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इस सीट पर आज तक नहीं हारा सिंधिया परिवार, क्या केपी यादव में है वो बात, जो दे सकें सिंधिया को मात? - केपीयादवगुनाव

गुना लोकसभा क्षेत्र में सिंधिया परिवार के नाम का सिक्का चलता है, पार्टी कोई भी हो, लेकिन जीत सिंधिया परिवार के सदस्य की ही होती रही है. मौजूदा वक्त में गुना कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है, सिंधिया परिवार की तीसरी पीढ़ी के ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले चार चुनाव से लगातार जीत दर्ज कर रहे हैं.

कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीजेपी प्रत्याशी डॉ. केपी यादव
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Published : May 11, 2019, 12:47 AM IST

गुना। सियासत में जब भी राजे-रजवाड़ों की बात होती है, सिंधिया राजघराने के बगैर अधूरी मानी जाती है क्योंकि राजतंत्र के बाद प्रजातंत्र में भी इस परिवार का लोहा माना जाता है. गुना मध्यप्रदेश की ऐसी लोकसभा सीट है, जहां से इस परिवार की तीन पीढ़ियां देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचती रही हैं. गुना में इस बार कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने बीजेपी ने डॉक्टर केपी यादव को सियासी अखाड़े में उतारा है.

गुना लोकसभा सीट पर अब तक नहीं हारा सिंधिया परिवार

गुना क्षेत्र में सिंधिया राजघराने के नाम का सिक्का आज भी चलता है. पार्टी कोई भी हो, जीत इस परिवार के सदस्य की ही हुई है. हालांकि, इस समय ये सीट कांग्रेस की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है, जबकि समय-समय पर यहां बीजेपी भी जीत दर्ज करती रही है. गुना में अब तक हुए 14 आम चुनावों में से 9 बार कांग्रेस के पंजे ने पकड़ बनाई है और बीजेपी भी जीत का चौका लगा चुकी है, जबकि एक बार जनसंघ के प्रत्याशी ने भी जीत दर्ज की है. पिछले एक उपचुनाव सहित चार चुनावों से यहां कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार जीत दर्ज कर रहे हैं.

गुना संसदीय क्षेत्र के 16 लाख 70 हजार 631 मतदाता इस बार लोकतंत्र के सबसे बड़े हवन में आहुति डालेंगे, जिनमें 8 लाख 86 हजार 354 पुरुष मतदाता हैं, जबकि 7 लाख 84 हजार 236 महिला मतदाता शामिल है. वहीं, थर्ड जेंडर की संख्या 41 है. गुना क्षेत्र में इस बार कुल 2 हजार 170 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें से 537 क्रिटिकल केंद्र है. जहां प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की बात कही है.

गुना संसदीय क्षेत्र में गुना, बमोरी, शिवपुरी, पिछोर, कोलारस, मुंगावली, अशोकनगर, और चंदेरी विधानसभा सीटें आती हैं. विधानसभा चुनाव में इन आठों सीटों में से चार सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी तो चार सीटें कांग्रेस ने जीती थी. विधानसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर भले ही यहां दोनों दलों में बराबरी का मुकाबला दिख रहा है, लेकिन इस सीट का इतिहास कहता है कि यहां विधानसभा चुनाव के नतीजे कुछ भी कहें, पर लोकसभा में कांग्रेस का ही दबदबा रहता है.

2014 की मोदी लहर में जब कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज चित हो गए, तब भी कांग्रेस के झंडाबरदार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना में कांग्रेस की शाख बचाये रखी थी. उन्होंने बीजेपी के दिग्गज नेता जयभान सिंह पवैया को एक लाख 20 हजार 792 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस बार सिंधिया के सामने बीजेपी के केपी यादव कोई करिश्मा दिखा पाते हैं, या सिंधिया का दबदबा कायम रहता है.

गुना। सियासत में जब भी राजे-रजवाड़ों की बात होती है, सिंधिया राजघराने के बगैर अधूरी मानी जाती है क्योंकि राजतंत्र के बाद प्रजातंत्र में भी इस परिवार का लोहा माना जाता है. गुना मध्यप्रदेश की ऐसी लोकसभा सीट है, जहां से इस परिवार की तीन पीढ़ियां देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचती रही हैं. गुना में इस बार कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने बीजेपी ने डॉक्टर केपी यादव को सियासी अखाड़े में उतारा है.

