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बेटी के जीवन पर भारी पत्थर दिल मां की सुंदरता, जन्म के बाद दूध पिलाने से किया इनकार

डिंडौरी में अपने गर्भ में 9 महीने तक पालने वाली मां जन्म के बाद 9 दिन भी साथ नहीं रखी और उसे बेसहारा छोड़कर चली गयी.

मासूम
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Published : Jul 5, 2019, 12:13 AM IST

Updated : Jul 5, 2019, 8:41 PM IST


डिंडौरी। मां तुम कहां हो, मां मुझे अपने सीने से लगा लो, मैं तुम्हारे आंचल की छांव में ही रहना चाहती हूं, तुम्हारी अंगुली पकड़कर ही चलना चाहती हूं. मुझे इस तरह छोड़कर मत जाओ मां. मां, मैं बेटी हूं तो इसमें मेरा क्या कसूर. अस्पताल में जिंदगी के लिए जंग लड़ती नवजात मन में यही सोच रही होगी कि आखिर उसका कसूर क्या था, जो अपने गर्भ में 9 महीने तक पालने वाली मां जन्म के बाद 9 दिन भी साथ नहीं रखी और उसे बेसहारा छोड़कर चली गयी.


सुंदरता की चाहत में मां ने अपने जिगर के टुकड़े को बेगाना किया या बेटी पैदा हो जाने की वजह से उसने दूध पिलाने से मना कर दिया, वजह चाहे जो भी हो, लेकिन ये कहानी दिल को झकझोर जाती है, कोई मां इतनी निर्दयी कैसे हो सकती है कि जन्म के ठीक बाद उसे उसकी दादी के पास छोड़ गयी. महिला की मां ने ही उसे बताया था कि यदि वह अपनी बेटी को दूध पिलाती है तो उसके चेहरे की रंगत चली जाएगी. जिसके चलते वह अपना दूध निकालकर फेंक तो देती थी, पर बेटी को नहीं पिलाती थी.


डिंडौरी के बिलाई खार गांव की वृद्धा अपनी एक माह की पोती को लेकर अस्पताल में भर्ती है. 34 दिन की मासूम तेज बुखार से तप रही है, दस्त से परेशान है. डॉक्टर बताते हैं कि मां का दूध नहीं पीने से ही उसकी ये हालत हुई है.

अस्पताल में भर्ती मासूम


वृद्ध महिला के मुताबिक उसका बेटा और मासूम की मां बिना शादी के साथ रह रहे थे. जिसके चलते मासूम के नाना से कई बार विवाद भी हुआ था. जिसमें मासूम के नाना ने उसके पिता पर वार कर जख्मी भी कर दिया था. जो जख्मी हालत में घर में पड़ा है.


बच्चे के शरीर पर एक खरोंच भर से छलनी हो जाने वाला मां का सीना इतना पत्थर कैसे हो गया, जो अपनी सुंदरता के लिए बेटी को बेसहारा छोड़ गयी. जब मां ही पत्थर दिल हो जाएगी तो कैसे बचेंगी बेटियां, ऐसे में तो केंद्र सरकार की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान रास्ते में ही धूल फांकता रह जायेगा. ईटीवी भारत मध्यप्रदेश


डिंडौरी। मां तुम कहां हो, मां मुझे अपने सीने से लगा लो, मैं तुम्हारे आंचल की छांव में ही रहना चाहती हूं, तुम्हारी अंगुली पकड़कर ही चलना चाहती हूं. मुझे इस तरह छोड़कर मत जाओ मां. मां, मैं बेटी हूं तो इसमें मेरा क्या कसूर. अस्पताल में जिंदगी के लिए जंग लड़ती नवजात मन में यही सोच रही होगी कि आखिर उसका कसूर क्या था, जो अपने गर्भ में 9 महीने तक पालने वाली मां जन्म के बाद 9 दिन भी साथ नहीं रखी और उसे बेसहारा छोड़कर चली गयी.


सुंदरता की चाहत में मां ने अपने जिगर के टुकड़े को बेगाना किया या बेटी पैदा हो जाने की वजह से उसने दूध पिलाने से मना कर दिया, वजह चाहे जो भी हो, लेकिन ये कहानी दिल को झकझोर जाती है, कोई मां इतनी निर्दयी कैसे हो सकती है कि जन्म के ठीक बाद उसे उसकी दादी के पास छोड़ गयी. महिला की मां ने ही उसे बताया था कि यदि वह अपनी बेटी को दूध पिलाती है तो उसके चेहरे की रंगत चली जाएगी. जिसके चलते वह अपना दूध निकालकर फेंक तो देती थी, पर बेटी को नहीं पिलाती थी.


