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हद है भ्रष्टाचार की ! ग्वालियर नगर निगम के 60 फीसदी अधिकारी-कर्मचारी दागदार, RTI से खुलासा

ग्वालियर नगर निगम भ्रष्टाचार के चलते इस समय सुर्खियों में हैं. ग्वालियर नगर निगम के हालात यह हैं कि 60 फीसदी अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्ट हैं. वहीं कांग्रेस-बीजेपी कार्रवाई की बात कह रही है.

Municipal Corporation, Gwalior
नगर निगम, ग्वालियर
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Published : Dec 2, 2020, 10:52 PM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश के नगरीय निकाय में घोटाले होना और रिश्वत लेते इंजीनियर और बाबुओं के पकड़े जाने का खेल कोई नई बात नहीं है. लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि सूबे में ग्वालियर नगर निगम सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले में सुर्खियों में रहता है. हालत यह है कि ग्वालियर नगर निगम के 60 फीसदी अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में इनके खिलाफ आर्थिक भ्रष्टाचार के मामले की कई जांच चल रही हैं. जिनमें 42 से ज्यादा अफसर ऐसे हैं जो बड़े पदों पर हैं. साथ ही नगर निगम कमिश्नर सहित मेयर भी शामिल हैं.

ग्वालियर नगर निगम में भ्रष्टाचार
  • ग्वालियर नगर निगम के 60 फीसदी अधिकारी दागदार
  • निगम कमिश्नर से लेकर उपयंत्री तक शामिल
  • लोकायुक्त पुलिस में चल रही है भ्रष्टाचार की जांच
  • RTI में हुआ खुलासा- 8 साल में सिर्फ कुछ एक मामले में हुई सजा

यह चौंकाने वाली हकीकत ग्वालियर नगर निगम की है. हाल ही में नवंबर महीने में ग्वालियर नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों को लेकर एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि नगर निगम के बड़े पदों पर बैठे हर एक अधिकारी भ्रष्ट हैं. जिसकी जांच लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में चल रही है. खास बात यह है कि लोकायुक्त के पास शिकायतों में तत्कालीन नगर निगम आयुक्तों से लेकर संपत्तिकर संग्राहक तक शामिल हैं. हैरत की बात तो यह है कि इनमें से अधिकांश मामले में आज तक नगर निगम की ओर से लोकायुक्त को जानकारी ही नहीं भेजी गई है.

इन लोगों की शिकायत बीते कई सालों से लोकायुक्त पुलिस के पास है, लेकिन नगर निगम अधिकांश मामले में लोकायुक्त दस्तावेज भेजें ही नहीं.

महापौर समीक्षा गुप्ता आर्थिक सहायता के प्रकरणों में अनियमितताएं करना

  • विनोद शर्मा तत्कालीन आयुक्त अपचारी सेवक शशिकांत शुक्ला को नियम विरुद्ध आर्थिक लाभ पहुंचाना
  • राजेंद्र उपाध्याय भवन निर्माण में अनियमितताएं
  • मुकेश बंसल पार्क अधीक्षण पार्क विभाग में हुई अनियमितताएं
  • प्रदीप वर्मा उपयंत्री भवन निर्माण अनुमति में अनियमितताएं
  • देवेंद्र सिंह चौहान उपायुक्त नामांकन प्रकरणों में अनियमितता
  • माधव सिंह पवैया कार्यपालन यंत्री लोक आयुक्त को जानकारी भी दी जा चुकी है
  • प्रदीप श्रीवास्तव नोडल अधिकारी कंप्यूटर शाखा में अनियमितताएं
  • विनोद शर्मा तत्कालीन कार्यालय अधीक्षक जानकारी भी दी जा चुकी हैं
  • ओवैस सिद्धकी खेल अधिकारी खेल विभाग में अनियमितताएं
  • आयुक्त नगर निगम प्रशासनिक भवन में अनियमितताएं
  • पार्क विभाग में अनियमितताएं, इस मामले में अपर आयुक्त आरके श्रीवास्तव, अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह चौहान के खिलाफ प्रशासन स्तर पर जांच चल रही है.
  • आर एल एस मौर्य सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में अनियमितताएं
  • राजेश परिहार, सत्येंद्र यादव, प्रेम कुमार पचौरी,प्रदीप चतुर्वेदी की विभागीय कार्रवाई के लिए शासन को प्रतिवेदन दिया गया है
  • योगेश श्रीवास्तव संपत्ति कर वसूली में प्रकरण अनियमितताएं
  • शिशिर श्रीवास्तव जन कार्य में अनियमितताएं
  • दिनेश अग्रवाल, प्रेम पचौरी, केशव सिंह चौहान सड़क निर्माण में और अनियमितताएं

