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देसी अंदाज में व्यंजनों का स्वाद, मेहमान नवाजी में लगा देते हैं चार-चांद - guna raaghogadh ke vyanjan

कचौड़ी (Kachori) का नाम सुनते ही चटपटा पसंद करने वालों के मुंह में पानी आ जाता है. देश में स्ट्रीट फू़ड के तौर पर कचौड़ियां काफी पसंद की जाती हैं. राघोगढ़ के ये दो व्यंजन, राघोगढ़ की बर्फी और रुठियाई की कचौड़ी के क्या कहने

raaghogadh kee kachaudee
देसी अंदाज में व्यंजनों का स्वाद
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Published : Jan 22, 2023, 7:46 PM IST

गुना। राघोगढ़ में राजनीति के अलावा इस इलाके में कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जिसकी पहचान मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे भारत में है. वैसे तो हर इलाके की अपनी पहचान होती है, लेकिन यहां की पहचान है रुठियाई की फेमस कचौड़ी. यहां पर उपलब्ध कचौड़ी पूरे भारत में प्रसिद्ध है. कचौड़ी संस्थान के संचालक विनोद अग्रवाल बताते हैं कि, वे सन 1972 यानी पिछले 50 वर्षों से कचौड़ी बना रहे हैं. पहले ये काम उनके पिता करते थे. अब वे स्वयं मसालेदार कचौड़ियों को लोगों की खिदमत में पेश कर रहे हैं.

Guna Raghogarh Kachoris
देसी अंदाज में व्यंजनों का स्वाद

कचौड़ी तैयार करने की विधि: खड़े मसालों को मैदा में भरकर धीमी आंच पर तलने के बाद कचौड़ी अपने पूरे शबाब पर आ जाती है. मसाले भी ऐसे वैसे नहीं बल्कि संस्थान के मुख्य हलवाई द्वारा चुने गए विशेष मसाले ही कचौड़ी के अंदर भरे जाते हैं. देसी भट्टी पर रखी कढ़ाई में तलने के बाद कचौड़ी तैयार की जाती है. स्पेशल कचौड़ी की दीवानगी इस कदर होती है कि, इसके चाहने वाले खरीदने में ज्यादा समय नहीं लगाते. कचौड़ी की कीमत भी महज 15 रुपये प्रति नग है. मुख्यालय से महज 15 km की दूरी पर स्थित रुठियाई पहुंचकर खड़े मसाले की कचौड़ी का आनंद लिया जा सकता है.

रिश्तेदारी तक पहुंचती है कचौड़ी: संस्थान के मालिक विनोद अग्रवाल ने बताया कि, दिल्ली समेत ऐसे कई राज्य हैं. जहां उनकी कचौड़ी की खुशबू बिखरी हुई है. हमारे संस्थान से कचौड़ी खरीदकर लोग मध्यप्रदेश के बाहर अपने रिश्तेदारों तक पहुंचाते हैं, केवल एकमात्र हमारा संस्थान है जो सुप्रसिद्ध कचौड़ी बनाता है. रुठियाई मशहूर ही कचौड़ी की वजह से हुआ है.

ऐसे तैयार होती है मिठाई: मसालेदार कचौड़ियों के जायके के बाद जब मिठास की बात आती है तो चर्चा होती है. उस बर्फी की जो दिखती आम है, लेकिन होती खास है. जी हां...हम बात कर रहे हैं. राघोगढ़ की सुप्रसिद्ध पीली बर्फी की जो अपनी खुशबू और स्वाद के लिए जानी जाती है. राघोगढ़ की पीली बर्फी यहां के ज्यादातर स्वीट दुकानों पर उपलब्ध है. इस खास मिठाई को बनाने के लिए मावा, इलायची,केसर और शक्कर का उपयोग किया जाता है. लकड़ी की धीमी आंच पर मिश्रण को पकाया जाता है. जिसके बाद बड़े थाल में इस मिश्रण को फैलाकर ठण्डा किया जाता है.

पीली बर्फी करती है दोगुना मिठास: थाल में फैला हुआ मिश्रण जब ठंडा होने लगता है तो उसके टुकड़े किए जाते हैं. टुकड़े चौकोर, तिकोने होते हैं. जो मिठाई को उसका आकार देते हैं. मिठाई तैयार होने के बाद इसके चाहने वालों की खिदमत में पेश की जाती है. पीली बर्फी की तासीर इसके चाहने वालों को अपनी तरफ आकर्षित करती है. राघोगढ़ के लोगों की मिठास पीली बर्फी दोगुना कर देती है. पीली बर्फी के विक्रेता ने बताया कि उनका पूरा परिवार इस काम में जुटा हुआ है. लोग पीली बर्फी को बहुत पसंद करते हैं. जिले के बाहर से भी ग्राहक राघोगढ़ की पीली बर्फी की चाहत रखते हैं.