गुना लोकसभा सीट पर अब तक नहीं हारा सिंधिया परिवार

गुना क्षेत्र में सिंधिया राजघराने के नाम का सिक्का आज भी चलता है. पार्टी कोई भी हो, जीत इस परिवार के सदस्य की ही हुई है. हालांकि, इस समय ये सीट कांग्रेस की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है, जबकि समय-समय पर यहां बीजेपी भी जीत दर्ज करती रही है. गुना में अब तक हुए 14 आम चुनावों में से 9 बार कांग्रेस के पंजे ने पकड़ बनाई है और बीजेपी भी जीत का चौका लगा चुकी है, जबकि एक बार जनसंघ के प्रत्याशी ने भी जीत दर्ज की है. पिछले एक उपचुनाव सहित चार चुनावों से यहां कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार जीत दर्ज कर रहे हैं.

गुना संसदीय क्षेत्र के 16 लाख 70 हजार 631 मतदाता इस बार लोकतंत्र के सबसे बड़े हवन में आहुति डालेंगे, जिनमें 8 लाख 86 हजार 354 पुरुष मतदाता हैं, जबकि 7 लाख 84 हजार 236 महिला मतदाता शामिल है. वहीं, थर्ड जेंडर की संख्या 41 है. गुना क्षेत्र में इस बार कुल 2 हजार 170 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें से 537 क्रिटिकल केंद्र है. जहां प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की बात कही है.

गुना संसदीय क्षेत्र में गुना, बमोरी, शिवपुरी, पिछोर, कोलारस, मुंगावली, अशोकनगर, और चंदेरी विधानसभा सीटें आती हैं. विधानसभा चुनाव में इन आठों सीटों में से चार सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी तो चार सीटें कांग्रेस ने जीती थी. विधानसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर भले ही यहां दोनों दलों में बराबरी का मुकाबला दिख रहा है, लेकिन इस सीट का इतिहास कहता है कि यहां विधानसभा चुनाव के नतीजे कुछ भी कहें, पर लोकसभा में कांग्रेस का ही दबदबा रहता है.

2014 की मोदी लहर में जब कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज चित हो गए, तब भी कांग्रेस के झंडाबरदार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना में कांग्रेस की शाख बचाये रखी थी. उन्होंने बीजेपी के दिग्गज नेता जयभान सिंह पवैया को एक लाख 20 हजार 792 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस बार सिंधिया के सामने बीजेपी के केपी यादव कोई करिश्मा दिखा पाते हैं, या सिंधिया का दबदबा कायम रहता है.

Intro:स्लग-प्रोफाइल स्टोरी
गुना शिवपुरी लोकसभा सीट पर कौन पहनेगा विजय का ताज
एंकर- गुना लोकसभा सीट सिंधिया परिवार का गण है इस सीट पर सिंधिया राजघराने के सदस्य का ही राज रहा है ग्वालियर के बाद गुना ही वह लोकसभा सीट है जहां से सिंधिया परिवार चुनाव लड़ना पसंद करता है ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ही इस सीट पर ज्यादातर जीतते आए हैं। फिलहाल पिछले चार चुनावों से इस सीट पर कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही जीत मिली है अब तक आजादी के बाद इस सीट पर 17 बार चुनाव हुए हैं जिसमें 14 बार राजघराने का सदस्य ही जीता है 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के जवान सिंह पवैया को 120792 वोटों से शिकस्त दी थी। इसके बाद से विजयाराजे सिंधिया ने यहां पर हुए लगातार चार चुनावों में जीत का परचम फहराया अब जब माधवराव ग्वालियर से चुनाव लड़ रहे थे और उनके जाने के बाद कांग्रेस यहां पर कमजोर होते गई ऐसे में 1999 में माधवराव एक बार फिर इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला लिए उन्होंने सीट पर कांग्रेस की वापसी कराई 1999 के चुनाव में उन्होंने यहां से जीत हासिल की 2001 में उनके निधन के बाद 2002 में हुए उपचुनाव में उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से लड़े और गुनाह की जनता ने उन्हें निराश नहीं किया अपने पहले ही चुनाव में जीत हासिल की इसके बाद गुना की जनता ही आ रही है यहां तक कि 2014 में मोदी लहर में जब कांग्रेस के नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था तबभी ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां पर जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे गुना लोकसभा सीट पर ज्यादातर कांग्रेस का ही कब्जा रहा है ।




