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उम्र 72 साल और समाज सेवा का जज्बा कमाल! अस्पताल पहुंच बीमारों की करते हैं देखभाल, खाने का भी इंतजाम - madhya pradesh

शहर के शास्त्री कॉलोनी में रहने वाले 72 वर्षीय शारदा प्रसाद पटवा (Sharda Prasad Patwa) आज भी समाज सेवा (Social service) में पूरी शिद्दत के साथ जुटे हैं. जिन्होंने शासकीय सेवा के दौरान अस्पताल (Hospital) आने वालों की मदद शुरू की थी, जो कई सालों बाद आज भी जारी है.

Sharda Prasad Patwa
शारदा प्रसाद पटवा
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Published : Oct 2, 2021, 8:12 AM IST

Updated : Oct 2, 2021, 11:00 AM IST

कटनी। आज भी समाज में ऐसे लोग मौजूद हैं, जो निस्वार्थ भाव से पीड़ित व्यक्तियों की सेवा करने में अपना जीवन खपा देते हैं. 72 साल के वृद्ध शारदा पटना ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है. वे प्रतिदिन सुबह जिला अस्पताल के अलावा मंदिरों के आसपास रहने वाले वृद्ध और असहाय लोगों को भोजन आदि उपलब्ध कराते हैं. यह उनकी ड्यूटी का हिस्सा नहीं है, बल्कि वे अपने मन के सुकून के लिए पिछले कई साल से समाजसेवा करते आ रहे हैं.

समाजसेवी के आड़े नहीं आने दी उम्र
रिटायरमेंट के बाद अक्सर लोग खुद को कमजोर मानकर दूसरों पर आश्रित हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो वृद्धावस्था तक अपनी फिटनेस को कायम रखते हैं. साथ ही दूसरों के लिए मिसाल भी बनते हैं. कुछ इसी तरह का जज्बा है शहर के शास्त्री कॉलोनी में रहने वाले शारदा प्रसाद पटवा का, जिन्होंने शासकीय सेवा के दौरान अस्पताल आने वालों की मदद शुरू की थी और आज कई साल से उनकी यह सेवा निरंतर जारी है.

कहां से आया समाज सेवा का विचार
अस्पताल के सामने पहले बस स्टैंड हुआ करता था. जहां पर राज्य परिवहन निगम में पटवा ने वर्ष 1976 में सेवाएं देना प्रारंभ की. उस दौरान वे देखा करते थे, कि गांव से इलाज कराने आने वालों के परिजन खाना बनाने के लिए लकड़ी एकत्र करते थे. यहां से उनके मन में लोगों की मदद करने का विचार आया, और रोजाना सुबह आकर वे ऑफिस के पास बैठने वाली गायों के गोबर को एकत्र कर उनके उपले बनाकर बाउंड्रीवाल में सूखने को रख देते थे. जब भी कोई परिवार खाना बनाने के लिए परेशान दिखता तो उनको वही उपले जलाने को देते थे. इसके अलावा लोगों को अनाज आदि भी देकर मदद करना प्रारंभ की.

स्वैच्छिक ले ली सेवानिवृत्ति
राज्य परिवहन निगम (state transport corporation) से पटवा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. इसके बाद से पूर्णरूप से लोगों की सेवा में जुट गए. वर्ष 1990 से लगातार वे सुबह जिला अस्पताल पहुंचते हैं, और ग्रामीण क्षेत्रों से जो भी इलाज को भर्ती होते हैं, उनसे उनका हालचाल पूछने के साथ ही उनके भोजन आदि की व्यवस्था न होने पर खाना उपलब्ध कराता हैं. साथ ही जरूरतमंदों को ब्लड दिलाने का कार्य भी पटवा वर्षों से करते आ रहे हैं.

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जीवन में कुछ ऐसा करो जो दूसरों के लिए हो
अस्पतालों में भर्ती मरीज के साथ यदि कोई न हो तो पटवा खुद सुबह और शाम मरीज के सेवा करते हैं. इसके अलावा निसहाय लोगों की मदद करने के लिए वह हमेशा उपलब्ध मिलते हैं. पटवा सत्य साईं सेवा समिति से भी जुड़े हैं, और उसके माध्यम से भी सेवा कार्य अन्य स्थानों पर करते आ रहे हैं. उनका कहना है कि उनके पिता कहा करते थे कि जीवन में कुछ ऐसा करो, जो दूसरों के लिए हो, पिता की उसी सीख का वे अनुसरण कर इस उम्र में भी वे लोगों की सेवा कर पा रहे हैं. जोकि समाज के लिए किसी सीख से कम नहीं.

