गुना। मध्यप्रदेश में गुना जिला मुख्यालय से 8 किमी दूर मां बीस भुजा देवी का मंदिर है. ऊंची पहाड़ी पर बीस भुजा देवी का प्यारा दरबार सजा है. ऐसा कहा जाता है कि, मंदिर में बीसभुजा देवी की जो प्रतिमा लगी है. उसमें दिन के अलग अलग काल में मां के जीवनकाल की झलक मिलती है. सुबह मां का चेहरा एक छोटी कन्या के समान मासूम दिखता है. दिन के समय युवा काल के सौन्दर्य खिलता है. इसके बाद संध्या के समय देवी प्रतिमा पर प्रौढ़ काल का तेज निखर आता है.(Guna Shakti Sthal Unique story) (Guna Maa Bisabhuja Temple)
माता के बदलते हैं स्वरूप: मंदिर में दुर्गा की 20 हाथों वाली प्रतिमा स्थापित है. यहां तीन विशाल दीप स्तंभ है. जिन पर नवरात्रों में सैंकड़ों दीपक जलाए जाते हैं. दूर से यह ‘दीप स्तंभ’ बेहद खूबसूरत दिखाई देते हैं. मंदिर के चारों ओर छोटी छोटी और भी पहाड़िया हैं. जिससे यह स्थान बारिश के मौसम में बेहद खूबसूरत लगने लगता है. मंदिर के थोड़ी ही दूर से गुजरती नदी इस स्थल को और भी सुंदर बना देती है. पूर्व में मां बीस भुजा देवी एक छोटे से मंदिर में स्थापित थी. धीरे-धीरे जीर्णोद्वार करते हुए भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया. मंदिर परिसर में देवी दुर्गा की प्रतिमा भी स्थापित की गई है.
नौ दिन लगता है मेला: मान्यता है कि मां की बीस भुजाओं को कोई नहीं गिन पाता है. जिस भक्त पर मां की कृपा होती है, उसी को बीसों भुजा गिनने का सौभाग्य प्राप्त होता है. शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र में पड़ने वाले दुर्गा अष्टमी के दौरान इस मंदिर में परंपरागत धार्मिक संस्कार और मेले का आयोजन किया जाता है. मंदिर परिसर में लगने वाला यह मेला 9 दिन तक चलता है.(Guna Shakti Sthal Unique story) (Guna Maa Bisabhuja Temple)
देवी माता की शरण में पहुंचे युवराज जयवर्द्धन सिंह: राघोगढ़ के युवराज जयवर्द्धन सिंह बजरंगढ के अतिप्राचीन बीसभुजा मंदिर में शक्ति की आराधना के लिए पहुंचे, जयवर्द्धन सिंह रुठियाई से जंगल के रास्ते बीसभुजा मंदिर पदयात्रा करते हुए पहुंचे. मंदिर पहुंचने के बाद जयवर्द्धन ने मां बीसभुजा की विशेष पूजा अर्चना की. बता दें कि शारदीय नवरात्रों में हमेशा की तरह इस वर्ष भी जयवर्द्धन सिंह झंडा यात्रा लेकर मां के दरबार में पहुंचे. बीसभुजा मां राघोगढ़ राजपरिवार की आराध्य देवी हैं, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी महाष्टमी-नवमीं के दिन बीसभुजा मंदिर में हवन करने पहुंचते हैं.