Body:कांग्रेस को यहां पर 9 बार जीत मिली है वहीं बीजेपी को 4 बार और एक बार जनसंघ को जीत मिली है ऐसी में देखा जाए तो इस सीट पर एक ही परिवार के तीन पीढ़ियों का राज रहा है बीजेपी इस सीट पर तब ही जीत हासिल की है जब विजयाराजे सिंधिया उसके टिकट पर चुनाव लड़ी विजय राजे सिंधिया के बाद बीजेपी को यहां पर कोई ऐसा उम्मीदवार नहीं मिला जो माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह राशि दोनों को हराने की बीजेपी की हर कोशिश यहां पर नाकामयाब हो ही रही गुना लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं यहां पर शिवपुरी बमोरी चंदेरी पिछोर गुना मुंगावली कोलारस अशोकनगर विधानसभा सीटें हैं यहां की 8 विधानसभा सीटों में से 4 पर बीजेपी और कांग्रेस का कब्जा है।
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी के जवान सिंह पवैया को हराया था इस चुनाव में सिंधिया को 517036वोट मिले थे और पवैया को 396244वोट मिले थे
दोनों के बीच हार जीत का अंतर 120792 भूतों का था वहीं व स पा के लखन सिंह 2.81 फ़ीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे इससे पहले 2009 के चुनाव में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया को जीत हासिल हुई थी उन्होंने इस बार बीजेपी के दिग्गज नेता नरोत्तम मिश्रा को हराया था सिंधिया को 413297 वोट मिले थे तो नरोत्तम मिश्रा को 163560 वोट मिले थे सिंधिया ने 249737 वोटों से जीत हासिल की थी वहीं बसपा 4.49 फ़ीसदी फोटो के साथ तीसरे स्थान पर रही थी।
सामाजिक तानाबाना- गुना शहर मध्य प्रदेश के उत्तर में स्थित है गुना से 35 किलोमीटर दूर राजस्थान सीमा है इसे मालवा का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है और ग्वालियर संभाग में आता है इसके पश्चिम में राजस्थान स्थित है और उत्तर में उत्तर प्रदेश स्थित है पूर्व में छत्तीसगढ़ी स्थित है तथा दक्षिण में महाराष्ट्र स्थित है गुना शहर में मुख्यतः हिंदू-मुस्लिम तथा जैन समुदाय के लोग रहते हैं यहां का मुख्य कार्य है आजादी से पहले गुना ग्वालियर राजघराने का हिस्सा था जिस पर सिंधिया वंश का अधिकार था 2011 की जनगणना के मुताबिक गुना की जनसंख्या 2493675 है यहां की 76.66 फ़ीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 23.34 तीसरी आवादी शहरी क्षेत्र में रहती है गुना में 18.11 फ़ीसदी लोग अनुसूचित जाति और 13.94 पीसीटी लोग अनुसूचित जनजाति के हैं चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 में गुना में कुल 1605619 मतदाता थे जिस मे से 748291महिला मतदाता और 857328पुरुष मतदाता थे 2014 के चुनाव में इस सीट पर 60.83 फ़ीसदी मतदान हुआ था।
सांसद का रिपोर्ट कार्ड-
ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं माधवराव सिंधिया के बेटे हैं 2002 में पहली बार चुनाव जीतने वाले 48 साल के ज्योतिरादित्य सिंधिया मनमोहन सिंह सरकार में 7 साल तक सूचना एवं प्रौद्योगिकी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के जूनियर मिनिस्टर रह चुके हैं इसके बाद 2012 से 2014 तक बिजली मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री भी रहे
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन और स्टैंड फॉर ग्रैजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए की पढ़ाई पूरी करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की गिनती कांग्रेस के असरदार युवा चेहरों में होती है हाल ही मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में उनकी अहम भूमिका रही थी एक समय तो वो राज्य के सीएम पद की रेस में आगे भी चल रहे थे लेकिन आखिर में बाजी पार्टी के दिग्गज नेता कमलनाथ ने मारी ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 25करोड आवंटित हुए थे जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 25.35 करोड़ हो गई थी इसमें से उन्होंने 20.38 यानी मूल आवंटित फंड का 81.53 फ़ीसदी खर्च किया उनका करीब 4.97 करोड़ रुपए का फंड बिना खर्च किए रह गया ।
संसद में ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपस्थिति 76 फ़ीसदी रही है ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस दौरान और 48बहस में हिस्सा लिया उन्होंने संसद में कुल 825 सवाल भी पूछे उन्होंने आरटीआई वायु प्रदूषण कम करने सौभाग्य योजना एससी एसटी के खिलाफ अपराध भारतमाला परियोजना को लेकर संसद में सवाल किया।
कुल मतदाताओं की संख्या- गुना शिवपुरी लोकसभा सीट में कुल मतदाता 1670631 है जिसमें से 886354 पुरुष मतदाता है 784236 महिला मतदाता है तथा 41 अन्य है कुल मतदान केंद्र 2170 है मॉडल मतदान केंद्र 18 ऑल वूमंस बूथ 95 है तथा क्रिटिकल मतदान केंद्र 537 है।


