डिंडौरी। मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल अटल आश्रम योजना अंतर्गत शहर में नर्मदा परिसर के नाम से आवासीय मकान में रहने वाले लोगों की समस्या को ईटीवी भारत ने 25 अगस्त 2020 को प्रमुखता से उठाया था. जिस पर संज्ञान लेते हुए प्रदेश के आयुक्त मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड भरत यादव ने ट्वीट कर जानकारी दी है, जिसमें कहा जल्द ही कार्रवाई होगी.
यह था पूरा मामला
मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल अटल आश्रम योजना अंतर्गत मकान तैयार किए गए हैं, जिसका मकसद कमजोर और कम आय वर्ग के लोगों की मदद करना है. इसके लिए सरकार द्वारा सब्सिडी का भी प्रावधान है, लेकिन इन मकानों को लेने वाले लोग अब अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी से शहर को जोड़ने वाला रास्ता अब तक कच्चा है, जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हर तरफ से लाचार कॉलोनी के लोगों ने खुद ही चंदा कर रास्ते की मरम्मत करवाई है, लेकिन ये परमानेंट समाधान नहीं है. लिहाजा स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि, जल्द ही पक्की सड़क बनाई जाए.
हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के लोग परेशान प्रशासन ने किए थे लुभावने वादे
जिले के मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल कार्यालय से नर्मदा परिसर के मकानों को बेचने के लिए बाकायदा लुभानवे पंपलेट शहर में बांटे गए थे. जिसमें तमाम तरह की सुविधाओं और नियम शर्तो का उल्लेख था. जिसके झांसे में लोग आ गए और लॉटरी सिस्टम से मकान खरीदा, लेकिन जिन लोगों ने मकान की रजिस्ट्री करवा ली वे सब अपने फैसले और पछता रहे हैं.
कच्चा रास्ता, आए दिन होती हैं दुर्घटनाएं
नर्मदा परिसर से मुख्य शहर तक पहुंचने के लिए के लिए कच्चा और चढ़ाइदार रास्ता है. लोगों को इसी रास्ते रोज गुजरना पड़ता है. ऐसे में लोग कई बार हादसे का शिकार भी हो जाते हैं. एक किशोर कुछ दिनों पर पहले अपने भाई के साथ जा रहा था, इसी दौरान बाइक फिसल गई और उसका हाथ टूट गया.
हाउसिंग बोर्ड के मकानों में सीवेज की समस्या
नर्मदा परिसर के ज्यादातर मकानों में बारिश में सीलन की समस्या आ रही है. जिससे अब इन मकानों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लगे हैं. कहीं न कहीं अब इस कॉलोनी के निर्माण में भ्रष्टाचार की बू भी आ रही है.
रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी होते हैं परेशान
हाउसिंग बोर्ड कालोनी के नर्मदा परिसर में पक्की सड़क न होने से यहां दूध और सब्जी की फेरी लगाने वाले भी नहीं आ पाते हैं. छोटे से छोटे कामों के लिए स्थानीय लोगों को जान जोखिम में डाल कर शहर जाना पड़ता है.
चंदा इकट्ठा कर की अस्थायी व्यवस्था
स्थानीय लोगों ने प्रति मकान 1000 रुपए का चंदा इकट्ठा किया. कीचड़ भरे रास्ते को चलने लायक बनाने के लिए पत्थर डलवाए हैं, ताकि आने-जाने में थोड़ी राहत मिल सके. स्थानीय लोगों की मांग है कि जिला प्रशासन जल्द इस पर संज्ञान ले और पक्की सड़क बनवाए, ताकि लोगों को इन परेशानियों से छुटकारा मिल सके.