गुना। शुक्रवार 28 मई को गुना जिला 73 वर्ष का हो गया है. जिले की स्थापना आज के दिन 28 मई 1948 को हुई थी. ऐतिहासिक और राजनीतिक दृष्टि से देशभर में चर्चित गुना जिले ने इन वर्षों में कई उतार-चढ़ाव देखें हैं. स्थापना के बाद से गुना को सबसे ज्यादा प्रभावित विभाजन के दंश ने किया है. यहां तब से कई सरकारी विभागों का रुतबा छिना तो विकास के नाम पर जिले को दो टुकड़ों में बांटते हुए चंदेरी जैसी प्राचीन नगर को गुना से अलग कर दिया गया.
- गुना की शान
एक समय था जब गुना में अशोकनगर, विदिशा, शिवपुरी और राजगढ़ जिला न्यायालय का मुख्यालय होने से कानून के बड़े-बड़े जानकार और विद्वान अपनी उपस्थिति दर्ज कराते यहां आते थे. राजनीतिक दृष्टि से गुना जिला लगातार देश में चर्चा का विषय बना रहा है. वर्तमान में भी राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गज नेताओं की वजह से गुना हमेशा देश की मीडिया की नजर में रहता है. भारत के सर्वोच्च न्यायाधीश की जिम्मेदारी संभालकर डॉ. रमेशचंद्र लाहोटी ने जिले का गौरव बढ़ाया है. अविभाजित प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री गोपीकृष्ण विजयवर्गीय भी गुना के निवासी हैं.
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- गुना का इतिहास
गुना जिले के इतिहास पर बात की जाए तो ब्रिटिश शासनकाल में उनका सबसे पहले मुख्यालय गुना में ही 5 नवंबर 1922 को स्थापित हुआ था. इसके बाद 19वीं सदी के पूर्व गुना ईसागढ़ (अब जिला अशोकनगर में स्थित) जिले का एक गांव था, लेकिन सिंधिया के सेनापति जोन वेरेस्टर फिलोर्स ने खींची राजाओं से इसे जीतकर भगवान यीशू के सम्मान इसे ईसागढ़ नाम दे दिया. 1844 में गुना में ग्वालियर की फौज भी रह चुकी है, जिसके विद्रोह के कारण 1850 में गुना को अंग्रेजी फौज की छावनी में तब्दील कर दिया गया. 1922 में छावनी को गुना से ग्वालियर स्थानांतरित करने के बाद 5 नवंबर 1922 को जिला मुख्यालय बजरंगगढ़ से गुना स्थानांतरित कर दिया गया. वर्ष 1937 में जिले का नाम ईसागढ़ के स्थान पर गुना रखा गया और ईसागढ़ एवं बजरंगगढ़ को तहसील बना दिया गया और वर्ष 2003 में अशोकनगर को गुना से अलग कर इसमें शामिल कई प्राचीन क्षेत्रों को छीन लिया गया.