफ करने की मांग

समय से पहले मेले को समाप्त करने के बाद दूर-दूर से आए दुकानदार घाटे में पहुंच गए हैं. इसलिए उनकी मांग है कि जिला प्रशासन और मेला प्रबंधक द्वारा दुकान लगाने के एवज में जो रेंट लिया गया है. साथ ही जो दुकानों पर बिजली का बिल सौंपा गया है, उसको माफ किया जाए, क्योंकि घाटे में जाने के बाद सभी दुकानदार मानसिक रूप से परेशान हैं. ऐसे में सरकार और प्रशासन को इन दुकानदारों की मदद के लिए आगे आना चाहिए.

अगर दुकानों का रेंट और बिजली का बिल माफ नहीं किया तो सड़कों पर करेंगे आंदोलन

सभी दुकानदारों का कहना है कि मेला प्रबंध से मिलने की योजना बना रहे हैं, दुकानदारों की बैठक के बाद निर्णय लिया जाएगा और यह तय किया जाएगा कि मेला प्रबंधन और जिला प्रशासन से मिलकर दुकानों का रेंट और जो दुकानों का बिल आया है, उसको माफ करने के लिए बोला जाएगा. अगर सरकार ने इन दुकानदारों की मदद नहीं की तो हम सड़कों पर उतरेंगे.

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मेला

मेले में सबसे ज्यादा ऑटोमोबाइल सेक्टर में हुआ कारोबार

भले ही मेले को समय की अवधि से पहले ही समाप्त कर दिया गया हो लेकिन सबसे ज्यादा अबकी बार फायदे में ऑटोमोबाइल सेक्टर रहा है. ऑटोमोबाइल सेक्टर में कुल 811 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ है. जेल में 7000 से अधिक चार पहिया वाहन और 8000 से अधिक दोपहिया वाहनो की बिक्री हुई है. इसके अलावा अन्य वाहनों की हुई बिक्री के साथ एक करोड़ रुपए से अधिक कीमत वाली चार बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज भी मेले में बिक चुकी है.

ग्वालियर। कोरोना सरकार के लगातार विस्तार को देखते हुए ग्वालियर व्यापार मेला पूर्व निर्धारित अवधि ( 15 अप्रैल ) से पहले ही समाप्त करने के आदेश से व्यापारी लाखों के नुकसान में है. जिसको लेकर अब व्यापारी एकजुट होने लगे हैं. साथ ही वह मेले में दुकान की रेंट और बिजली के बिल को माफ करने के लिए सड़कों पर आने की योजना बना रहे हैं. जिसको लेकर व्यापारी संघ का कहना है कि देश के अलग-अलग राज्यों में 500 से अधिक ज्यादा दुकाने मेले में आती है लेकिन आपदा के इस दौर में मिले को तत्काल प्रभाव से बंद करने के आदेश के बाद व्यापारी और दुकानदार मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान है.

दुकानदारों को हुआ लाखों का घाटा

मेले में अभी 70 फीसदी दुकान में भी बनकर तैयार नहीं हुई थी कि अचानक मेले को लेकर कलेक्टर ने 28 मार्च को मेला बंद करने के आदेश जारी कर दिए थे, जिससे वह लाखों के नुकसान और कर्जे में आ गए हैं. इसलिए सरकार को मेले की दुकानों का रेंट और बिल माफ करना चाहिए.

मेले में आये दुकानदारों को लाखों रुपए का हुआ घाटा

अबकी बार अलग-अलग राज्यों से मेले में आए दुकानदारों को लाखों रुपए का घाटा झेलना पड़ा है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पहले जिला प्रशासन और सरकार ने मेला का उद्घाटन करने के बाद सभी दुकानदारों को न्योता भी दिया, जब यहां पर दुकानें सजने लगी तो सरकार ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए मेला बंद करने का निर्णय ले लिया. उसके बाद कलेक्टर ने मेले को 20 दिन पहले ही बंद करने के आदेश जारी कर दिए और यही वजह है कि यहां पर आए सभी दुकानदार घाटे में चले गये.

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मेला

ग्वालियर नगर निगम पेश करेगा बजट, इन कार्यों पर रहेगा फोकस

प्रशासन द्वारा दुकानों से लिये रेंट वापस और बिल माफ करने की मांग

समय से पहले मेले को समाप्त करने के बाद दूर-दूर से आए दुकानदार घाटे में पहुंच गए हैं. इसलिए उनकी मांग है कि जिला प्रशासन और मेला प्रबंधक द्वारा दुकान लगाने के एवज में जो रेंट लिया गया है. साथ ही जो दुकानों पर बिजली का बिल सौंपा गया है, उसको माफ किया जाए, क्योंकि घाटे में जाने के बाद सभी दुकानदार मानसिक रूप से परेशान हैं. ऐसे में सरकार और प्रशासन को इन दुकानदारों की मदद के लिए आगे आना चाहिए.

अगर दुकानों का रेंट और बिजली का बिल माफ नहीं किया तो सड़कों पर करेंगे आंदोलन

सभी दुकानदारों का कहना है कि मेला प्रबंध से मिलने की योजना बना रहे हैं, दुकानदारों की बैठक के बाद निर्णय लिया जाएगा और यह तय किया जाएगा कि मेला प्रबंधन और जिला प्रशासन से मिलकर दुकानों का रेंट और जो दुकानों का बिल आया है, उसको माफ करने के लिए बोला जाएगा. अगर सरकार ने इन दुकानदारों की मदद नहीं की तो हम सड़कों पर उतरेंगे.

administration directed to close the Gwalior fair
मेला

मेले में सबसे ज्यादा ऑटोमोबाइल सेक्टर में हुआ कारोबार

भले ही मेले को समय की अवधि से पहले ही समाप्त कर दिया गया हो लेकिन सबसे ज्यादा अबकी बार फायदे में ऑटोमोबाइल सेक्टर रहा है. ऑटोमोबाइल सेक्टर में कुल 811 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ है. जेल में 7000 से अधिक चार पहिया वाहन और 8000 से अधिक दोपहिया वाहनो की बिक्री हुई है. इसके अलावा अन्य वाहनों की हुई बिक्री के साथ एक करोड़ रुपए से अधिक कीमत वाली चार बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज भी मेले में बिक चुकी है.

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