MP: इंदौरी व्यंजनों को देख विदेश मंत्री के मुंह में आया पानी, चटकारे लेकर एस जयशंकर ने छप्पन पर खाई चाट

देसी अंदाज में व्यंजनों का स्वाद: राघोगढ़ अपने शाही अंदाज और खुशमिजाजी के लिए जाना जाता है. यहां के व्यंजन राघोगढ़ की मेहमान नवाजी में चार-चांद लगा देते हैं. देसी अंदाज में व्यंजनों का स्वाद राघोगढ़ को एक अलग ही पहचान देता है. राघव जी की नगरी राघोगढ़ में मिठास और तीखेपन का बोलबाला है.

गुना। राघोगढ़ में राजनीति के अलावा इस इलाके में कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जिसकी पहचान मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे भारत में है. वैसे तो हर इलाके की अपनी पहचान होती है, लेकिन यहां की पहचान है रुठियाई की फेमस कचौड़ी. यहां पर उपलब्ध कचौड़ी पूरे भारत में प्रसिद्ध है. कचौड़ी संस्थान के संचालक विनोद अग्रवाल बताते हैं कि, वे सन 1972 यानी पिछले 50 वर्षों से कचौड़ी बना रहे हैं. पहले ये काम उनके पिता करते थे. अब वे स्वयं मसालेदार कचौड़ियों को लोगों की खिदमत में पेश कर रहे हैं.

Guna Raghogarh Kachoris
देसी अंदाज में व्यंजनों का स्वाद

कचौड़ी तैयार करने की विधि: खड़े मसालों को मैदा में भरकर धीमी आंच पर तलने के बाद कचौड़ी अपने पूरे शबाब पर आ जाती है. मसाले भी ऐसे वैसे नहीं बल्कि संस्थान के मुख्य हलवाई द्वारा चुने गए विशेष मसाले ही कचौड़ी के अंदर भरे जाते हैं. देसी भट्टी पर रखी कढ़ाई में तलने के बाद कचौड़ी तैयार की जाती है. स्पेशल कचौड़ी की दीवानगी इस कदर होती है कि, इसके चाहने वाले खरीदने में ज्यादा समय नहीं लगाते. कचौड़ी की कीमत भी महज 15 रुपये प्रति नग है. मुख्यालय से महज 15 km की दूरी पर स्थित रुठियाई पहुंचकर खड़े मसाले की कचौड़ी का आनंद लिया जा सकता है.

रिश्तेदारी तक पहुंचती है कचौड़ी: संस्थान के मालिक विनोद अग्रवाल ने बताया कि, दिल्ली समेत ऐसे कई राज्य हैं. जहां उनकी कचौड़ी की खुशबू बिखरी हुई है. हमारे संस्थान से कचौड़ी खरीदकर लोग मध्यप्रदेश के बाहर अपने रिश्तेदारों तक पहुंचाते हैं, केवल एकमात्र हमारा संस्थान है जो सुप्रसिद्ध कचौड़ी बनाता है. रुठियाई मशहूर ही कचौड़ी की वजह से हुआ है.

ऐसे तैयार होती है मिठाई: मसालेदार कचौड़ियों के जायके के बाद जब मिठास की बात आती है तो चर्चा होती है. उस बर्फी की जो दिखती आम है, लेकिन होती खास है. जी हां...हम बात कर रहे हैं. राघोगढ़ की सुप्रसिद्ध पीली बर्फी की जो अपनी खुशबू और स्वाद के लिए जानी जाती है. राघोगढ़ की पीली बर्फी यहां के ज्यादातर स्वीट दुकानों पर उपलब्ध है. इस खास मिठाई को बनाने के लिए मावा, इलायची,केसर और शक्कर का उपयोग किया जाता है. लकड़ी की धीमी आंच पर मिश्रण को पकाया जाता है. जिसके बाद बड़े थाल में इस मिश्रण को फैलाकर ठण्डा किया जाता है.

पीली बर्फी करती है दोगुना मिठास: थाल में फैला हुआ मिश्रण जब ठंडा होने लगता है तो उसके टुकड़े किए जाते हैं. टुकड़े चौकोर, तिकोने होते हैं. जो मिठाई को उसका आकार देते हैं. मिठाई तैयार होने के बाद इसके चाहने वालों की खिदमत में पेश की जाती है. पीली बर्फी की तासीर इसके चाहने वालों को अपनी तरफ आकर्षित करती है. राघोगढ़ के लोगों की मिठास पीली बर्फी दोगुना कर देती है. पीली बर्फी के विक्रेता ने बताया कि उनका पूरा परिवार इस काम में जुटा हुआ है. लोग पीली बर्फी को बहुत पसंद करते हैं. जिले के बाहर से भी ग्राहक राघोगढ़ की पीली बर्फी की चाहत रखते हैं.

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देसी अंदाज में व्यंजनों का स्वाद: राघोगढ़ अपने शाही अंदाज और खुशमिजाजी के लिए जाना जाता है. यहां के व्यंजन राघोगढ़ की मेहमान नवाजी में चार-चांद लगा देते हैं. देसी अंदाज में व्यंजनों का स्वाद राघोगढ़ को एक अलग ही पहचान देता है. राघव जी की नगरी राघोगढ़ में मिठास और तीखेपन का बोलबाला है.

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