डिंडौरी। यूं तो नवरात्रि के पावन पर्व पर सब मां की आराधना में लीन रहते हैं, पर डिंडौरी जिले में एक ऐसा भक्त है, जो एक-दो दिन नहीं बल्कि पूरे तीन साल से मां की आराधना में मगन है. क्या सुबह और क्या शाम दोनों पहर की आरती में मां का ये अनोखा भक्त मौजूद रहता है, आरती के वक्त मंदिर के घंटे की आवाज सुनकर ऐसे दौड़ लगाता है, मानो कोई उसे अपनी ओर खींच रहा हो. मां के ऐसे अनोखे भक्त की भक्ति देख लोग इसे देवी चमत्कार मानते हैं.
कुछ लोग इसे पुराने जन्म से जोड़ कर देख रहे हैं. मां का ये भक्त आरती के बाद जोरदार जयकारे भी माइक से लगाता है. ये भक्त कोई इंसान नहीं बल्कि एक स्वान है. डिंडौरी के हंस नगर में स्थित भवतारिणी नर्मदा मंदिर का निर्माण नर्मदा नदी के उत्तर तट पर वर्ष 2010 में हुआ था. इस मंदिर के पुजारी दिनेश गौतम का कहना है कि वे पिछले सात सालों से इस मंदिर में दोनों समय पूजा करते आ रहे हैं, लेकिन देखने में आया है कि पिछले तीन सालों से जब भी सुबह-शाम की आरती के वक्त मंदिर की घंटियां बजाई जाती हैं, उसे सुनकर हनी नाम का कुत्ता जहां भी रहता है, दौड़ते हुए मंदिर पहुंच जाता है.
नर्मदा मंदिर में जब तक आरती होती है, तब तक हनी शांति से अपने दोनों पैरों को आगे कर भक्तिभाव से मां की आरती सुनता है. मां की आरती के बाद जब मंदिर में जयकारे लगाए जाते हैं तो हनी माइक से जोरदार जयकारे भी लगाता है और तब तक लगाता है, जब तक जयकारे लगाना बंद न हो जाये. वहीं रहवासियों का कहना है कि हनी का नाता कहीं न कहीं मां से पुराना है, जिसके चलते वह आज भी उनकी आरती में पूरी आस्था के साथ शामिल होता है.
पूर्व जन्म का है कुछ नाता या चमत्कार !
मां नर्मदा के प्रति हनी की भक्ति-भावना को देख आसपास के सभी नागरिक हैरान हैं. हंस नगर के लोग हनी की इस भक्ति को पूर्व जन्म से जोड़कर देखते हैं और चमत्कार ही मानते हैं. डिंडौरी के हंसनगर के रहवासी नारायण शर्मा बताते हैं कि हनी एकादशी का व्रत भी रखता है, इसका पता तब चला, जब वह उस दिन का प्रसाद नहीं खाता है. हनी की खासियत ये है कि यह किसी का फेंका जूठा नहीं खाता. मंदिर में जब भी रामायण पाठ होता है, हनी उसमें पूरे समय शामिल रहता है. हनी ने आजतक क्षेत्र के किसी भी बच्चे को नुकसान नहीं पहुंचाया है. वह साल के 365 दिन में 355 दिन मंदिर आता है. अगर वह किसी कारण मंदिर नहीं आ पाता है तो वह मंदिर कि घंटी सुन वहीं से जयकारे लगाता है.
नोटः ईटीवी भारत किसी तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है. ये खबर स्थानीय लोगों के बताये अनुसार लिखी गई है.