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'भैय्या जी का अड्डा', बमोरी में समस्याओं का अंबार, आखिर कब होगा विकास

ETV भारत का खास प्रोग्राम 'भैया जी का अड्डा' हर विधानसभा में पहुंचकर मतदाताओं के मन की बात जानने की कोशिश कर रहा है. इसी कड़ी में ETV भारत की टीम गुना जिले की बमोरी विधानसभा में पहुंची और मतदाताओं से चुनावी मुद्दों पर चर्चा की.

bhaiya ji ka adda
भैया जी का अड्डा
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Published : Oct 28, 2020, 4:12 PM IST

गुना। प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों में 3 नवंबर को मतदान होने वाले हैं. इन सीटों में गुना जिले की बमोरी विधानसभा भी शामिल है. इस समय क्षेत्र में सभी राजनीतिक दलों की चुनावी सभाएं हो रही हैं, जनता से कई वादे और दावे किए जा रहे हैं. बमोरी के चुनवी मैदान में जहां बीजेपी ने जहां महेंद्र सिंह सिसोदिया को उतारा है वहीं कांग्रेस ने कन्हैया लाल अग्रवाल को खड़ा किया है. ETV भारत की टीम विधानसभा क्षेत्र पहुंची और मतदाताओं से चुनावी मुद्दों पर चर्चा की.

भैया जी का अड्डा

रोजगार के साधन नहीं

क्षेत्र में न तो कोई उद्योग है, और न हीं कोई फैक्ट्री, जहां रहवासियों को रोजगार मिल सके. ऐसे में परेशान ग्रामीण पलायन करने और गरीबी में जीवन यापन करने को मजबूर हैं. भैय्या जी के अड्डे पर बात करते हुए रहवांसियों ने बताया कि यहां युवा बेरोजगार हैं. मजदूरी की तलाश में गुना जाना पड़ता है. इसके अलावा कई युवा तो राजस्थान और दूसरे राज्यों में भी मजदूरी करने जाते हैं.

बिजली की समस्या से किसान ग्रसित

किसानों ने बताया कि क्षेत्र में दूर-दूर तक विकास नजर नहीं आता है. यहां काफी बड़ा वर्ग किसान है, जो बिजली की समस्याओं से ग्रसित है. एक-एक कनेक्शन के दो-दो बिल आ रहे हैं. शिकायत करने पर कोई निदान नहीं हो रहा है.

महिलाएं चूल्हें में पका रहीं खाना

भैय्या जी के अड्डे पर जब महिलाओं से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि बरसात में घर गिर गए थे. प्रधानमंत्री आवास का लाभ हमें नहीं मिल पाया है. वहीं उज्जवला योजना का लाभ भी नहीं मिला है. जिसके चलते आज भी हम चूल्हे पर रोटी पका रहे हैं. जंगल में लकड़ी लेने जाते हैं तो वन विभाग वाले केस बना देते हैं. नेता चुनाव के पहले आते हैं बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन वास्तव स्थिति कुछ और ही है.

ये भी पढ़ें- अबकी बारी बमोरी की जनता किसको देगी जिम्मेदारी ? दिलचस्प उपचुनाव में प्रत्याशी वहीं, लेकिन पार्टी नई

पेयजल की व्यवस्था नहीं

बमोरी में लोगों को पानी के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ता है. इलाके में बेहतर पेयजल व्यवस्था नहीं होने के कारण रहवासियों को अपनी प्यास बुझाने के लिए एक साथ कई घड़ों को लेकर जाना पड़ता है. यहां तक बच्चे और बुजुर्ग भी पानी के लिए कई किलोमीटर पैदल सफर तय करते हैं.

नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ

बमोरी विधानसभा में काफी बड़ा क्षेत्र ग्रामीण परिवेश से आता है. लगभग 45 से 50 फीसदी क्षेत्र, वन क्षेत्र में आता है. यहां के ग्रामीणों की बहुत छोटी-छोटी जरूरतें हैं. उनके लिए शासन ने केंद्र और राज्य स्तर से काफी योजनाएं संचालित की हैं लेकिन उन योजनाओं का लाभ अधिकतर हितग्राहियों को नहीं मिल पा रहा है. रोजगार के लिए रोजगार गारंटी के काम पंचायतों में उपलब्ध नहीं है.

जिले में कितने हैं मतदाता-

बमोरी विधानसभा क्षेत्र की अनुमानित कुल आबादी 35,3,014 है.