Conclusion:गुना लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1957 में हुआ यहां पर हुए पहले चुनाव में विजयाराजे सिंधिया ने जीत हासिल की थी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए उन्होंने हिंदू महासभा के बीजी देशपांडे को हराया था इसके अगले चुनाव में यहां से कांग्रेस के रामसहाय पांडे मैदान में उतरे उन्होंने हिंदू महासभा के बीजी देशपांडे को मात दी 1967 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस को हार मिली और स्वतंत्रता पार्टी के जे बी कृपलानी को जीत मिली इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में स्वतंत्रता पार्टी की ओर कांग्रेस के पूर्व नेता विजय राजे सिंधिया लड़ी उन्होंने कांग्रेस के डीके यादव को यहां पर शिकस्त दी शुरुआती 2 चुनाव में जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस को लगातार तीन चुनावों में हार मिली विजय राजे की बेटे माधवराव सिंधिया मैदान में उतरे वे यहां से जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़े यहां पर लड़ाई पहले ही चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की 1977 के चुनाव में वह यहां से निर्दलीय लड़ा और 80000 वोटों से डी एल डी के गुरबख्श सिंह को हराया इसके बाद वह 1980 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से लड़ते हुए जीत हासिल की वह लगातार तीन चुनावों में यहां विजई रहे 1984 के चुनाव में माधवराव ग्वालियर से लड़े और वहां पर भी उन्होंने जीत हासिल की तक कांग्रेस ने यहां से महेंद्र सिंह को टिकट दिया था और उन्होंने बीजेपी के उधम सिंह को हराया था 99 के चुनाव में यहां से विजय राजे सिंधिया एक बार फिर यहां से लड़ी और तब से कांग्रेस के सांसद महेंद्र सिंह को शिकस्त दी इसके बाद से विजय राजे सिंधिया ने यहां पर हुए लगातार चुनावों में जीत का परचम फहराया माधवराव ग्वालियर से चुनाव लड़े थे और उनके जाने के बाद कांग्रेस यहां पर कमजोर होती गई ऐसे में 1999 माधवराव एक बार फिर से चुनाव लड़ने का फैसला लिये उन्होंने इस सीट पर कांग्रेस की वापसी कराई 999 के चुनाव में उन्होंने यहां से जीत हासिल की 2001 में उनके निधन के बाद 2002 में हुए उपचुनाव में उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से लड़े और गुना की जनता ने उन्हें निराश नहीं किया अपने पहले ही चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जीत हासिल की इसके बाद उन्होंने जनता उनको जीत आते ही आ रही है यहां तक कि 2014 में मोदी लहर में जब कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को भी हार का सामना करना पड़ा था तब भी ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां पर जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे गुना लोकसभा सीट पर ज्यादातर कांग्रेस का ही कब्जा रहा है कांग्रेस को यहां पर 9 बार जीत मिली है वहीं बीजेपी को 4 बार और एक बार जनसंघ को जीत मिली है ऐसे में देखा जाए तो इस सीट पर एक ही परिवार के तीन पीढ़ियों का राज रहा है बीजेपी सीट पर तभी जीत हासिल की है जब विजय राजे सिंधिया उसकी टिकट पर चुनाव लड़ी विजय राजे सिंधिया के बाद बीजेपी को यहां पर कोई ऐसा उम्मीदवार नहीं मिला जो माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया को यहां हरा सके दोनों को हराने की बीजेपी की हर कोशिश यहां पर नाकामयाबी हो रही है।