डिंडौरी के बिलाई खार गांव की वृद्धा अपनी एक माह की पोती को लेकर अस्पताल में भर्ती है. 34 दिन की मासूम तेज बुखार से तप रही है, दस्त से परेशान है. डॉक्टर बताते हैं कि मां का दूध नहीं पीने से ही उसकी ये हालत हुई है.

अस्पताल में भर्ती मासूम


वृद्ध महिला के मुताबिक उसका बेटा और मासूम की मां बिना शादी के साथ रह रहे थे. जिसके चलते मासूम के नाना से कई बार विवाद भी हुआ था. जिसमें मासूम के नाना ने उसके पिता पर वार कर जख्मी भी कर दिया था. जो जख्मी हालत में घर में पड़ा है.


बच्चे के शरीर पर एक खरोंच भर से छलनी हो जाने वाला मां का सीना इतना पत्थर कैसे हो गया, जो अपनी सुंदरता के लिए बेटी को बेसहारा छोड़ गयी. जब मां ही पत्थर दिल हो जाएगी तो कैसे बचेंगी बेटियां, ऐसे में तो केंद्र सरकार की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान रास्ते में ही धूल फांकता रह जायेगा. ईटीवी भारत मध्यप्रदेश

Intro:एंकर _ मां तुम कहां हो, मां मुझे अपने सीने से लगा लो, मैं तुम्हारे आंचल की में रहकर ही पलना बढ़ना चाहती हूं ,मुझे इस तरह छोड़कर ना जाओ मां । जी हां कुछ इसी तरह का दर्द होगा इस 1 माह की मासूम के दिल में ,जिसे जन्म लेने के तुरंत बाद ही उसकी मां ने उसे दूध पिलाना बंद कर दिया । ऊपर का दूध पीने से नन्हीं मासूम को बुखार और दस्त जैसी बीमारी का इंफेक्शन हो गया जिसका जिला अस्पताल के डॉक्टरों की निगरानी में इलाज किया जा रहा है।


Body:बेरहम माँ के चेहरे का निखार न कम हो_ डिंडोरी जिला अस्पताल में बिलाई खार गांव की कमली बाई अपनी 1 माह की नातिन शिवानी को लेकर इलाज कराने पहुंची । शिवानी जो महज 1 महीना 4 दिन की है जिसे तेज बुखार और दस्त लगातार हो रहे है। कमली बाई के बताए अनुसार शिवानी की बेरहम माँ संतोषी बाई ने बीते 11 दिन पहले ही शिवानी को उंसके पास छोड़ कर चली गई। संतोषी बाई जिसने शिवानी को जन्म देने के बाद से ही उसे अपना दूध पिलाना बंद कर दिया था।संतोषी बाई को यह सलाह उसकी माँ ने दिया था यह कहकर की दूध पिलाने से उंसके चेहरे की रंगत खराब हो जाएगी।वही संतोषी अपने आँचल में आने वाले दूध को निकाल कर फेंक देती थी पर शिवानी को नही पिलाती थी। संतोषी बाई शिवानी को ऊपर का दूध पिलाने लगी और कुछ दिन बाद बहाने से शिवानी को छोड़कर घर से भाग गई। हुआ था विवाद _ कमली बाई की माने तो उसके बेटे ईश्वर और संतोषी बिना शादी किये साथ रह रहे थे। शिवानी के जन्म लेने के बाद संतोषी बाई के पिता लगातार संतोषी को उंसके ससुराल से ले जाने की जिद कर रहे थे जिसके चलते एक बार संतोषी के पिता से ईश्वर के बीच विवाद भी हुआ था जिसमे संतोषी के पिता ने ईश्वर पर सिर पर वार कर उसे जख्मी कर दिया था।जो घर पर जख्मी हालात में है। इलाज से लगा आराम _ शिवानी की दादी कमली बाई ने सही समय मे शिवानी को इलाज के लिए जिला अस्पताल भर्ती कराया।क्योंकि डॉक्टर रमेश मरावी के बताए अनुसार शिवानी को बाहर का दूध पीने से इंफेक्शन हो गया था जिसे 2 दिन पहले भर्ती किया गया।अब इलाज के बाद उसमें सुधार देखा जा रहा है।


Conclusion:महिलाओ में अपनी फिटनेश को लेकर आपने शहरी क्षेत्र में ही नए नए तौर तरीके अपनाते देखा सुना होगा। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में शायद यह पहला मामला सामने आया है जिसे सुनकर हर कोई हैरत में हैं।
Last Updated : Jul 5, 2019, 8:41 PM IST
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