मतदाता20182020
कुल195232205335
पुरुष10237316999
महिला9295298336


बमोरी में जातीय समीकरण-

  • आदिवासी सहरिया अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति - 70 हजार
  • किरार धाकड़ - 40 हजार
  • लोधा-लोधी - 20 हजार
  • यादव- 15 हजार
  • रघुवंशी - 10 हजार
  • अन्य- पचास हजार

गुना। प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों में 3 नवंबर को मतदान होने वाले हैं. इन सीटों में गुना जिले की बमोरी विधानसभा भी शामिल है. इस समय क्षेत्र में सभी राजनीतिक दलों की चुनावी सभाएं हो रही हैं, जनता से कई वादे और दावे किए जा रहे हैं. बमोरी के चुनवी मैदान में जहां बीजेपी ने जहां महेंद्र सिंह सिसोदिया को उतारा है वहीं कांग्रेस ने कन्हैया लाल अग्रवाल को खड़ा किया है. ETV भारत की टीम विधानसभा क्षेत्र पहुंची और मतदाताओं से चुनावी मुद्दों पर चर्चा की.

भैया जी का अड्डा

रोजगार के साधन नहीं

क्षेत्र में न तो कोई उद्योग है, और न हीं कोई फैक्ट्री, जहां रहवासियों को रोजगार मिल सके. ऐसे में परेशान ग्रामीण पलायन करने और गरीबी में जीवन यापन करने को मजबूर हैं. भैय्या जी के अड्डे पर बात करते हुए रहवांसियों ने बताया कि यहां युवा बेरोजगार हैं. मजदूरी की तलाश में गुना जाना पड़ता है. इसके अलावा कई युवा तो राजस्थान और दूसरे राज्यों में भी मजदूरी करने जाते हैं.

बिजली की समस्या से किसान ग्रसित

किसानों ने बताया कि क्षेत्र में दूर-दूर तक विकास नजर नहीं आता है. यहां काफी बड़ा वर्ग किसान है, जो बिजली की समस्याओं से ग्रसित है. एक-एक कनेक्शन के दो-दो बिल आ रहे हैं. शिकायत करने पर कोई निदान नहीं हो रहा है.

महिलाएं चूल्हें में पका रहीं खाना

भैय्या जी के अड्डे पर जब महिलाओं से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि बरसात में घर गिर गए थे. प्रधानमंत्री आवास का लाभ हमें नहीं मिल पाया है. वहीं उज्जवला योजना का लाभ भी नहीं मिला है. जिसके चलते आज भी हम चूल्हे पर रोटी पका रहे हैं. जंगल में लकड़ी लेने जाते हैं तो वन विभाग वाले केस बना देते हैं. नेता चुनाव के पहले आते हैं बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन वास्तव स्थिति कुछ और ही है.

ये भी पढ़ें- अबकी बारी बमोरी की जनता किसको देगी जिम्मेदारी ? दिलचस्प उपचुनाव में प्रत्याशी वहीं, लेकिन पार्टी नई

पेयजल की व्यवस्था नहीं

बमोरी में लोगों को पानी के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ता है. इलाके में बेहतर पेयजल व्यवस्था नहीं होने के कारण रहवासियों को अपनी प्यास बुझाने के लिए एक साथ कई घड़ों को लेकर जाना पड़ता है. यहां तक बच्चे और बुजुर्ग भी पानी के लिए कई किलोमीटर पैदल सफर तय करते हैं.

नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ

बमोरी विधानसभा में काफी बड़ा क्षेत्र ग्रामीण परिवेश से आता है. लगभग 45 से 50 फीसदी क्षेत्र, वन क्षेत्र में आता है. यहां के ग्रामीणों की बहुत छोटी-छोटी जरूरतें हैं. उनके लिए शासन ने केंद्र और राज्य स्तर से काफी योजनाएं संचालित की हैं लेकिन उन योजनाओं का लाभ अधिकतर हितग्राहियों को नहीं मिल पा रहा है. रोजगार के लिए रोजगार गारंटी के काम पंचायतों में उपलब्ध नहीं है.

जिले में कितने हैं मतदाता-

बमोरी विधानसभा क्षेत्र की अनुमानित कुल आबादी 35,3,014 है.

मतदाता20182020
कुल195232205335
पुरुष10237316999
महिला9295298336


बमोरी में जातीय समीकरण-

  • आदिवासी सहरिया अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति - 70 हजार
  • किरार धाकड़ - 40 हजार
  • लोधा-लोधी - 20 हजार
  • यादव- 15 हजार
  • रघुवंशी - 10 हजार
  • अन्य- पचास हजार
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