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15 अगस्त के मौके पर ग्वालियर सेंट्रल जेल से रिहा किए गए 40 कैदी

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ग्वालियर सेंट्रल जेल से 40 कैदियों को रिहा किया गया है. शासन की हर स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस पर जेल में बंदियों को छोड़ने की प्रथा रही है.

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ग्वालियर सेंट्रल जेल से रिहा किए गए 40 कैदी
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Published : Aug 15, 2020, 1:49 PM IST

ग्वालियर। सेंट्रल जेल से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शासन की नीति के तहत 40 बंदियों को रिहा किया गया है. ये सभी लंबे अरसे से जेल में बंद थे और काफी समय जेल में व्यतीत कर चुके थे, लेकिन अच्छे चाल चलन की वजह से जेल प्रशासन ने उनकी रिहाई के लिए मुख्यालय से अनुशंसा की थी, जिसे मंजूरी मिलने के बाद छोड़ा गया है. जेल से रिहा होने के बाद बंदियों में खुशी का माहौल है.

मनोज साहू, जेल अधीक्षक

शासन की हर स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस पर जेल में बंदियों को छोड़ने की प्रथा रही है. अच्छे चाल चलन वाले अरसे से बंद कैदियों को जीवन की मुख्यधारा में लौटने के लिए उन्हें छोड़ा जाता है. इस बार भी देश के स्वतंत्रता दिवस की 74वीं वर्षगांठ के मौके पर 40 कैदियों को छोड़ा गया है. इनमें अपहरण, लूट, हत्या और डकैती जैसे संगीन मामलों के अपराधी शामिल थे, लेकिन अब वो जुर्म की दुनिया से तौबा कर चुके हैं और जानबूझकर अथवा भूल से हुई उस घटना को याद करना भी नहीं चाहते हैं.

जेल प्रबंधन द्वारा बंदियों द्वारा अपने कारावास की अवधि में किए गए काम का पारिश्रमिक भी उन्हें दिया गया है. साथ ही ये भी हिदायत दी गई है कि वो अब अपराध की दुनिया की तरफ देखेंगे नहीं और बाकी जीवन अपना पत्नी, बच्चों और परिवार के साथ बिताएंगे. कैदियों ने अपने किए पर अफसोस जताया और कहा कि वो अब मुख्यधारा में लौटकर परिवार के साथ इज्जत की दो रोटी खाना पसंद करेंगे.

ग्वालियर। सेंट्रल जेल से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शासन की नीति के तहत 40 बंदियों को रिहा किया गया है. ये सभी लंबे अरसे से जेल में बंद थे और काफी समय जेल में व्यतीत कर चुके थे, लेकिन अच्छे चाल चलन की वजह से जेल प्रशासन ने उनकी रिहाई के लिए मुख्यालय से अनुशंसा की थी, जिसे मंजूरी मिलने के बाद छोड़ा गया है. जेल से रिहा होने के बाद बंदियों में खुशी का माहौल है.

मनोज साहू, जेल अधीक्षक

शासन की हर स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस पर जेल में बंदियों को छोड़ने की प्रथा रही है. अच्छे चाल चलन वाले अरसे से बंद कैदियों को जीवन की मुख्यधारा में लौटने के लिए उन्हें छोड़ा जाता है. इस बार भी देश के स्वतंत्रता दिवस की 74वीं वर्षगांठ के मौके पर 40 कैदियों को छोड़ा गया है. इनमें अपहरण, लूट, हत्या और डकैती जैसे संगीन मामलों के अपराधी शामिल थे, लेकिन अब वो जुर्म की दुनिया से तौबा कर चुके हैं और जानबूझकर अथवा भूल से हुई उस घटना को याद करना भी नहीं चाहते हैं.

जेल प्रबंधन द्वारा बंदियों द्वारा अपने कारावास की अवधि में किए गए काम का पारिश्रमिक भी उन्हें दिया गया है. साथ ही ये भी हिदायत दी गई है कि वो अब अपराध की दुनिया की तरफ देखेंगे नहीं और बाकी जीवन अपना पत्नी, बच्चों और परिवार के साथ बिताएंगे. कैदियों ने अपने किए पर अफसोस जताया और कहा कि वो अब मुख्यधारा में लौटकर परिवार के साथ इज्जत की दो रोटी खाना पसंद करेंगे.

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