डिंडौरी। मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले के गोंडी पेंटिंग को G.I टैग मिल गया है. पद्मश्री कलाकार भज्जू श्याम ने इस उपलब्धि को मील का पत्थर बताते हुए खुशी जाहिर की है. उनका कहना है कि, नीले, गुलाबी संगमरमर को चीरकर निकली नर्मदा की मनोरम वादियां तो दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं और अब कलाकारों की शिल्प कला को विश्व में पहचान मिलेगी.
दुनिया में गोंडी पेंटिंग की पहचान: डिंडौरी जिले के पाटनगढ़ गांव में हर घर में गोंडी चित्रकार हैं. यही पाटनगढ़ गांव अंतर्राष्ट्रीय चित्रकार जनगण श्याम का गृह ग्राम है. जिन्होंने गोंडी चित्रकारी का जलवा न सिर्फ भारत में बल्कि जापान, साउथ अफ्रीका और पेरिस में बिखेर चुके हैं. अंतर्राष्ट्रीय चित्रकार स्वर्गीय जनगण श्याम को आदर्श मानने वाले पद्मश्री कलाकार भज्जू श्याम ने बताया की गोंडी पेंटिंग को जीआई टैग मिलने से उनके गांव के कलाकारों को आर्थिक एवं अन्य फायदे होंगे. साथ ही दुनिया में गोंडी पेंटिंग को अलग पहचान मिलेगी.
कलाकारों को मिलेगा आर्थिक लाभ: पद्मश्री कलाकार भज्जू श्याम का कहना है कि, अभी भी इस कला के जाने वाले कलाकारों को इसके व्यापार की सही समझ नहीं है. उन्हें इसके सही दाम नहीं मिल पाते. इसलिए सरकार को इनकी कुछ और मदद करनी होगी. इस कला के लोक व्यापीकरण के लिए काम करने होंगे. मध्य प्रदेश की इन कलाओं को सालों पहले ही जीआई टैग मिल जाने चाहिए थे. यदि यह काम पहले हो चुका होता तो मधुबनी कला की तरह है. इस कला के जानने वाले लोग भी ज्यादा होते और इससे इस पूरे इलाके के आर्थिक व्यवस्था को मदद मिलती.