गुना। कोरोना कर्फ्यू में प्रदेश की कृषि उपज मंडियों को व्यापार करने की रियायत जरूरत मिली है. लेकिन इसके बावजूद व्यापारियों में कोरोना का खौफ इतना है कि वह मंडी नहीं खोलना चाहते. 25 अप्रैल से गुना जिले की मंडियों पर भी तालाबंदी है. हालांकि इसके कुछ सोसायटियों पर तुलाई हो रही है, लेकिन वहां भी कोरोना गाइडलाइन के चलते खरीदी न के बराबर है.
दो व्यापारियों की मौत से खौफ
गुना मंडी में दो व्यापारियों की कोरोना से मौत के बाद व्यापारी किसी तरह का जोखिम लेना नहीं चाहते हैं. इसलिए उन्होंने जिला प्रशासन को दो टूक कह दिया है कि वह मंडी में व्यवसाय वर्तमान हालातों को देखते हुए नहीं कर सकते हैं. दूसरी तरफ किसानों की समस्या है कि, वह अपनी उपज ज्यादा दिनों तक घरों में नहीं रख सकता है. क्योंकि उनके पास ना तो पर्याप्त भण्डारण की सुविधा है, ना ही संसाधन. लिहाजा किसानों को जल्द से जल्द मंडी खुलने का इंतजार है.
किसानों के सामने संकट
किसानों को अब अगली फसल बोने की तैयारी करना है. लेकिन उससे पहले किसानों के सामने अपनी फसल को बेचना बड़ी चुनौती बन गया है. बरोद गांव के किसान वीर सिंह रघुवंशी का कहना है कि, 'खेतों की जुताई करना है, जिसके लिए डीजल लगेगा. कोरोनाकाल चल रहा है जिस वजह से हम फसलें नहीं बेच पाए. सरकार को वैकल्पिक व्यवस्था करना चाहिए ताकि हम अपने खर्चे चला सकें'.
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चना उत्पादकों को नुकसान
सरकार गेहूं खरीद रही है, लेकिन जिन किसानों ने चने का उत्पादन किया है वह ठगा सा महसूस कर रहे हैं. क्योंकि सरकारी रेट 5 हजार 125 है और जब से मंडी बंद हुई है तब से रेट 54 सौ रुपए प्रति क्विंटल जा रहा था. जो कि सरकारी मूल्य से लगभग 200 से 300 क्विंटल ज्यादा है.