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MP के डिंडोरी की मशहूर गोंड पेंटिंग को जीआई टैग, आदिवासी समुदाय में खुशी की लहर

मध्यप्रदेश की हस्तकला शिल्प की चमक देश के पटल पर लगातार चमक रही है. हाल ही में मध्यप्रदेश के 5 हस्तशिल्प उत्पादों को एक साथ जीआई टैग (GI Tag) मिला है. प्रदेश की प्रसिद्ध गोंड पेंटिंग को भी जीआई टैग मिला है. इससे इस कला से जुड़े आदिवासी समुदाय को आर्थिक लाभ मिलेगा.

GI tag to Gond painting
डिंडोरी की मशहूर गोंड पेंटिंग को जीआई टैग
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Published : Apr 12, 2023, 12:38 PM IST

Updated : Apr 12, 2023, 1:15 PM IST

डिंडोरी की मशहूर गोंड पेंटिंग को जीआई टैग

डिंडोरी (Agency,ANI)। गोंड पेंटिंग को जीआई टैग मिलने से आदिवासी समुदाय में खुशी की लहर है. गोंड पेंटिंग को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने से उत्साहित पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित और प्रसिद्ध गोंड कलाकार भज्जू श्याम ने कहा, "यह हमारे लिए गर्व की बात है. इससे आदिवासी और गोंड बहुल समुदायों के लोगों को अब सीधा लाभ मिलेगा।" इसके साथ ही अब गोंड पेंटिंग बनाने वालों को आय का नया जरिया मिलेगा. बता दें कि गोंड पेंटिंग हमें प्रकृति, पेड़, पौधों, जानवरों, चंद्रमा, सूरज, नदी, नालों, भगवान और देवी-देवताओं के बारे में बताती है. क्या खाना खिलाया जाता है, कैसे हल बनाया जाता है, राजा कैसे काम करते थे. इसके साथ ही लड़ाई, तंत्र-मंत्र की शक्तियां कैसे काम करती हैं, यह सब पेंटिंग के माध्यम से समझाया जाता है.

गोंड पेंटिंग का मुख्य स्रोत डिंडोरी : डिंडोरी कलेक्टर विकास मिश्रा ने एएनआई को बताया, "गोंड पेंटिंग का मुख्य स्रोत डिंडोरी रहा है, डिंडोरी में जगह-जगह इसका विस्तार किया गया है. जीआई टैग मिलने का मतलब है कि प्राधिकरण ने स्वीकार किया है कि इसका मूल स्रोत डिंडोरी जिला है. इस कला के क्षेत्र में जो महिलाएं और उनके परिवार मजदूरी के रूप में भुगतान पाते थे, अब उन्हें नया आयाम मिलेगा. अब हमने एनआरएलएम (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) और एनयूएलएम (राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन) के साथ मिलकर एक सस्ते मॉडल में पेंटिंग लाने का फैसला किया है, जिसमें हम ग्रीटिंग कार्ड, मोबाइल कवर, बैग कवर बना सकते हैं, क्योंकि हर आदमी एक पेंटिंग नहीं खरीद सकता है."

क्या है जीआई टैग : बता दें कि भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग उन उत्पादों पर उपयोग किया जाने वाला एक संकेत है, जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और गुण या प्रतिष्ठा होती है, जो उस मूल के कारण होती है. इसका उपयोग औद्योगिक उत्पादों, खाद्य पदार्थों, कृषि उत्पादों, स्पिरिट ड्रिंक्स और हस्तशिल्प के लिए किया जाता है. जीआई टैग यह सुनिश्चित करता है कि पंजीकृत अधिकृत उपयोगकर्ता के अलावा किसी अन्य को लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति नहीं है.

