डिंडौरी। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संचालित चलता-फिरता अस्पताल बीते 24 घंटे से भी अधिक समय से कोतवाली में खड़ा है, जबकि इसमें 'अस्पताल' का कोई कसूर नहीं है, कसूर है तो सिर्फ स्वचलित दीनदयाल अस्पताल के ड्राइवर का, जो शराब के नशे में टल्ली था, जिसे पुलिस स्वचलित अस्पताल सहित कोतवाली लेकर चली गयी.
आदिवासी गांवों में अपनी सेवाएं देने वाला ये वाहन रोजाना 4 गांव के मरीजों को लाभ पहुंचाता है, इस दौरान वाहन में मौजूद स्वास्थ्यकर्मी ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच करने के बाद उनका इलाज भी करते हैं, लेकिन वाहन चालक की लापरवाही और कोतवाली पुलिस की हठधर्मिता के चलते ये वाहन पिछले 24 घंटे बीत जाने के बावजूद कोतवाली परिसर में खड़ा है. जिसका हैंडओवर लेने पहुंची डॉक्टर गीता नामदेव को भी पुलिस चक्कर कटवाती रही, जबकि पुलिस कुछ भी कहने को तैयार नहीं है.
दरअसल, पूरा मामला शराब से जुड़ा है, आरोप है कि दीनदयाल चलित अस्पताल वाहन का चालक इंद्रपाल ठाकुर को पुलिस ने बिजली विभाग दफ्तर के पास नशे की हालत में पकड़ा था, जिसे 3 मार्च की देर शाम वाहन और चालक सहित कोतवाली पुलिस ने हिरासत में लिया और धारा 185 के तहत कार्रवाई की. चलित अस्पताल में पदस्थ डॉ गीता नामदेव का कहना है कि अगर ड्राइवर ने गलती की है तो पुलिस उस पर कार्रवाई करें और वाहन उनके सुपुर्द कर दे. ताकि गरीबों का इलाज प्रभावित न हो.