लोकसभा चुनाव 2019 बीजेपी प्रत्याशी के पी यादव-
यदि हम शुरुआत से देखें तो के पी यादव शुरू से ही सिंधिया समर्थक रहे हैं तथा कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता भी रहे हैं उन्होंने विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए बहुत प्रचार-प्रसार भी किया लेकिन जब उन्होंने यह देखा कि उनको पार्टी के द्वारा काम के मुताबिक ना तो सम्मान मिल रहा है और ना ही अपनी काबिलियत दिखाने का मौका तो उन्होंने कुछ महीने पूर्व ही कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़कर बीजेपी का साथ अपना लिया तथा बीजेपी ने भी के पी यादव पर भरोसा जताते हुए उन्हें विधानसभा का चुनाव टिकट भी दिया था लेकिन कुछ ही मतों से के पी यादव को हार का सामना करना पड़ा एक बार फिर लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी पार्टी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ के पी यादव पर भरोसा जताते हुए उन्हें चुनावी रण के मैदान में उतारा है और इस बार मोदी लहर का सहारा लेते हुए और पूरी दम से के पी यादव चुनावी मैदान में सिंधिया घराने का सामना करने के लिए मैदान में उतरे हैं।
लोकसभा चुनाव बीएसपी प्रत्याशी धाकड़ लोकेंद्र सिंह राजपूत-
अब यदि हम बात करें बसपा के प्रत्याशी क्योंकि यहां सपा और बसपा में गठबंधन है इसलिए उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती से टिकट हासिल कर ज्योतिरादित्य सिंधिया के समक्ष चुनाव लड़ने का निश्चय किया था और शुरुआती दौर को यदि देखा जाए तो जिस तरह से उन्होंने नामांकन रैली निकाली और जिस तरह से वह प्रचार प्रसार में लगे हुए थे उसको देखकर काफी हद तक यह लग रहा था कि कहीं ना कहीं वह इस देश में अच्छा कर पाएंगे लेकिन एकाएक सिंधिया राजघराने का प्रभाव देखने को मिला और कुछ ही दिनों बाद उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया के समक्ष अपने घुटने टेक दिए और कांग्रेस को समर्थन दे दिया अब गुना शिवपुरी लोकसभा चुनाव का चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सिमट कर रह गया है अब देखना यह होगा कि जनता जनार्दन किसके पक्ष में अपना मतदान करती है और किस को विजय तिलक लगाती है।
जातिगत समीकरण का प्रभाव-
वर्षों से चला आ रहा सिंधिया राजवंश का प्रभाव हमेशा गुना शिवपुरी लोकसभा सीट पर देखने को मिला है और यहां किसी भी प्रकार का जातिगत समीकरण देखने को नहीं मिलता अब सिर्फ इस सीट पर पिछले चुनावों की तरह अगर हम बात करें आजादी के बाद कुल 17 लोकसभा चुनाव हुए हैं जिनमें से 14 बार गुना शिवपुरी लोकसभा सीट पर सिंधिया राजवंश परिवार का ही सदस्य शोभायमान रहा है बची हुई थी सीटों पर सिंधिया राजवंश के सदस्यों के ना लड़ने पर तीन बार चुनाव 1962 1967 1984 मे ही ग्वालियर राजघराने के बाहर से ही यहां कोई आदमी सांसद बना है और वह भी तब जब राजघराने से किसी ने भी इस सीट पर चुनाव नही लड़ा हो ।
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