कांग्रेस ने की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग

यह वह नाम है जिनके खिलाफ लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में कई तरह की अनियमितताएं की कई जांचे चल रही हैं. खास बात यह है कि कांग्रेस बीजेपी के शासन काल में इन अधिकारियों पर संरक्षण का आरोप भी लगा. वहीं इस बारे में कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है नगर निगम ग्वालियर भ्रष्टाचार अधिकारियों का अड्डा बन चुका है. यहां पर बड़े अधिकारी ठेके पर लाए जाते हैं और उसके बाद लूटने का काम शुरू हो जाता है. यही वजह है इस नगर निगम में कई अधिकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार करते हुए पकड़े गए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता ने मांग की है कि किसी स्वतंत्र एजेंसी से इन अधिकारियों की प्रॉपर्टी की जांच कराई जाए. इसमें मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला सामने आ सकता है.

बीजेपी सांसद ने कही कड़ी कार्रवाई की बात

वहीं नगर निगम मेयर रह चुके सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होना बहुत जरूरी है. उन्हें सरकार से उम्मीद है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेगी.

बहरहाल अब नगरीय निकाय चुनाव बेहद करीब है, कभी भी तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग कर सकता है. लेकिन इस बार नगर निगम के नेता पुरजोर तरीके से निगम के भ्रष्टाचार और उसको संरक्षण देने वाले के खिलाफ मुखर हैं. ऐसे में देखना होगा कि चुनाव की तारीख नजदीक आते-आते सत्ताधारी दल यानी की बीजेपी कितने निगम के दागी अफसरों को जेल या फिर उनके भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की दस्तावेज जांच एजेंसियों को मुहैया करा पाती है.

ग्वालियर। मध्यप्रदेश के नगरीय निकाय में घोटाले होना और रिश्वत लेते इंजीनियर और बाबुओं के पकड़े जाने का खेल कोई नई बात नहीं है. लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि सूबे में ग्वालियर नगर निगम सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले में सुर्खियों में रहता है. हालत यह है कि ग्वालियर नगर निगम के 60 फीसदी अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में इनके खिलाफ आर्थिक भ्रष्टाचार के मामले की कई जांच चल रही हैं. जिनमें 42 से ज्यादा अफसर ऐसे हैं जो बड़े पदों पर हैं. साथ ही नगर निगम कमिश्नर सहित मेयर भी शामिल हैं.

ग्वालियर नगर निगम में भ्रष्टाचार
  • ग्वालियर नगर निगम के 60 फीसदी अधिकारी दागदार
  • निगम कमिश्नर से लेकर उपयंत्री तक शामिल
  • लोकायुक्त पुलिस में चल रही है भ्रष्टाचार की जांच
  • RTI में हुआ खुलासा- 8 साल में सिर्फ कुछ एक मामले में हुई सजा

यह चौंकाने वाली हकीकत ग्वालियर नगर निगम की है. हाल ही में नवंबर महीने में ग्वालियर नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों को लेकर एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि नगर निगम के बड़े पदों पर बैठे हर एक अधिकारी भ्रष्ट हैं. जिसकी जांच लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में चल रही है. खास बात यह है कि लोकायुक्त के पास शिकायतों में तत्कालीन नगर निगम आयुक्तों से लेकर संपत्तिकर संग्राहक तक शामिल हैं. हैरत की बात तो यह है कि इनमें से अधिकांश मामले में आज तक नगर निगम की ओर से लोकायुक्त को जानकारी ही नहीं भेजी गई है.

