गुना। कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह अपने बयानों और कार्यप्रणाली को लेकर चर्चा में रहते हैं. पिछले दिनों गुना में नाबालिग से रेप के बाद आरोपियों को सजा दिलाने की मांग को लेकर विधायक ने चक्काजाम कर दिया था. वहीं इस बार कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का समर्थन किया है (laxman singh supported supreme court). कांग्रेस विधायक ने केंद्र सरकार की घेराबंदी करते हुए सुप्रीम कोर्ट को सही ठहराया है.
लक्ष्मण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का किया समर्थन: कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने ट्वीट कर लिखा है कि केंद्र शासन द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 'संदेह' व्यक्त करना स्वाभाविक है. जितने मतों के अंतर से भाजपा के उम्मीदवार जीते थे, उसे देख पूरे देशवासियों को अथवा खुद जीतने वाले उम्मीदवारों को भी अपेक्षा नहीं थी. लक्ष्मण सिंह ने चुनाव में भाजपा के उम्मीदवारों की जीत पर भी सवालिया निशान खड़े किए हैं. दरअसल अरुण गोयल को मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनाए जाने के तरीके पर सुप्रीम कोर्ट ने एतराज जताया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीईसी स्वतंत्र ,निष्पक्ष और मजबूत होना चाहिए जो किसी पर भी एक्शन ले सके. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट की पैरवी करते हुए लक्ष्मण सिंह ने केंद्र सरकार पर कटाक्ष कर दिया.
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केंद्र शासन द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा "संदेह"व्यक्त करना स्वाभाविक है।जितने मतों के अंतर से भाजपा के उम्मीदवार जीते थे उसे देख पूरे देशवासियों को अथवा खुद जीतने वाले उम्मीदवारों को भी अपेक्षा नहीं थी। @INCMP @INCIndia
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— lakshman singh (@laxmanragho) November 24, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा-24 घंटे में कैसे कर दी चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति
चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर आज फिर हुई सुनवाई: बता दें चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को फिर सुनवाई हुई. इस दौरान केंद्र सरकार ने संविधान पीठ को अरुण गोयल की निर्वाचन आयुक्त पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया से संबंधित फाइल सौंपी (election commissioner appointed by government). सरकार ने कहा कि नियुक्ति की ओरिजिनल फाइल की प्रतियां पांचों जजों को दी गई हैं. सुनवाई के दौरान पीठ ने नियुक्ति के तरीके पर सवाल खड़े कर दिए. जस्टिस अजय रस्तोगी ने इतनी तेज रफ्तार से फाइल आगे बढ़ने और नियुक्ति करने पर सवाल उठाए. उन्होंने पूछा कि चौबीस घंटे के भीतर कैसे जांच पड़ताल कर दी गई? इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वो सभी बातों का जवाब देंगे, लेकिन अदालत उनको बोलने का मौका दे.