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कोर्ट को गुमराह करने वाले युवक को सात साल की सजा,फर्जी ऑर्डर किए थे पेश - सौरभ यादव धोकाधड़ी

न्यायालय में फर्जी ऑर्डर पेश कर कोर्ट से धोकाधड़ी करने वाले युवक कोर्ट ने 40 हजार रुपये जुर्माना और 7 साल की सजा सुनाई है.

हाईकोर्ट, ग्वालियर
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Published : Jul 30, 2019, 10:41 PM IST

ग्वालियर। फर्जी ऑर्डर बनाकर उसे कोर्ट में पेश करने वाले शख्स को जिला न्यायालय ने सात साल की सजा सुनाई है. हाईकोर्ट जज के मामला संज्ञान में आने के बाद इस मामले में इंजीनियर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.

कोर्ट से धोकाधड़ी के जुर्म में साल साल कैद

सौरभ यादव के हाई कोर्ट के साथ धोखाधड़ी करना मालूम पड़ने पर प्रिंसिपल रजिस्टर के कार्यालय ने सौरभ के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया. उसके खिलाफ जिला न्यायालय के एडीजे कोर्ट में चालान पेश किया गया जहां कोर्ट ने पाया कि आरोपी ने ऐसा कृत्य किया है जो बेहद चौंकाने वाला है.ऐसे में सौरभ गोयल ने न्यायालय के सम्मान को भी ठेस पहुंचाई है. इसलिए न्यायालय ने उसे अलग-अलग धाराओं में सात साल की कठोर सजा और 40 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है.

बता दे, हुजरात कोतवाली क्षेत्र के सौरभ गोयल ने क्रिमिनल रिवीजन और एमसीआरसी के दो फर्जी आदेश तैयार किए थे और 22 जनवरी 2015 को आदेश की प्रतिलिपियां हाई कोर्ट में पेश भी कर दीं. हाई कोर्ट के तत्कालीन जज रोहित आर्य को मामला संदिग्ध लगाने पर कोर्ट के रजिस्ट्री विभाग से इन आदेश की प्रमाणिकता की. रजिस्ट्री ने जज को बताया कि ना तो इस तरह के कई ऑर्डर हाईकोर्ट की वेबसाइट पर जारी हुए हैं ना ही रजिस्ट्री ने कोई ऑर्डर जारी किए हैं.

ग्वालियर। फर्जी ऑर्डर बनाकर उसे कोर्ट में पेश करने वाले शख्स को जिला न्यायालय ने सात साल की सजा सुनाई है. हाईकोर्ट जज के मामला संज्ञान में आने के बाद इस मामले में इंजीनियर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.

कोर्ट से धोकाधड़ी के जुर्म में साल साल कैद

सौरभ यादव के हाई कोर्ट के साथ धोखाधड़ी करना मालूम पड़ने पर प्रिंसिपल रजिस्टर के कार्यालय ने सौरभ के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया. उसके खिलाफ जिला न्यायालय के एडीजे कोर्ट में चालान पेश किया गया जहां कोर्ट ने पाया कि आरोपी ने ऐसा कृत्य किया है जो बेहद चौंकाने वाला है.ऐसे में सौरभ गोयल ने न्यायालय के सम्मान को भी ठेस पहुंचाई है. इसलिए न्यायालय ने उसे अलग-अलग धाराओं में सात साल की कठोर सजा और 40 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है.

बता दे, हुजरात कोतवाली क्षेत्र के सौरभ गोयल ने क्रिमिनल रिवीजन और एमसीआरसी के दो फर्जी आदेश तैयार किए थे और 22 जनवरी 2015 को आदेश की प्रतिलिपियां हाई कोर्ट में पेश भी कर दीं. हाई कोर्ट के तत्कालीन जज रोहित आर्य को मामला संदिग्ध लगाने पर कोर्ट के रजिस्ट्री विभाग से इन आदेश की प्रमाणिकता की. रजिस्ट्री ने जज को बताया कि ना तो इस तरह के कई ऑर्डर हाईकोर्ट की वेबसाइट पर जारी हुए हैं ना ही रजिस्ट्री ने कोई ऑर्डर जारी किए हैं.

Intro:ग्वालियर
ग्वालियर जिला न्यायालय ने उस एम टेक इंजीनियर को 7 साल के कठोर कारावास की सजा से दंडित किया है जिसने पड़ोसी से हुए झगड़े के बाद दायर परिवाद पर हाईकोर्ट के दो फर्जी ऑर्डर बनाकर उसे कोर्ट में पेश कर दिया था हाई कोर्ट जज केसर मामला संज्ञान में आने के बाद इस मामले में इंजीनियर के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई थी।


Body:दरअसल हुजरात कोतवाली क्षेत्र में रहने वाले सौरभ गोयल ने क्रिमिनल रिवीजन और एमसीआरसी के2 फर्जी आदेश तैयार किए थे और 22 जनवरी 2015 को आदेश की प्रतिलिपियां हाई कोर्ट में पेश भी कर दीं हाई कोर्ट के तत्कालीन जज रोहित आर्य को मामला संदिग्ध लगा तो उन्होंने कोर्ट के रजिस्ट्री विभाग से इन आदेश की प्रमाणिकता की जानकारी हासिल करने के लिए जांच के आदेश दिए लेकिन रजिस्ट्री ने जज को बताया कि ना तो इस तरह के कई ऑर्डर हाई कोर्ट की वेबसाइट पर जारी हुए हैं ना ही रजिस्ट्री ने कोई आर्डर जारी किए हैं।


Conclusion:प्रिंसिपल रजिस्टर के कार्यालय के द्वारा एक आवेदन विश्वविद्यालय थाने में दिया गया और सौरभ गोयल के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया। उसके खिलाफ जिला न्यायालय के एडीजे कोर्ट में चालान पेश किया गया जहां कोर्ट ने पाया कि सौरभ गोयल ने इंजीनियर होने के बावजूद ऐसा कृत्य किया है जो बेहद चौंकाने वाला है क्योंकि उच्च शिक्षित व्यक्ति से इस तरह के आचरण की उम्मीद नहीं की जा सकती और हाई कोर्ट के किसी भी आदेश को लोग सम्मान की दृष्टि से देखते हैं ऐसे में सौरभ गोयल ने न्यायालय के सम्मान को भी ठेस पहुंचाई है इसलिए न्यायालय ने उसे अलग-अलग धाराओं में सात सात साल की कठोर सजा और ₹40000 के जुर्माने से दंडित किया है। बाइट सुसेंद्र परिहार शासकीय अधिवक्ता जिला न्यायालय ग्वालियर
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