गुना। बमोरी विधानसभा में तीन नवंबर को हुए मतदान के बाद सभी 12 प्रत्याशी अपनी जीत हार का गणित लगाने में जुट गए हैं. खास बात यह है कि दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के कार्यालय एक ही जगह पर होने की वजह से यहां दिलचस्प नजारा दिखाई देता है. दोनों ही जगह पर तटस्थ रहने वाले नेता तो दिखाई नहीं देते, लेकिन कट्टर समर्थक सुबह से ही डेरा जमा लेते हैं.
दोनों प्रत्याशियों के दफ्तर में रहती है समर्थकों की भीड़
दोनों ही दलों के प्रत्याशियों ने अपनी विचारधारा में भले ही बदलाव करने का प्रयास किया हो लेकिन कुछ समानताएं इनमें दिलचस्प हैं. बीजेपी प्रत्याशी और मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया और कांग्रेस के कन्हैया लाल अग्रवाल दोनों की ही दिनचर्या सुबह 9 बजे शुरू होती है यानि दोनों प्रत्याशी चैन की नींद ले रहे हैं. इसके बाद 11 बजे दोनों प्रत्याशी कार्यालय पहुंच जाते हैं. भाजपा प्रत्याशी महेंद्र सिंह सिसोदिया का कार्यालय और निवास एक ही स्थान पर हैं. लेकिन, कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैयालाल अग्रवाल गुना के सदर बाजार से अपने निवास टेलीफोन एक्सचेंज के नजदीक आने में थोड़ा समय लगता है. ऐसे में दोनों ही प्रत्याशी जब अपने दफ्तरों में आते हैं तो समर्थकों की भीड़ लगी रहती है. यहां बैठे लोगों के बीच एक ही चर्चा होती है कि जीत कितने से होगी.
बमोरी में स्टार प्रचारकों ने की कई सभाएं
बमोरी विधानसभा में एक महीने से भी अधिक समय तक चले चुनावी घमासान के दौरान अब तक कोई यह निश्चित नहीं कर पाया कि मुकाबला एकतरफा है या कांटे की टक्कर. बावजूद दोनों प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे हैं. चुनाव कितना मुश्किल रहा इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्टार प्रचारकों में ज्योतिरादित्य सिंधिया, सीएम शिवराज सिंह चौहान, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की लगातार सभाएं बमोरी में हुई हैं.
दोनों प्रत्याशी कर रहे हैं जीत का दावा
उधर कभी कांग्रेस के टिकट पर 28,000 मतों से चुनाव जीतने वाले महेंद्र सिंह सिसोदिया अपनी जीत के बारे में कहते हैं, 'जीत तो जीत होती है, चाहे वह एक वोट से हो या एक लाख से' वहीं केएल अग्रवाल का कहना है, 'भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के कार्यालय पर सुबह से लेकर शाम तक कुछ कागज दिखाई देते हैं. यह वह दस्तावेज हैं जो निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव पूरा होने के बाद एजेंटों को दिए गए थे. इनमें एक ही आंकड़ा होता है कि किस पोलिंग पर कितनी वोटिंग हुई इसी के आधार पर पोलिंग प्रभारी दावा कर रहे हैं. जीत कितने वोटों से हो सकती है.'
वोट ज्यादा पडे़ लेकिन मतदान प्रतिशत कम
बमोरी में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान का प्रतिशत 78.92% रहा, जबकि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में यह प्रतिशत 79.60% था. इसके बावजूद मतदाता ज्यादा संख्या में केंद्रों तक पहुंचे लेकिन तकनीकी आधार पर मतदान प्रतिशत का रिकॉर्ड नहीं टूट पाया. उपचुनाव में वोटिंग ज्यादा तो हुई है, लेकिन मतदान प्रतिशत कम रह गया है. दरअसल, विधानसभा उपचुनाव के दौरान बमोरी के 206127 मतदाताओं में से 162685 मतदाताओं ने पोलिंग बूथ पहुंचकर वोट डाला, उधर 2018 के विधानसभा में सिर्फ 155551 मतदाताओं ने वोटिंग की थी.