डिंडौरी/छतरपुर। डिंडौरी नगर परिषद क्षेत्र में मंडला बस स्टैंड के पीछे बने पंडित दीनदयाल उपाध्याय आश्रय स्थल की व्यवस्थाओं का हमारे रिपोर्टर ने लिया जायजा. इसके साथ ही छतरपुर में मुसाफिरों के लिए नगर परिषद की तरफ से बनाया गया रैन बसेरा, इन दिनों आम आदमी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से आए लोगों के लिए एक बेहतर आशियाना बना हुआ है. यहां आने वाले लोग न सिर्फ अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं, बल्कि यहां पर आने वाले मुसाफिरों के लिए तमाम सुविधाएं मौजूद हैं जो एक अच्छे रैन बसेरा में होनी चाहिए.
डिंडौरी में मुसाफिरों के लिए व्यवस्थाएं
डिंडौरी में बने पंडित दीनदयाल उपाध्याय आश्रय स्थल में पेड़-पौधे सहित साफ-सफाई और अलाव की व्यवस्था की गई है. रैन बसेरा में रुके लोग भोपाल से डिंडौरी आए हैं, जिनका काम वार्ड में जाकर नुक्कड़ नाटक के जरिए लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना है. आश्रय स्थल में ठंड से बचने के लिए गर्म बिस्तर तो उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन जिस बाथरूम का महिलाएं उपयोग कर रही हैं, उनमें दरवाजा ही नहीं है. वहीं पानी की भी समस्याएं हैं. जिसके चलते उन्हें पीने के लिए पानी बाहर से लाना पड़ता है. कुछ इसी तरह की समस्याओं का सामना रैन बसेरा में रुके पुरषों को भी करना पड़ रहा है.
छतरपुर का रैन बसेरा
छतरपुर जिले के जिला अस्पताल में मौजूद रैन बसेरा सबसे सुरक्षित रैन बसेरों में से एक है. जहां लोग चैन की नींद सोते हैं और उपस्थित स्टाफ भी उनकी देखभाल करता है, साथ ही अपनी सभ्यता के लिए जाना जाता है. छतरपुर जिले में नगर पालिका की गाड़ी शाम के समय घूमती है और बस स्टैंड और अन्य जगहों पर सो रहे मुसाफिरों को रैन बसेरा में चलने के लिए कहती है, जहां उनके सोने की और रहने की उत्तम व्यवस्था की जाती है.
घनश्याम दास गुप्ता बताते हैं कि वो अपने चाचा के इलाज के लिए पिछले कई महीनों से इस रैन बसेरा में रुके हुए हैं. यहां पर काम करने वाले लोगों से किसी भी प्रकार की कोई शिकायत नहीं है. सभी का व्यवहार बेहद सरल एवं शालीन है.
रैन बसेरा की केयर टेकर बताती हैं कि वो कोशिश करती हैं कि उनके रैन बसेरा में आने वाले लोग ना सिर्फ सुरक्षित रहें, बल्कि उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी भी ना उठानी पड़े. शिप्रा तिवारी का कहना है कि नगर पालिका की गाड़ी शाम ढलते ही बस स्टैंड, पोस्ट ऑफिस और भी कई जगहों पर जाकर ऐसे राहगीरों को ढूंढती है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उन्हें यहां लाया जाता है. हम उनके यहां रहने की व्यवस्था करते हैं और ये भी कोशिश करते हैं कि उन्हें किसी प्रकार की कोई समस्या ना हो.