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एमपी के कुल 19 उत्पादों को जीआई टैग : हाल ही में मध्यप्रदेश के 5 हस्तशिल्प उत्पादों को जीआई टैग (GI Tag) मिला है. डिंडोरी की गोंड पेटिंग के अलावा, उज्जैन के बाटिक प्रिंट, ग्वालियर के हस्तनिर्मित कालीन, जबलपुर के भेड़ाघाट के पत्थर शिल्प और वारासियोनी की हथकरघा साड़ियों को जीआई टैग मिला है. अब मध्यप्रदेश में जीआई टैग वाले उत्पादों की संख्या कुल 19 हो गई है.

डिंडोरी की मशहूर गोंड पेंटिंग को जीआई टैग

डिंडोरी (Agency,ANI)। गोंड पेंटिंग को जीआई टैग मिलने से आदिवासी समुदाय में खुशी की लहर है. गोंड पेंटिंग को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने से उत्साहित पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित और प्रसिद्ध गोंड कलाकार भज्जू श्याम ने कहा, "यह हमारे लिए गर्व की बात है. इससे आदिवासी और गोंड बहुल समुदायों के लोगों को अब सीधा लाभ मिलेगा।" इसके साथ ही अब गोंड पेंटिंग बनाने वालों को आय का नया जरिया मिलेगा. बता दें कि गोंड पेंटिंग हमें प्रकृति, पेड़, पौधों, जानवरों, चंद्रमा, सूरज, नदी, नालों, भगवान और देवी-देवताओं के बारे में बताती है. क्या खाना खिलाया जाता है, कैसे हल बनाया जाता है, राजा कैसे काम करते थे. इसके साथ ही लड़ाई, तंत्र-मंत्र की शक्तियां कैसे काम करती हैं, यह सब पेंटिंग के माध्यम से समझाया जाता है.

गोंड पेंटिंग का मुख्य स्रोत डिंडोरी : डिंडोरी कलेक्टर विकास मिश्रा ने एएनआई को बताया, "गोंड पेंटिंग का मुख्य स्रोत डिंडोरी रहा है, डिंडोरी में जगह-जगह इसका विस्तार किया गया है. जीआई टैग मिलने का मतलब है कि प्राधिकरण ने स्वीकार किया है कि इसका मूल स्रोत डिंडोरी जिला है. इस कला के क्षेत्र में जो महिलाएं और उनके परिवार मजदूरी के रूप में भुगतान पाते थे, अब उन्हें नया आयाम मिलेगा. अब हमने एनआरएलएम (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) और एनयूएलएम (राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन) के साथ मिलकर एक सस्ते मॉडल में पेंटिंग लाने का फैसला किया है, जिसमें हम ग्रीटिंग कार्ड, मोबाइल कवर, बैग कवर बना सकते हैं, क्योंकि हर आदमी एक पेंटिंग नहीं खरीद सकता है."

क्या है जीआई टैग : बता दें कि भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग उन उत्पादों पर उपयोग किया जाने वाला एक संकेत है, जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और गुण या प्रतिष्ठा होती है, जो उस मूल के कारण होती है. इसका उपयोग औद्योगिक उत्पादों, खाद्य पदार्थों, कृषि उत्पादों, स्पिरिट ड्रिंक्स और हस्तशिल्प के लिए किया जाता है. जीआई टैग यह सुनिश्चित करता है कि पंजीकृत अधिकृत उपयोगकर्ता के अलावा किसी अन्य को लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति नहीं है.

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एमपी के कुल 19 उत्पादों को जीआई टैग : हाल ही में मध्यप्रदेश के 5 हस्तशिल्प उत्पादों को जीआई टैग (GI Tag) मिला है. डिंडोरी की गोंड पेटिंग के अलावा, उज्जैन के बाटिक प्रिंट, ग्वालियर के हस्तनिर्मित कालीन, जबलपुर के भेड़ाघाट के पत्थर शिल्प और वारासियोनी की हथकरघा साड़ियों को जीआई टैग मिला है. अब मध्यप्रदेश में जीआई टैग वाले उत्पादों की संख्या कुल 19 हो गई है.

Last Updated : Apr 12, 2023, 1:15 PM IST
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