कटनी। आज भी समाज में ऐसे लोग मौजूद हैं, जो निस्वार्थ भाव से पीड़ित व्यक्तियों की सेवा करने में अपना जीवन खपा देते हैं. 72 साल के वृद्ध शारदा पटना ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है. वे प्रतिदिन सुबह जिला अस्पताल के अलावा मंदिरों के आसपास रहने वाले वृद्ध और असहाय लोगों को भोजन आदि उपलब्ध कराते हैं. यह उनकी ड्यूटी का हिस्सा नहीं है, बल्कि वे अपने मन के सुकून के लिए पिछले कई साल से समाजसेवा करते आ रहे हैं.

समाजसेवी के आड़े नहीं आने दी उम्र
रिटायरमेंट के बाद अक्सर लोग खुद को कमजोर मानकर दूसरों पर आश्रित हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो वृद्धावस्था तक अपनी फिटनेस को कायम रखते हैं. साथ ही दूसरों के लिए मिसाल भी बनते हैं. कुछ इसी तरह का जज्बा है शहर के शास्त्री कॉलोनी में रहने वाले शारदा प्रसाद पटवा का, जिन्होंने शासकीय सेवा के दौरान अस्पताल आने वालों की मदद शुरू की थी और आज कई साल से उनकी यह सेवा निरंतर जारी है.

कहां से आया समाज सेवा का विचार
अस्पताल के सामने पहले बस स्टैंड हुआ करता था. जहां पर राज्य परिवहन निगम में पटवा ने वर्ष 1976 में सेवाएं देना प्रारंभ की. उस दौरान वे देखा करते थे, कि गांव से इलाज कराने आने वालों के परिजन खाना बनाने के लिए लकड़ी एकत्र करते थे. यहां से उनके मन में लोगों की मदद करने का विचार आया, और रोजाना सुबह आकर वे ऑफिस के पास बैठने वाली गायों के गोबर को एकत्र कर उनके उपले बनाकर बाउंड्रीवाल में सूखने को रख देते थे. जब भी कोई परिवार खाना बनाने के लिए परेशान दिखता तो उनको वही उपले जलाने को देते थे. इसके अलावा लोगों को अनाज आदि भी देकर मदद करना प्रारंभ की.

स्वैच्छिक ले ली सेवानिवृत्ति
राज्य परिवहन निगम (state transport corporation) से पटवा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. इसके बाद से पूर्णरूप से लोगों की सेवा में जुट गए. वर्ष 1990 से लगातार वे सुबह जिला अस्पताल पहुंचते हैं, और ग्रामीण क्षेत्रों से जो भी इलाज को भर्ती होते हैं, उनसे उनका हालचाल पूछने के साथ ही उनके भोजन आदि की व्यवस्था न होने पर खाना उपलब्ध कराता हैं. साथ ही जरूरतमंदों को ब्लड दिलाने का कार्य भी पटवा वर्षों से करते आ रहे हैं.

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जीवन में कुछ ऐसा करो जो दूसरों के लिए हो
अस्पतालों में भर्ती मरीज के साथ यदि कोई न हो तो पटवा खुद सुबह और शाम मरीज के सेवा करते हैं. इसके अलावा निसहाय लोगों की मदद करने के लिए वह हमेशा उपलब्ध मिलते हैं. पटवा सत्य साईं सेवा समिति से भी जुड़े हैं, और उसके माध्यम से भी सेवा कार्य अन्य स्थानों पर करते आ रहे हैं. उनका कहना है कि उनके पिता कहा करते थे कि जीवन में कुछ ऐसा करो, जो दूसरों के लिए हो, पिता की उसी सीख का वे अनुसरण कर इस उम्र में भी वे लोगों की सेवा कर पा रहे हैं. जोकि समाज के लिए किसी सीख से कम नहीं.

Last Updated : Oct 2, 2021, 11:00 AM IST
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