ग्वालियर। जिले में कोरोना संक्रमण (Corona infection) से बचाव के लिए लगाए जा रही वैक्सीन (vaccine) के कई डोज अब तक खराब हो चुके हैं. पिछले 4 महीनों के दौरान 33 हजार से ज्यादा डोज खराब हो चुके हैं, यदि यह डोज इस्तेमाल में आते तो लगभग 16 हजार लोगों को वैक्सीनेशन (Vaccination) कर दिया जाता और उन्हें दोनों डोज लग चुके होते, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि हर वैक्सीन के साथ 10 फीसदी डोज खराब होने का अंदेशा रहता है. इसमें कोई नई बात या लापरवाही जैसी बात नहीं है.
- लोगों के डर के कारण खराब हुई वैक्सीन
दरअसल ग्वालियर जिले में 16 जनवरी से कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) लगाने का अभियान शुरू किया गया था, अब तक यह वैक्सीन लगभग चार लाख लोगों को लगाई जा चुकी है. इनमें से 75 हजार लोग ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन के दोनों ही डोज लग चुके हैं. जबकि बाकी लोगों को पहला डोज ही लगा है. 16 जनवरी से शुरू हुए इस अभियान में सबसे पहले फ्रंटलाइन वर्कर याने चिकित्सक स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोग और अस्पताल के स्टाफ को शामिल किया गया था, लेकिन तमाम तरह की आशंकाओं और डर की वजह से शुरुआत में लोगों में इस वैक्सीनेशन के प्रति रुझान नहीं दिखा. इस कारण फ्रंटलाइन वॉरियर ने भी कम संख्या में ही वैक्सीनेशन कराया था. उसके बाद स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक और अन्य चिकित्सकों ने जब वैक्सीन ली तो लोगों में वैक्सीनेशन के प्रति रुझान बढ़ा. लेकिन इस दौरान वैक्सीन के कई डोज फ्रंटलाइन वॉरियर के पूरी संख्या में नहीं आने के कारण खराब हो गए थे. इनकी संख्या लगभग 33 हजार से ज्यादा है.
रजिस्ट्रेशन के बाद भी वैक्सीन लगवाने नहीं पहुंचे युवा
- 10 फीसदी वैक्सीन खराब होने की आशंका
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि 10 फीसदी डोज हर वैक्सीन की खराब होने का अंदेशा रहता है, लेकिन उनकी कोशिश है कि लोगों को वैक्सीनेशन के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें और उन्हें समय रहते वैक्सीन लगवाएं. क्योंकि दूसरे दौर में संक्रमण में ज्यादा जनहानि हुई है. अब लोग वैक्सीनेशन करा रहे हैं. अब तो सरकार ने 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को भी वैक्सीनेट करने का ऑफर दिया है, लेकिन फिलहाल उन्हें अपना रजिस्ट्रेशन कराने में दिक्कत आ रही है. इसलिए कम संख्या में लोग वैक्सीनेशन सेंटर तक पहुंच रहे हैं.