इन लोगों की शिकायत बीते कई सालों से लोकायुक्त पुलिस के पास है, लेकिन नगर निगम अधिकांश मामले में लोकायुक्त दस्तावेज भेजें ही नहीं.

महापौर समीक्षा गुप्ता आर्थिक सहायता के प्रकरणों में अनियमितताएं करना

  • विनोद शर्मा तत्कालीन आयुक्त अपचारी सेवक शशिकांत शुक्ला को नियम विरुद्ध आर्थिक लाभ पहुंचाना
  • राजेंद्र उपाध्याय भवन निर्माण में अनियमितताएं
  • मुकेश बंसल पार्क अधीक्षण पार्क विभाग में हुई अनियमितताएं
  • प्रदीप वर्मा उपयंत्री भवन निर्माण अनुमति में अनियमितताएं
  • देवेंद्र सिंह चौहान उपायुक्त नामांकन प्रकरणों में अनियमितता
  • माधव सिंह पवैया कार्यपालन यंत्री लोक आयुक्त को जानकारी भी दी जा चुकी है
  • प्रदीप श्रीवास्तव नोडल अधिकारी कंप्यूटर शाखा में अनियमितताएं
  • विनोद शर्मा तत्कालीन कार्यालय अधीक्षक जानकारी भी दी जा चुकी हैं
  • ओवैस सिद्धकी खेल अधिकारी खेल विभाग में अनियमितताएं
  • आयुक्त नगर निगम प्रशासनिक भवन में अनियमितताएं
  • पार्क विभाग में अनियमितताएं, इस मामले में अपर आयुक्त आरके श्रीवास्तव, अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह चौहान के खिलाफ प्रशासन स्तर पर जांच चल रही है.
  • आर एल एस मौर्य सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में अनियमितताएं
  • राजेश परिहार, सत्येंद्र यादव, प्रेम कुमार पचौरी,प्रदीप चतुर्वेदी की विभागीय कार्रवाई के लिए शासन को प्रतिवेदन दिया गया है
  • योगेश श्रीवास्तव संपत्ति कर वसूली में प्रकरण अनियमितताएं
  • शिशिर श्रीवास्तव जन कार्य में अनियमितताएं
  • दिनेश अग्रवाल, प्रेम पचौरी, केशव सिंह चौहान सड़क निर्माण में और अनियमितताएं

कांग्रेस ने की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग

यह वह नाम है जिनके खिलाफ लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में कई तरह की अनियमितताएं की कई जांचे चल रही हैं. खास बात यह है कि कांग्रेस बीजेपी के शासन काल में इन अधिकारियों पर संरक्षण का आरोप भी लगा. वहीं इस बारे में कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है नगर निगम ग्वालियर भ्रष्टाचार अधिकारियों का अड्डा बन चुका है. यहां पर बड़े अधिकारी ठेके पर लाए जाते हैं और उसके बाद लूटने का काम शुरू हो जाता है. यही वजह है इस नगर निगम में कई अधिकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार करते हुए पकड़े गए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता ने मांग की है कि किसी स्वतंत्र एजेंसी से इन अधिकारियों की प्रॉपर्टी की जांच कराई जाए. इसमें मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला सामने आ सकता है.

बीजेपी सांसद ने कही कड़ी कार्रवाई की बात

वहीं नगर निगम मेयर रह चुके सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होना बहुत जरूरी है. उन्हें सरकार से उम्मीद है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेगी.

बहरहाल अब नगरीय निकाय चुनाव बेहद करीब है, कभी भी तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग कर सकता है. लेकिन इस बार नगर निगम के नेता पुरजोर तरीके से निगम के भ्रष्टाचार और उसको संरक्षण देने वाले के खिलाफ मुखर हैं. ऐसे में देखना होगा कि चुनाव की तारीख नजदीक आते-आते सत्ताधारी दल यानी की बीजेपी कितने निगम के दागी अफसरों को जेल या फिर उनके भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की दस्तावेज जांच एजेंसियों को मुहैया करा पाती है.

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